Budget 2022: क्या है Digital Rupee जिसकी घोषणा आज बजट के दौरान हुई
डीएनए हिंदी: वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट (Union Budget 2022) भाषण में डिजीटल करेंसी (Digital Currency) को ख़ास जगह दी है. अपने बजट भाषण के दौरान वित्त मंत्री ने कहा कि RBI की डिजिटल करेंसी 'डिजिटल रुपी' को नए वित्त वर्ष (Financial Year 2022-2023) की शुरुआत में ही लॉन्च किया जाएगा. डिजिटल रुपी को ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी व अन्य टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल के जरिए मार्केट में उतारा जाएगा. उम्मीद है कि यह डिजिटल इकनॉमी को नया आयाम देगा. साथ ही, करेंसी मैनेजमेंट को ज्यादा प्रभावी और कम लागत वाला बनाने में मदद करेगा.
डिजिटल करेंसी को लेकर सरकार ने उठाया अहम कदम
अटकलें लगाई जा रही थीं कि मोदी सरकार क्रिप्टोकरेंसी पर टैक्सेशन (Taxation on Cryptocurrency) को लेकर कोई घोषणा कर सकती है. बजट में यह सच साबित हुई. क्रिप्टोकरेंसी के उछाल के वक्त केंद्र सरकार ने कहा था कि देश की अपनी डिजिटल करेंसी होगी.
क्या होती है डिजिटल करेंसी?
डिजिटल करेंसी का पूरा नाम सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (Central Bank Digital Currency or CBDC) है. इसे रिजर्व बैंक जारी करता है और जिसे सरकार की मान्यता प्राप्त होती है. यह केंद्रीय बैंक की बैलेंसशीट में भी शामिल होती है. डिजिटल करेंसी की खासियत यह है कि इसे देश की सॉवरेन करेंसी (sovereign currency) में बदला जा सकता है. देश में इसे डिजिटल रुपया कहा जा सकता है. यह दो तरह की होती है, रिटेल और होलसेल. रिटेल डिजिटल करेंसी आम लोग और कंपनियों के लिए होती है, जबकि होलसेल डिजिटल करेंसी का इस्तेमाल वित्तीय संस्थाएं करती हैं. यह डिजिटल करेंसी ब्लॉकचेन के जरिए काम करेगी.
Blockchain किसे कहा जाता है?
ब्लॉकचेन के बारे में एक्सपर्ट क्षितिज पुरोहित बताते हैं कि यह दो शब्दों से मिलकर बना है. पहला ब्लॉक (Block) और दूसरा चेन (Chain) यानी की श्रृंखला. ब्लॉक का मतलब ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी (Blockchain Technology) में बहुत सारे डाटा ब्लॉक से है. इन ब्लॉक्स में क्रिप्टोकरेंसी यानी कि डाटा रखा जाता है. अलग-अलग बॉक्स में अलग-अलग करेंसी यानी डाटा होते हैं और ये एक-दूसरे जुड़े होते हैं. डाटा की एक लंबी चैन बनती जाती है जैसे ही नया डाटा आता है उसे एक नए ब्लॉक में दर्ज किया जाता है. एक बार जब ब्लॉक डाटा से भर जाता है तो इसे पिछले ब्लॉक से जोड़ दिया जाता है. इसी तरह सारे ब्लॉक्स एक-दूसरे जुड़े रहते हैं. इसकी वजह से इन्हें हैक किया जाना मुश्किल है.
2023 की शुरुआत में पेश हो सकती है देश की आधिकारिक डिजिटल मुद्रा
RBI on Cryptocurrency: भारतीय रिजर्व बैंक की फिनटेक की ओर से पेश किए जाने बजट में डिजिटल मुद्रा और क्रिप्टो कर की शुरुआत वाले नए प्रोडक्ट्स और सर्विस से जुड़े लाभ और रिस्क पर कड़ी नजर है।
- सीबीडीसी सरकार समर्थित डिजिटल मुद्रा होगी।
- साल 2023 की शुरुआत में CBDC पेश हो सकती है।
- 25वीं FSR में आरबीआई गवर्नर ने क्रिप्टो को खतरा बताया था।
नई दिल्ली। हाल ही में भारत के केंद्रीय बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा था कि क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) एक स्पष्ट खतरा है। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने वित्त वर्ष 2022-23 के बजट में सीबीडीसी पेश किरने की घोषणा की थी। अब केंद्रीय बैंक के कार्यकारी निदेशक (फिनटेक) अजय कुमार चौधरी ने जानकारी दी है कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) होलसेल और रिटेल सेगमेंट में चरणबद्ध तरीके से सेंट्रल बैंक डिजिटल मुद्रा (CBDC) के क्रियान्वयन को लेकर काम कर रहा है।
सेंट्रल बैंक डिजिटल मुद्रा के लिए वित्त विधेयक (Finance Bill 2022) पारित होने के साथ आरबीआई कानून, 1934 में संबंधित धारा में जरूरी बदलाव किए गए। इंडस्ट्री एसोसिएशन फिक्की के PICUP फिनटेक सम्मेलन को संबोधित करते हुए अजय कुमार चौधरी ने कहा कि फाइनेंस बिल के पारित होने के साथ भारतीय रिजर्व बैंक पायलट आधार पर सीबीडीसी का क्रियान्वयन करने की स्थिति में आ गया है।
क्या है सीबीडीसी?
