डिमैट अकाउंट कितने प्रकार के होते हैं?

भारत में डिमैट अकाउंट की शुरुआत 1996 में NSE से व्यापार करने के लिए की थी, क्योंकि उससे पहले सारा डाटा कागज़ों पर लिखा जाता था और ढेर सारे कागज़ संभालना बहुत मुश्किल का काम होता था तो जानकारी एक जगह आसानी से संभाली जा सके तो भारत में डीमैट खाता की शुरुआत हुई।

डिमैट का मतलब होता है डिमैटेरियलाइजेशन । इसका प्रयोग स्टॉक मार्केट में किया जाता है शेयर मार्केट से जब हम कोई शेयर खरीदते हैं या बेचते हैं उसके लिए हमारे पास एक डीमैट अकाउंट होना अनिवार्य है । सेबी के निर्देशानुसार डिमैट अकाउंट के अलावा हम किसी भी अन्य रूप में ना तो शेयर खरीद सकते हैं डीमैट अकाउंट के क्या फायदे हैं? और ना ही शेयर कहीं भेज सकते हैं । जब हम कोई शेयर खरीदते हैं तो उसे रखने के लिए डिमैट अकाउंट की जरूरत पड़ती है ।

जिस प्रकार हम एक नॉर्मल बैंक अकाउंट खोलते हैं और अपने पैसे उसमें रखते हैं आवश्यकता अनुसार उसको निकालते हैं, उसी प्रकार हम अपने शेयर का आदान प्रदान करने के लिए डिमैट अकाउंट खोलते हैं ।

डिमैट अकाउंट कितने प्रकार के होते हैं

शेयर बाजार में ट्रेडिंग के लिए मुख्यतः तीन प्रकार के डिमैट अकाउंट होते हैं जो कि निवेशकों के कार्य और उनके निवेश की जाने वाली मूल्यों के आधार पर तैयार की जाते हैं जिसमें सबसे पहले आता है ।

रेगुलर डीमैट खाता

इसमें देश के मूल निवासी आते हैं और शेयर बाजार में एंट्री करने वाले निवेशकों के लिए रेगुलर डीमैट खाता ओपन किया जाता है या निवेशक भारत में ही रहते हैं और यही के शेयर बाजार में निवेश करते हैं । आप या रेगुलर डीमैट खाता किसी भी डिपॉजिटरी पर रजिस्टर्ड ब्रोकर के पास खुलवा सकते हैं।

किसी भी बाहरी व्यक्ति का रेगुलर डिमैट खाता नहीं होता है यानी अगर कोई व्यक्ति उस देश (भारत) के निवासी (भारतीय) नही है जिसमे वो खाते में निवेश करना चाहता है तो वो व्यक्ति रेगुलर डिमैट खाते में निवेश नहीं कर सकता है।

रिपेट्रायबल डीमैट अकाउंट के क्या फायदे हैं? डिमैट अकाउंट

इसके जरिए वह व्यक्ति जो एक मूल देश का नहीं है जो एनआरआई हैं वह भारतीय शेयर बाजार में निवेश करते हैं । ट्रेडर्स और निवेशक इस अकाउंट के जरिए विभिन्न देशों में आसानी से शेयर को ट्रांसफर कर सकते हैं । लेकिन फंड ट्रांसफर के लिए उन निवेशकों के पास एनआरआई बैंक खाता भी होना अनिवार्य है और इस खाते में आप जॉइंट होल्डर भी शामिल कर सकते हैं ।

ऐसे खाते में नॉमिनेशन सुविधा भी होती है । रिपोर्ट राइवल्री मत खाता खुलवाने के लिए एन आर आई को पासपोर्ट की एक कॉपी, पैन कार्ड, विजा, जहां रहते हैं वहां का पता, एक पासपोर्ट साइज फोटो, और साथ ही डिक्लेरेशन और एनआरई या एनआरओ खाते का कैंसिल चेक भी देना होगा । यह सभी चीजें रिपेट्रायबल डीमैट खाता खोलने के लिए अनिवार्य होती हैं ।

नॉन रिपेट्रायबल डिमैट अकाउंट

नॉन रिपेट्रायबल डिमैट अकाउंट भी काफी रिपेट्रायबल डिमैट अकाउंट से मिलता जुलता है, लेकिन इस खाते से विदेश में आप किसी भी प्रकार का फंड ट्रांसफर नहीं कर सकते।