आगे उन्होंने कहा कि, 'आरबीआई होलसेल और रिटेल खंड में सेंट्रल बैंक डिजिटल मुद्रा के चरणबद्ध तरीके से क्रियान्वयन करने के लिए काम कर रहा है।' उल्लेखनीय है कि सीबीडीसी डिजिटल मुद्रा है। लेकिन इसकी प्राइवेट डिजिटल मुद्रा या क्रिप्टोकरेंसी से तुलना नहीं की जा सकती है। पिछले एक दशक में क्रिप्टोकरेंसी तेजी से बढ़ी है।
क्रिप्टोकरेंसी से अलग है सीबीडीसी
प्राइवेट डिजिटल मुद्रा का कोई जारीकर्ता नहीं है। यह किसी व्यक्ति के लोन या देनदारियों का प्रतिनिधित्व नहीं करती है। मालूम हो कि देश की आधिकारिक डिजिटल मुद्रा अगले साल की शुरुआत में पेश की जा सकती है। डिजिटल मुद्रा मौजूदा प्राइवेट कंपनी द्वारा संचालित इलेक्ट्रॉनिक वॉलेट की तरह ही होगी।
तेजी से विकसित हो रहे डिजिटल पेमेंट सेक्टर में फिनटेक की भूमिका पर अधिकारी ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक ने नवोन्मेष को बढ़ावा दिया है।
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बजट में डिजिटल मुद्रा और क्रिप्टो कर की शुरुआत
RBI ने थोक खंड में डिजिटल रुपये की पायलट परियोजना शुरू की
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 1 नवंबर, 2022 से सरकारी प्रतिभूतियों (G-सेक) में द्वितीयक व्यापार के लिए थोक खंड (e₹-W) में केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (CBDC) या डिजिटल रुपये (e₹) को लागू करने के लिए अपनी पहली पायलट परियोजना शुरू की है।
- डिजिटल रुपया – खुदरा खंड ( e₹-R ) में पहला पायलट ग्राहकों और व्यापारियों सहित सीमित उपयोगकर्ता समूहों के साथ चुनिंदा क्षेत्रों में एक महीने में शुरू होने के लिए तैयार है।
- CBDC के साथ, भारत से डिजिटल मुद्राओं को तेजी से आगे बढ़ाने में उल्लेखनीय प्रगति करने की उम्मीद है।
- UPI और QR-आधारित भुगतानों को व्यापक रूप से अपनाने के कारण भारत को प्रौद्योगिकी का प्रारंभिक अपनाने वाला माना जाता है।
डिजिटल रुपया क्या है?
सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) या डिजिटल रुपया केंद्रीय बैंक द्वारा जारी किए गए करेंसी नोटों का एक डिजिटल संस्करण है।
- इसे इलेक्ट्रॉनिक धन का एक रूप माना जाता है जिसका उपयोग संपर्क रहित लेनदेन में किया जा सकता है।
भारतीय CBDC, जिसे “( e₹ )” के रूप में जाना जाएगा, रुपये का एक डिजिटल संस्करण है और इसे फिएट मुद्रा के लिए एक-एक करके बदला जा सकता है।
नोट: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने केंद्रीय बजट 2022-23 में भारत में RBI द्वारा डिजिटल मुद्रा की शुरुआत की घोषणा की।
CBDC को दो प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है:
- खुदरा (CBDC-R): खुदरा CBDC संभावित रूप से सभी के उपयोग के लिए उपलब्ध होगा।
- थोक (CBDC-W): थोक CBDC चुनिंदा वित्तीय संस्थानों तक सीमित पहुंच के लिए डिज़ाइन किया गया है।
i.RBI ने डिजिटल रुपया थोक (e₹-W) पायलट परियोजना में भाग लेने के लिए 9 बैंकों को नामित किया है।
- इन नौ बैंकों में भारतीय स्टेट बैंक (SBI), बैंक ऑफ बड़ौदा (BOB), यूनियन बैंक ऑफ इंडिया (UBI), HDFC बैंक, ICICI बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, YES बैंक, IDFC फर्स्ट बैंक और HSBC शामिल हैं।
ii. e₹-W को अपनाने से इंटरबैंक बाजार की दक्षता बढ़ने और लेनदेन लागत कम होने की उम्मीद है।
iii. भारत थोक CBDC पायलट शुरू करने वाली पहली महत्वपूर्ण अर्थव्यवस्थाओं में से एक है, भले ही उपयोगकर्ता स्वीकृति परीक्षण (UAT) वातावरण में विश्व स्तर पर कुछ CBDC परीक्षण मामले सामने आए हैं।
डिजिटल मुद्रा के फायदे
i. एक डिजिटल मुद्रा न केवल लेनदेन लागत को कम करेगी, बल्कि सरकारों के लिए अधिकृत नेटवर्क के भीतर होने वाले बजट में डिजिटल मुद्रा और क्रिप्टो कर की शुरुआत सभी लेनदेन तक पहुंचना भी आसान बना देगी।
ii. सरकार भविष्य के लिए बेहतर बजट और आर्थिक योजना के लिए एक ढांचा बनाने में सक्षम होगी क्योंकि देश में प्रत्येक लेनदेन की जांच प्रासंगिक कानूनों के तहत की जाएगी।
iii. भौतिक (वास्तविक) नोटों की तुलना में, डिजिटल मुद्रा का जीवनकाल अनिश्चित काल तक होगा।
iv. डिजिटल मुद्रा को फाड़ा, जलाया या शारीरिक रूप से क्षतिग्रस्त नहीं किया जा सकता है, न ही इसे खोया जा सकता है।
डिजिटल रुपये और क्रिप्टोकरेंसी के बीच अंतर
i. एक क्रिप्टोकरेंसी एक विकेंद्रीकृत डिजिटल संपत्ति है और ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी पर आधारित विनिमय का एक माध्यम है। (उदाहरण: बिटकॉइन और एथेरियम)।
- हालांकि, यह ज्यादातर अपनी विकेंद्रीकृत प्रकृति के कारण संदिग्ध रहा है, जिसका अर्थ है कि यह बैंकों, वित्तीय संस्थानों या केंद्रीय प्राधिकरण जैसे किसी भी मध्यस्थ के बिना संचालित होता है।
ii. दूसरी ओर, RBI द्वारा जारी CBDC या डिजिटल रुपया (e₹) डिजिटल रूप में सरकार समर्थित कानूनी धन के रूप में कार्य करेगा।
हाल में संबंधित समाचार :
चेनलिसिस के अनुसार, ‘द 2022 ग्लोबल क्रिप्टो एडॉप्शन इंडेक्स: ग्रासरूट एडॉप्शन में इमर्जिंग मार्केट्स लीड, चीन प्रतिबंध के बावजूद सक्रिय रहता है, और क्रिप्टो फंडामेंटल्स स्वस्थ दिखाई देते हैं’, वियतनाम 1 की समग्र सूचकांक रैंकिंग के साथ लगातार दूसरे वर्ष क्रिप्टोकरेंसी गोद लेने में पहले स्थान पर है। भारत 0.663 के सूचकांक स्कोर के साथ चौथे स्थान पर रहा।
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के बारे में:
राज्यपाल – शक्तिकांत दास
स्थापना – 1935
मुख्यालय – मुंबई, महाराष्ट्र
डिजिटल रूपी क्या है? इससे क्या फायदा मिलेगा? यह क्रिप्टोकरेन्सी से कैसे अलग है?