इस खाते के लिए एनआरओ बैंक अकाउंट की जरूरत होती है, लेकिन सबसे बड़ी बात इसमें यह होती है या खाता उनके लिए होता है जो अपनी आय का निवेश भारत और विदेशों में भी करते हैं ।दे श के अंदर और विदेशों की कमाई को एक साथ मैनेज करने के लिए इसमें एनआरओ खाते का प्रयोग किया जाता है ।

इस प्रकार से मुख्यतः तीन तरह के जिनको एक निवेशक अपनी सुविधा अनुसार अपने अपने निवेश के अनुसार खुलवा सकते हैं

डिमैट अकाउंट कितने प्रकार के होते हैं?

भारत में डिमैट अकाउंट की शुरुआत 1996 में NSE से व्यापार करने के लिए की थी, क्योंकि उससे पहले सारा डाटा कागज़ों पर लिखा जाता था और ढेर सारे कागज़ संभालना बहुत मुश्किल का काम होता था तो जानकारी एक जगह आसानी से संभाली जा सके तो भारत में डीमैट खाता की शुरुआत हुई।

डिमैट का मतलब होता है डिमैटेरियलाइजेशन । इसका प्रयोग स्टॉक मार्केट में किया जाता है शेयर मार्केट से जब हम कोई शेयर खरीदते हैं या बेचते हैं उसके लिए हमारे पास एक डीमैट अकाउंट होना अनिवार्य है । सेबी के निर्देशानुसार डिमैट अकाउंट के अलावा हम किसी भी अन्य रूप में ना तो शेयर खरीद सकते हैं और ना ही शेयर कहीं भेज सकते हैं । जब हम कोई शेयर खरीदते हैं तो उसे रखने के लिए डिमैट अकाउंट की जरूरत पड़ती है ।

जिस प्रकार हम एक नॉर्मल बैंक अकाउंट खोलते हैं और अपने पैसे उसमें रखते हैं आवश्यकता अनुसार उसको निकालते हैं, उसी प्रकार हम अपने शेयर का आदान प्रदान करने के लिए डिमैट अकाउंट खोलते हैं ।

डिमैट अकाउंट कितने प्रकार के होते हैं

शेयर बाजार में ट्रेडिंग के लिए मुख्यतः तीन प्रकार के डिमैट अकाउंट होते हैं जो कि निवेशकों के कार्य और उनके निवेश की जाने वाली मूल्यों के आधार पर तैयार की जाते हैं जिसमें सबसे पहले आता है ।

रेगुलर डीमैट खाता

इसमें देश के मूल निवासी आते हैं और शेयर बाजार में एंट्री करने वाले निवेशकों के लिए रेगुलर डीमैट खाता ओपन किया जाता है या निवेशक भारत में ही रहते हैं और यही के शेयर बाजार में निवेश करते हैं । आप या रेगुलर डीमैट खाता किसी भी डिपॉजिटरी पर रजिस्टर्ड ब्रोकर के पास खुलवा सकते हैं।

किसी भी बाहरी व्यक्ति का रेगुलर डिमैट खाता नहीं होता है यानी अगर कोई व्यक्ति उस देश (भारत) के निवासी (भारतीय) नही है जिसमे वो खाते में निवेश करना चाहता है तो वो व्यक्ति रेगुलर डिमैट खाते में निवेश नहीं कर सकता है।

रिपेट्रायबल डिमैट अकाउंट

इसके जरिए वह व्यक्ति जो एक मूल देश का नहीं है जो एनआरआई हैं वह भारतीय शेयर बाजार में निवेश करते हैं । ट्रेडर्स और निवेशक इस अकाउंट के जरिए विभिन्न देशों में आसानी से शेयर को ट्रांसफर कर सकते हैं । लेकिन फंड ट्रांसफर के लिए उन निवेशकों के पास एनआरआई बैंक खाता भी होना अनिवार्य है और इस खाते में आप जॉइंट होल्डर भी शामिल कर सकते हैं ।