वैसे तो वित्त मंत्री ने डिजिटल करेंसी और वर्चुअल करेंसी को बढ़ावा देने के लिए ही इस पर 1 प्रतिशत टीडीएस भी लगाने का ऐलान किया है। इसके अलावा क्रिप्टो करेंसी से होने वाली आमदनी पर भी अब 30 प्रतिशत टैक्स लगाने का ऐलान किया है।
भारतीय संसद में वर्ष 2022 के लिए अपना चौथा बजट प्रस्तुत करते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ऐलान किया कि भारत का अपना डिजिटल रुपया होगा, जिसे रिजर्व बैंक वित्त वर्ष 2022-23 में लांच करेगा। यह भारत की अपनी क्रिप्टो करेंसी होगी, जिसे डिजिटल रुपया समझा जायेगा। बताया जाता है कि ब्लैक चेन तकनीक पर ही भारत की डिजिटल करेंसी जारी की जाएगी।
सवाल है कि ये डिजिटल रुपया क्या होगा, कैसे काम करेगा, यह जानने की दिलचस्पी सभी को है। क्योंकि रिजर्व बैंक पिछले कुछ समय से इसकी तैयारी में लगा हुआ था। समझा जा रहा है कि बिटकॉइन जैसी क्रिप्टो करेंसी से निपटने के लिए यह सरकार का बड़ा कदम है। आरबीआई जब डिजिटल रुपी लांच करेगा, उसके बाद देश में निजी या प्राइवेट डिजिटल करेंसी पर रोक भी लग सकती है।
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वैसे तो वित्त मंत्री ने डिजिटल करेंसी और वर्चुअल करेंसी को बढ़ावा देने के लिए ही इस पर 1 प्रतिशत टीडीएस भी लगाने का ऐलान किया है। इसके अलावा क्रिप्टो करेंसी से होने वाली आमदनी पर भी अब 30 प्रतिशत टैक्स लगाने का ऐलान किया है। इससे कयास लगाए जा रहे हैं कि भारतीय अर्थव्यवस्था में निजी निवेश को प्रेरित करने के लिए सरकार यह सब कदम उठा रही है।
सरकार का दावा है कि कोरोना महामारी के बाद इकॉनमी सुधरी है, जिसमें अर्थव्यवस्था व कामकाज के डिजिटलीकरण की बड़ी भूमिका है। इसलिए सरकार की योजना डिजिटल बैंकिंग की सुविधा को देश के सभी इलाके में सही तरीके से पहुंचाने का है, जिसके लिए उसने देश के 75 जिलों में 75 बैकिंग यूनिट स्थापित करने का ऐलान किया है, ताकि लोग अधिक से अधिक डिजिटल भुगतान के लिए वह प्रोत्साहित कर सके।
बता दें कि आरबीआई पिछले कुछ समय से डिजिटल करेंसी यानि डिजिटल रुपी लाने की योजना पर काम कर रहा था। लेकिन अब उसकी तैयारी लगभग पूरी हो चुकी है। इसलिए यह जल्दी ही लांच किया जाने वाला है। ये देश की आधिकारिक डिजिटल करेंसी होगी। हालांकि सरकार ने अभी ये साफ नहीं किया है कि जो दूसरी प्राइवेट डिजिटल करेंसी देश में इस समय प्रचलन में है, उनका सरकार क्या करने जा रही है। लेकिन ये लगता है कि अपना डिजिटल रुपया लांच करने के बाद निश्चित तौर पर सरकार का अगला कदम दूसरी डिजिटल करेंसी पर रोक लगाना ही होगा। इसे क्रिप्टोकरेंसी की दुनिया में घबराहट भी फैली है।