ऐसे खाते में नॉमिनेशन सुविधा भी होती है । रिपोर्ट राइवल्री मत खाता खुलवाने के लिए एन आर आई को पासपोर्ट की एक कॉपी, पैन कार्ड, विजा, जहां रहते हैं वहां का पता, एक पासपोर्ट साइज फोटो, और साथ ही डिक्लेरेशन और एनआरई या एनआरओ खाते का कैंसिल चेक भी देना होगा । यह सभी चीजें रिपेट्रायबल डीमैट खाता खोलने के लिए अनिवार्य होती हैं ।

नॉन रिपेट्रायबल डिमैट अकाउंट

नॉन रिपेट्रायबल डिमैट अकाउंट भी काफी रिपेट्रायबल डिमैट अकाउंट से मिलता जुलता है, लेकिन इस खाते से विदेश में आप किसी भी प्रकार का फंड ट्रांसफर नहीं कर सकते।

इस खाते के लिए एनआरओ बैंक अकाउंट की जरूरत होती है, लेकिन सबसे बड़ी बात इसमें यह होती है या खाता उनके लिए होता है डीमैट अकाउंट के क्या फायदे हैं? जो अपनी आय का निवेश भारत और विदेशों में भी करते हैं ।दे श के अंदर और विदेशों की कमाई को एक साथ मैनेज करने के लिए इसमें एनआरओ खाते का प्रयोग किया जाता है ।

इस प्रकार से मुख्यतः तीन तरह के जिनको एक निवेशक अपनी सुविधा अनुसार अपने अपने निवेश के अनुसार खुलवा सकते हैं

डीमैट अकाउंट खोलना चाहते हैं तो ये बातें जान लें

अगर आप भी सीधे शेयरों में निवेश करना चाहते हैं तो आप ऑनलाइन ट्रेडिंग और डीमैट अकाउंट खोलकर ऐसा कर सकते हैं.

डीमैट अकाउंट खोलना चाहते हैं तो ये बातें जान लें

अगर आप भी सीधे शेयरों में निवेश करना चाहते हैं तो आप ऑनलाइन ट्रेडिंग और डीमैट अकाउंट खोलकर ऐसा कर सकते हैं.

जानिए कैसे खुलेगा यह अकाउंट:

ब्रोकरेज कंपनियां खोलती हैं यह अकाउंट

ऑनलाइन निवेश करने के लिए ब्रोकिंग खाते की जरूरत होती है. इसे एचडीएफसी सिक्योरिटीज, आईसीआईसीआई डायरेक्ट, एक्सिस डायरेक्ट, फेयर्स और जेरोधा जैसे किसी भी ब्रोकरेज के पास जाकर खोला जा सकता है.

ट्रेडिंग के लिए डीमैट काफी नहीं

शेयरों में सीधे निवेश करने के लिए आपके पास तीन खाते होने चाहिए. इनमें बैंक खाता, ट्रेडिंग खाता और डीमैट खाता शामिल हैं. ट्रेडिंग खाते के बगैर डीमैट खाता अधूरा है. डीमैट खाते में आप सिर्फ डिजिटल रूप में शेयरों को रख सकते हैं.

जबकि ट्रेडिंग अकाउंट के साथ आप शेयर, आर्इपीओ, म्यूचुअल फंड और यहां तक गोल्ड में निवेश कर सकते हैं. इसके बाद आप इन्हें डीमैट खाते में रख सकते हैं.

डीमैट में शेयरों के रखरखाव का काम डेपॉजिटरी पार्टिसिपेंट (डीपी) करते हैं. इनमें नेशनल सिक्योरिटी डिपॉजिटरी लिमिटेड (एनएसडीएल) और सेंट्रल डिपॉजटरी सर्विसेज लिमिटेड (सीडीएसएल) शामिल हैं.

एक से दूसरे खाते में इस तरह जाती है रकम

-पहले आपके सेविंग्स बैंक अकाउंट से ट्रेडिंग अकाउंट में रकम आती है.

-ट्रेडिंग अकाउंट की अपनी खास आर्इडी होती है. इस खाते की मदद से शेयरों की खरीद-फरोख्त की जा सकती है.

-जितने शेयर खरीदे या बेचे जाते हैं, यह डीमैट खाते में दिखता है. डीमैट खाते का इस्तेमाल बैंक की तरह होता है जहां शेयरों को जमा किया जाता है.

ब्रोकरेज फर्म की फीस देख लें

किसी भी वित्तीय सेवा की तरह डीमैट खाते के साथ भी चार्ज जुड़े होते हैं. इसमें ब्रोकर को चुनने में खास ध्यान देना चाहिए. खाता खोलने की फीस और ब्रोकिंग चार्ज के अलावा ट्रांजैक्शन चार्ज को भी देख लेना चाहिए.

डीमैट अकाउंट क्या होता है ? what is demat account in hindi mrvalu पर आसान शब्दों में

आप सबको पता होगा कि शेयर मार्केट में निवेश की शुरुआत करने का सबसे पहला स्टेप होता है डिमैट अकाउंट खोलना पर Demat account kya hota hai ? what is demat account ये कैसे काम करता है? इसके बारेमे आपको कोई नही बताएगा। इंटरनेट पर तो कई सारे आर्टिकल मिल जायेंगे लेकिन सब आर्टिकल में पूरी जानकारी नहीं दी हुई है और ऐसे शब्दों का उपयोग किया हुआ है जो आपको समझ ही नही आयेंगे। इसीलिए आपको mrvalu पर Demat account kya hota hai ? what is demat account in hindi आर्टिकल आसान शब्दों में बताया है तो आप mrvalu के इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़ना।

Demat account kya hota hai? what is demat account in hindi

हम थोड़े पास्ट में चलते है और समझते है की डीमैट अकाउंट की शुरुआत कैसे हुई थी।

लगभग सन 1999 के पहले ऑनलाइन कोई प्रोसेस नही होती थी तब हमे ट्रेडिंग करने के लिए या किसी कंपनी का शेयर खरीदने के लिए स्टॉक एक्सचेंज पर जाना पड़ता था। उस समय में हम किसी शेयर को खरीदते तो हमे स्टॉक एक्सचेंज के और से कागज के रूप में शेयर को दिया जाता था। स्टॉक एक्सचेंज क्या हैं और शेयर की शुरूआत कैसे हुई इसके बारे में ज्यादा जानना चाहते है तो आप " share market kya hai in hindi आसान शब्दों में " इस ब्लू लिंक को क्लिक करके शेयर के बारे में ज्यादा जानकारी ले सकते हो।

जब कंप्यूटर और इंटरनेट का जमाना आया तब आविष्कार हुआ Dmate account का और डीमैट अकाउंट के आनें से कई प्रोब्लम का सॉल्युसन हो गया जैसे की हमे अब स्टॉक एक्सचेंज पर जाना नही पड़ता है, लिक्विडिटी ज्यादा हो गई है, नई कंपनी IPO के जरिए अच्छा फंड जुटान लगी, बहुत सारे लोगों को स्टॉक मार्केट के बारे में सीखने और कमाने का अवसर मिला ऐसे बहुत सारे फायदे हमे डिमैट अकाउंट से हुए है और सबसे बड़ा फायदा ये हुआ की हमे कोई कागज के रूप में शेयर रखने की जरूरत नहीं है क्योंकि अब हमारे डीमैट अकाउंट में डिजीटल रूप में शेयर रहता है।

डीमैट अकाउंट का पूरा नाम है "Dematerialize Account" यानी की कोई मैटेरियल(कागज आदि) के उपयोग किए बिना इंटरनेट की मदद से ऑनलाइन अकाउंट ओपन किया जाता है। जैसे ही हम ओनलाइन Paytm, Google pay आदि में अकाउंट ओपन करते है वैसे ही डीमेट अकाउंट ओपन किया जाता है और जैसे हमे Paytm में पैसे दिखते है वैसे ही हमें डीमैट अकाउंट में कितने और कौनसी कंपनी के शेयर लिए है और कितने पैसे हमारे डीमेट अकाउंट में है ये सब दिखता है।

Demat account और tradimg account का उपयोग क्या है in hindi

डीमैट अकाउंट का उपयोग होता है आप जिस कंपनी के शेयर को खरीदते है उस शेयर को डीमैट अकाउंट में स्टोर करना और ट्रेडिंग अकाउंट का काम होता है कंपनी के शेयर को खरीदने के लिए पैसे को स्टोर करना। डीमेट और ट्रेडिंग अकाउंट दोनो एक साथ ही जुड़ेहुए होते है मतलब आप सिर्फ डीमेट अकाउंट को नही खोल सकते हो और ना ही आप खाली ट्रेडिंग अकाउंट को खोल सकते हो।