# क्रिप्टो करेंसी क्या होती है?
क्रिप्टोकरेंसी एक ऐसी करेंसी है, जिसे हम छू या देख नहीं सकते हैं। कहने का तातपर्य यह कि डिजिटल या वर्चुअल करेंसी वह करेंसी है, जिसे ऑनलाइन वॉलेट में ही रखा जा सकता है। ये कभी फिजिकल मोड में नहीं होती, लेकिन एक डिजिटल कॉइन के रूप में ऑनलाइन वॉलेट में रखी जा सकती है। बता दें कि आरबीआई की डिजिटल करेंसी सरकारी रेगुलेटरी संस्था द्वारा सत्यापित होगी, जो देश में लेन-देन के बजट में डिजिटल मुद्रा और क्रिप्टो कर की शुरुआत लिए कानूनी तौर पर मान्यता प्राप्त होगी। गौरतलब है कि दुनिया में सबसे अधिक क्रिप्टोकरेंसी के मालिक भारत में ही हैं, जिनकी संख्या करीब 10.07 करोड़ है।
# ई-रूपी क्या है ये डिजिटल करेंसी से अलग कैेसे है
ई-रूपी एक कैशलेस और डिजिटल पेमेंट्स सिस्टम वाला मीडियम है जो एसएमएस स्ट्रिंग या एक क्यूआर कोड के रूप में लाभुक (बेनेफिशयरीज) को प्राप्त होगा। यह एक प्रकार से गिफ्ट वाउचर के समान होगा, जिसे बिना किसी क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड, मोबाइल ऐप या इंटरनेट बैंकिंग के खास एस्सेप्टिंग सेंटर्स पर रिडीम कराया जा सकेगा।
वास्तव में, ई-रूपी की जो विशेषताएं हैं, वह इसे वर्चुअल करेंसी से भिन्न बनाती है। यह एक तरह से वाउचर आधारित पेमेंट सिस्टम की तरह है। ई-रुपी को लॉन्च करने का मुख्य उद्देश्य ऑनलाइन पेमेंट को ज्यादा आसान और सुरक्षित बनाना है।
# क्या है अन्य क्रिप्टोकरेंसी की कानूनी स्थिति
क्रिप्टोकरेंसी की कानूनी स्थिति एक देश से दूसरे देश में काफी अलग होती है। यदि इसे ब्लॉकचेन के समर्थन से जारी किया जाता है तो इसका तातपर्य यह हुआ कि इसका पूरा रिकॉर्ड भी रखना होगा। अब इसमें गड़बड़ी नहीं हो सकती है। बता दें कि कुछ देशों में क्रिप्टो करेंसी मान्य है तो कुछ देशों में यह प्रतिबंधित भी है।
उल्लेखनीय है कि आठ देशों, यथा- अल्जीरिया, बोलीविया, मिस्र, इराक, मोरक्को, नेपाल, पाकिस्तान और संयुक्त अरब अमीरात में क्रिप्टोकरेंसी के व्यापार या उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध लागू है। वहीं, अन्य 15 देशों में निहित प्रतिबंध लागू होता है, जिसमें बहरीन, बांग्लादेश, चीन, कोलंबिया, डोमिनिकन गणराज्य, इंडोनेशिया, ईरान, कुवैत, लेसोथो, लिथुआनिया, मकाऊ, ओमान, कतर, सऊदी अरब और ताइवान शामिल हैं। यही नहीं, विभिन्न सरकारी एजेंसियों, विभागों और अदालतों ने बिटकॉइन को अलग-अलग रूप में वर्गीकृत किया है।
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बताया जाता है कि चाइना सेंट्रल बैंक बजट में डिजिटल मुद्रा और क्रिप्टो कर की शुरुआत ने 2014 की शुरुआत में चीन में वित्तीय संस्थानों द्वारा बिटकॉइन की हैंडलिंग पर प्रतिबंध लगा दिया था। हालांकि, रूस में क्रिप्टोकरेंसी कानूनी है, लेकिन वास्तव में रूसी रूबल के अलावा किसी भी मुद्रा के साथ सामान खरीदना गैरकानूनी है। कई देशों की अपनी वैधानिक क्रिप्टो करेंसी भी शुरू हो चुकी है। हालांकि सरकार ने अभी ये साफ नहीं किया है कि जो दूसरी प्राइवेट डिजिटल करेंसी देश में इस समय प्रचलन में है, उनका सरकार क्या करने जा रही है। लेकिन ये लगता है कि अपना डिजिटल रुपया लांच करने के बाद निश्चित तौर पर सरकार का अगला कदम दूसरी डिजिटल करेंसी पर रोक लगाना ही होगा। इसे क्रिप्टोकरेंसी की दुनिया में घबराहट भी फैली है।
मोदी सरकार के इस कदम से बदल जाएगी भारत की अर्थ-व्यवस्था, करोड़ों को होगा फायदा
उद्योगपतियों ने कहा कि केंद्रीय बैंक की डिजिटल मुद्रा (सीबीडीसी) बैंक खाते की आवश्यकता के बिना डिजिटल भुगतान तक पहुंच प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है. वित्त वर्ष 2022-23 के केंद्रीय बजट में इसकी घोषणा के बाद से ई-रुपये की मांग बढ़ी है.