Demat account काम कैसे करता है in hindi

डीमैट & ट्रेडिंग अकाउंट काम कैसे करता हैं? हमने नीचे एक इमेज और उसके नीचे नंबर अनुसार बताया है जिससे आपको पूरा समझ समझ आ जायेगा।

उपर इमेज में बताया है stock buy करने के लिए बैंक अकाउंट से ट्रेडिंग अकाउंट में पैसे ट्रांसफर करने पड़ते है और वो पैसे ट्रेडिंग अकाउंट में स्टोर रहते है।

जब कोई ट्रेडर शेयर को buy करेगा तब स्टॉक एक्सचेंज उस buyer के लिए seller सर्च करेगा। उसके बाद स्टॉक एक्सचेंज buyer के ट्रेडिंग अकाउंट से seller के ट्रेडिंग अकाउंट में पैसे को डिपॉजिट करेगा जिसमे 2 दिन का समय लगता है।

जब seller के ट्रेडिंग अकाउंट में पैसे डिपोजिट हो जायेंगे तब seller के डीमैट अकाउंट से शेयर buyer के डीमैट अकाउंट में ट्रांसफर हो जायेंगे।

शेयर buyer के डीमैट अकाउंट में शेयर ट्रांसफर होने के लिए T+2 दिन का टाइम लगता है क्योंकि buyer के ट्रेडिंग अकाउंट से seller के ट्रेडिंग अकाउंट में पैसे ट्रान्सफर होने का प्रोसेस को पूरा होने के लिए T+2 दिन का समय लगता है

डीमैट अकाउंट और ट्रेडिंग अकाउंट दोनो ज्वाइंट ही होते है इसीलिए हम लोग ज्यादातर डीमैट अकाउंट शब्द का उपगोग करते है मतलब है "डीमैट अकाउंट में पैसे ट्रांसफर हो जायेंगे" ऐसे ही बोलते है इसीलिए आगे आपको ऐसा लिखा हुआ मिले तब कन्फ्यूज नही होना है।

T+2 settlement meaning in hindi शेयर मार्केट में T+2 दिन का settlement टाइम क्यों लगता है?

जब बायर किसी शेयर को खरीदते है तब बायर के ट्रेडिंग अकाउंट में से पैसे बायर के ब्रोकर के अकाउंट में जाते है उसके बाद बायर के ब्रोकर को NSE के द्वारा इनफॉर्म किया जाता है की उसे किस सेलर के ब्रोकर के अकाउंट में पैसे ट्रांसफर करने है और उसके बाद बायर का ब्रोकर सेलर के ब्रोकर के अकाउंट में पैसे ट्रांसफर करता है और सेलर का ब्रोकर बायर के अकाउंट में शेयर ट्रांसफर करता है इन प्रोसेस को 2 दिन लगते है इसीलिए जब बायर किसी शेयर को खरीदता है तब उसके अकाउंट में शेयर को आने के लिए T+2 दिन का टाइम लगता है।

T+2 में T का मतलब Trade यानी जिस दिन Trade किया उसके 2 दिन के बाद बायर के डीमैट अकाउंट में शेयर आयेगा और अगर शेयर को सेल किया है तब Trade करने के 2 दिन के बाद डीमैट अकाउंट में पैसे आयेंगे।

जब जब शेयर खरीद कर उस दिन ही बेचते है उसे intraday ट्रेडिंग कहते है intraday ट्रेडिंग में हमारे ट्रेडिंग अकाउंट में पैसे आने के लिए T+2 दिन का समय नही लगता है और अगर हम F&O करते है तब उसमे भी T+2 दिन का समय नही लगता है क्योंकि इसमें मेने ऊपर बताई हुई प्रोसेस नही होती है।

F&O (Future and Option) का क्या मतलब होता है

किसी भी ब्रोकर से हम अपना Demat account कैसे खोलें in hindi

जैसे की हमने आपको बताया डीमेट और ट्रेडिंग अकाउंट एक साथ ज्वाइंट होते है इसीलिए आज कल ट्रेडिंग अकाउंट शब्द का उपयोग बहुत कम हो गया है अगर हम डीमेट अकाउंट को खोलते है तब उसके साथ ही हमारा ट्रेडिंग अकाउंट खुल जायेगा। ट्रेडिंग करने के लिए हमे trading terminal की जरूरत होती है जो हमारा ब्रोकर हमे प्रोवाइड करता है।

आप अपने हिसाब से किसी भी ब्रोकर के पास अपना डीमेट अकाउंट को खोल सकते है zerodha, Angel broking, upstock जैसे बहुत सारे ब्रोकर है आपको जो भी ब्रोकर अच्छा लगे उसके के पास अपना अकाउंट खोल सकते है। में कोटक सिक्योरिटी का उपयोग करता हु जो बहुत अच्छा ब्रोकर है और मुझे पसंद भी है और उसकी सर्विस भी अच्छी है आप अगर कोटक सिक्योरिटी में अपना अकाउंट ओपन करना चाहते ही तो उसकी लिंक मेने नीचे दी है।

डीमैट अकाउंट के क्या फायदे हैं?

डीमैट खाता ट्रेडर्स को एक डिजिटल प्लेटफॉर्म प्रदान करता है जहां वे अत्यधिक सुरक्षा के साथ शेयर रख सकते हैं। यह शेयरों की चोरी, जालसाजी, हानि और क्षति की संभावना भी समाप्त करता है। आइये यहां जानें कि डीमैट अकाउंट के क्या फायदे है?

फिजिकल बांड्स और शेयर्स में कागजात के खोने की सम्भावना ज्यादा रहती है। इसलिए ऑनलाइन फॉर्मेट में शेयर को जमा करना बहुत बेहतर रहता है क्योंकि यह आपको अपने शेयर का स्थायी रिकॉर्ड अपने पास रखने में सक्षम बनाता है।

फिजिकल बांड्स और शेयर्स के मामले में, धोखे से जुड़े जोखिम काफी ज्यादा रहते हैं। लेकिन जब एक डीमैट अकाउंट को बिना कागजात के संचालित करने की बात आती है जालसाजी के मामले कम हो जाते है।

अपने बचत के लिए सिक्योरिटी डिपोसिट के अलावा, आप अपने द्वारा खोले गए डीमैट खाते में रखी गई सिक्युरिटीज के माध्यम से विभिन्न बैंक लोन तक प्रवेश कर सकते हैं। आपको बैंक से लोन डीमैट अकाउंट के क्या फायदे हैं? प्राप्त करने के लिए सिक्युरिटीज को संपार्श्विक के रूप में गारंटी दी जा सकती है।

ऑनलाइन लेनदेन के स्पष्ट लाभों में से एक लागत में कमी है। इसी तरह, यदि आप ऑनलाइन एक डीमैट खाता खोलती है, तो यह आपको स्टांप ड्यूटी और फिजिकल बांड के लिए आवश्यक अन्य हैंडलिंग शुल्क जैसे खर्चों को कम कर सकता है।

डीमैट खाते का उपयोग करके शेयर खरीदने और बेचने का समय न्यूनतम है। इसलिए, इस मामले में शेयरों की तरलता आसान है। ऑनलाइन लेनदेन को काफी कम समय में संसाधित किया जाता है क्योंकि सिक्योरिटीज को एक डीमैटरियलाइज्ड रूप में जमा किया जाता है।

डीमैट अकाउंट खोलने से आपके भौतिक दस्तावेजों की संख्या शून्य रहती है। इससे आप आसानी से सभी दस्तावेजों को ट्रैक कर सकते हैं।

करदाताओं के मुद्दों में से एक स्रोत पर TDS या कर कटौती है। जब आप डीमैट अकाउंट से भुगतान करते हैं तो CBDT ने स्रोत पर कर कटौती (TDS) से छूट दी है।

डीमैट खातों के प्रसार के साथ वैश्वीकरण को भी काफी प्रोत्साहित किया जाता है। विदेशी निवेशकों को इन खातों के माध्यम से भारतीय शेयर बाजार तक आसानी से पंहुचा दिया जाता है जिससे भारत की अर्थव्यवस्था को लाभ होता है।

यदि आप शेयर बाजार में निवेश करने जा रहे हैं तो आपके लिए डीमैट अकाउंट से डीमैट अकाउंट के क्या फायदे हैं? जुड़े लाभ के बारे में भी जानना जरुरी हो जाता है। डीमैट से आपके सारे दस्तावेज सुरक्षित रहते हैं, आप ट्रेडिंग से जुड़े धोखाधड़ी के नुकसान से भी राहत मिलती है।

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