नई दिल्ली, 6 नवंबर : उद्योगपतियों ने कहा कि केंद्रीय बैंक की डिजिटल मुद्रा (सीबीडीसी) बैंक खाते की आवश्यकता के बिना डिजिटल भुगतान तक पहुंच प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है. वित्त वर्ष 2022-23 के केंद्रीय बजट में इसकी घोषणा के बाद से ई-रुपये की मांग बढ़ी है. बीसीटी डिजिटल की सीईओ जया वैद्यनाथन ने कहा कि आरबीआई द्वारा डिजिटल रुपये के पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत डिजिटल भुगतान की दिशा में उल्लेखनीय प्रगति का प्रतीक है. आरबीआई के पायलट प्रोजेक्ट में एसबीआई, बैंक ऑफ बड़ौदा, एचडीएफसी बैंक, यस बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक और आईसीआईसीआई बैंक सहित नौ बैंक शामिल हैं, जो सरकारी प्रतिभूतियों में द्वितीयक बाजार लेनदेन का निपटान करते हैं. इससे निपटान जोखिम और लेनदेन लागत कम हो जाती है.
वैद्यनाथन जोर दिया कि एक सफल पायलट प्रोजेक्ट और विस्तार से डिजिटल मुद्रा में पारदर्शिता और कम परिचालन लागत सुनिश्चित करते हुए उपयोगकर्ताओं की भुगतान और वित्तीय जरूरतों को बढ़ावा देने बजट में डिजिटल मुद्रा और क्रिप्टो कर की शुरुआत की उम्मीद है. भारत की डिजिटल मुद्रा दुनिया में सबसे अधिक तकनीकी रूप से विकसित मुद्राओं में से एक है और ई-रुपया इसे डिजिटल भुगतानों में सबसे आगे रखेगा. वी ट्रेड के संस्थापक व सीईओ प्रशांत कुमार ने कहा, आरबीआई द्वारा समर्थित डिजिटल रुपये की लोकप्रियता क्रिप्टो जैसी अन्य निजी डिजिटल मुद्राओं को वैधता प्रदान करने में मदद करेगी. यह डिजिटल मुद्रा की स्वीकृति की दिशा में एक सकारात्मक कदम है. यह भी पढ़ें : भाजपा की सत्ता में वापसी पर हिमाचल प्रदेश में समान नागरिक संहिता लागू की जायेगी: शाह
रूबा में सह-संस्थापक और मुख्य कानूनी और रणनीति अधिकारी अर्जुन खजांची के अनुसार सीबीडीसी एक महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट है. सरकार परंपरागत रूप से अपारदर्शी, नकदी पर निर्भर और अक्षम व्यवस्था को हतोत्साहित कर रही है. खजांची ने कहा, सरकारी प्रतिभूतियों में द्वितीयक बाजार लेनदेन के लिए पहला मामला होने जा रहा है. यह कदम तरलता को भी बढ़ावा दे सकता है, लेनदेन की लागत को कम करते हुए अक्षम और अनावश्यक प्रक्रियाओं को हटा सकता है. इससे प्रतिभागियों के बीच पारदर्शिता भी बढ़ेगी. इसके माध्यम से सरकार को निपटान जोखिम को कम करने में भी सक्षम होने की उम्मीद है.
सीबीडीसी पर सरकार की निजता और प्रत्यक्ष नियंत्रण को लेकर कुछ आशंकाएं हैं. खजांची ने कहा, खुदरा सीबीडीसी अभी भी बजट में डिजिटल मुद्रा और क्रिप्टो कर की शुरुआत दूर है और इसे लागू करने से पहले तकनीकी प्रशिक्षण की आवश्यकता होगी. सीबीडीसी मौद्रिक नीति में सार्वजनिक कानूनी भूमिका को बनाए रखने में मदद कर सकता है, जिससे बाजारों में वित्तीय स्थिरता की रक्षा करने में केंद्रीय बैंकों की भूमिका सुनिश्चित हो सके. सेंट्रिकिटी वेल्थ टेक के सह संस्थापक मनीष शर्मा के अनुसार सीबीडीसी बैंक खाते की आवश्यकता के बिना डिजिटल भुगतान तक पहुंच प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं.
शर्मा ने कहा, सीबीडीसी की सफलता के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी आवश्यक होगी, जिससे केंद्रीय बैंकों को स्थापित बुनियादी ढांचे और ग्राहक संबंधों का लाभ उठाने में मदद मिलेगी. पेमी इंडिया के सीईओ और संस्थापक महेश शुक्ला ने कहा कि आरबीआई अन्य थोक लेनदेन और सीमा पार भुगतान पर ध्यान केंद्रित करने की उम्मीद कर रहा है, जिसे आम जनता के लिए वित्तपोषण के तरीकों को आसान बनाने के कदम के रूप में पेश किया जा सकता है.
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