क्या होता है निवेश और आपके लिए क्यों है ये इतना जरूरी?
अपनी कमाई से हुई आय को किसी ऐसे एसेट या विकल्प में लगाने की प्रक्रिया जिसमें उस खास एसेट या विकल्प की अपनी खुद की विशेषताओं की मदद से समय के साथ आपके पैसों में बढ़त दर्ज होने की उम्मीद हो निवेश कहलाती है।
नई दिल्ली, ब्रांड डेस्क। लगभग हर दिन आपके पास ऐसे फोन कॉल्स आते होंगे जिसमें कोई आपको ऐसी योजनाओं में पैसा लगाने की सलाह देता है जहां आने वाले समय में आपको अच्छा फायदा हो सकता है। वहीं स्टॉक मार्केट में कमाई और नुकसान की बहस का कई बार आप भी हिस्सा बन चुके होंगे। इन सभी मौकों पर आप एक शब्द से बार बार गुजरते होंगे वो है निवेश या investment। खास बात है कि लोगों की जिंदगी में इतना आम होने के बाद भी इस जादुई शब्द की वास्तविक समझ बहुत कम लोगों के पास ही होती है। आप ही नहीं हर दिन दुनिया भर की सरकारें, बैंक और अरबपति इस शब्द से उलझते हैं, क्योंकि ये सभी जानते हैं कि किसी का भी भविष्य इस बात पर निर्भर करता है कि वर्तमान में उसने निवेश को इन्वेस्टमेंट क्या होता है? लेकर कितनी गंभीरता दिखाई है।
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क्या होता है निवेश?
मान लीजिये कि आप नौकरी करते हैं और आपका खाता स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में है और साथ ही आपने सोने के कुछ गहने खरीदे हैं। अब आप बताएं कि क्या ऐसा होता है कि आप अपनी शिफ्ट पूरी कर कुछ देर स्टेट बैंक ऑफ इन्वेस्टमेंट क्या होता है? इंडिया में जाकर काम करते हैं क्योंकि आपको उम्मीद है कि इससे आपके खाते में रखी रकम कुछ और बढ़ जाएगी और क्या आप इसके बाद किसी ज्वैलर के साथ काम करने चले जाते हैं जिससे आपका सोना थोड़ा और कीमती हो जाए। नहीं ऐसा नहीं होता.. आप अपना काम खत्म कर घर जाते हैं और आराम करते हैं, और जिस समय आप घर में आराम कर रहे होते हैं उस समय भी आप स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में जमा आपने पैसों पर थोड़ा या बहुत ब्याज कमा रहे होते हैं और साथ ही आपके लॉकर में रखे सोने की कीमतों में भी बदलाव हो रहा होता है। और ये सब तब होता है जब शायद आप कुछ नहीं कर रहे होते। यही होता है निवेश। यानि अपनी कमाई से इन्वेस्टमेंट क्या होता है? हुई आय को किसी ऐसे एसेट या विकल्प में लगाने की प्रक्रिया, जिसमें उस खास एसेट या विकल्प की अपनी खुद की विशेषताओं की मदद से समय के साथ आपके पैसों में बढ़त दर्ज होने की उम्मीद हो निवेश कहलाती है। आसान शब्दों में निवेश वो तरीका होता है जिसमें आप अपनी रकम पर सही समय पर किए गए फैसले के आधार पर बिना श्रम के इन्वेस्टमेंट क्या होता है? अतिरिक्त पैसा पाने के हकदार बनते हैं।
निवेश क्यों जरूरी होता है?
चलिए आपसे हम दो सवाल पूछते हैं. पहला क्या भविष्य में आपके खर्चे बढेंगे. यकीनन लगभग सभी इसका जवाब हां में इन्वेस्टमेंट क्या होता है? देंगे. अगर महंगाई बढ़ेगी या फिर परिवार बढ़ेगा तो खर्च भी बढ़ेगा। अब दूसरा सवाल क्या भविष्य में आपके खर्चों के हिसाब से आपकी कमाई या आय भी बढेगी. इसका जवाब शायद ही किसी के पास होगा। महामारी, आर्थिक मंदी, महंगाई में तेज उछाल, बढ़ती उम्र कई फैक्टर हैं जिसकी वजह से आय को लेकर अनिश्चितता बनी रहती है। यही वजह है कि आने वाले समय में अपने खर्च को पूरा करने, अपने लक्ष्य को पाने यहां तक कि अपने सपनों के लिए भी आपको आय के ऐसे स्रोत की आवश्यकता होती है, जो अपने बल पर आपको आर्थिक रूप से मजबूत बना सकें। सही समय पर पैसों को ऐसे ऐसेट्स या विकल्पों में लगाना जो अपने बल पर खुद ही आपको पैसों को बढ़ाते रहें,बेहतर भविष्य को सुनिश्चित करने में अहम भूमिका निभाते हैं। सबसे बड़ी बात, ये उस समय भी काम करते रहते हैं जब आप अपना काम छोड़ने की स्थिति में आ जाते हैं जैसे रिटायरमेंट आदि।
क्या हर निवेश में पैसा बनता है?
ध्यान देने की बात ये है कि निवेश अतिरिक्त आय की उम्मीद में किया जाता है. लेकिन वास्तविकता में आपको नुकसान भी हो सकता है। दरअसल निवेश बेहद सोच समझ कर की जाने वाली प्रक्रिया है। जिसे बेहद गंभीरता से लिया जाना चाहिए. सही समय पर सही जगह लगाई गई मामूली रकम आपको बेहद ऊंचा रिटर्न दे सकती है। हालांकि गलत फैसले आपकी पूरी पूंजी भी डुबा सकते हैं। 5paisa निवेशकों को वो सभी जरूरी जानकारियां उपलब्ध कराता है जिससे वो निवेश से जुड़ा सही फैसला ले सकें और अपनी कमाई को समय के साथ और आगे बढ़ता हुआ देख सकें।
फिक्स्ड इनकम इन्वेस्टमेंट क्या होता है? गारंटीड रिटर्न के लिए इस फेस्टिव सीजन ये हैं निवेश के बढ़िया ऑप्शन
फिक्स्ड इनकम इन्वेस्टमेंट ऐसे असेट या सिक्योरिटी को कहते हैं, जो इन्वेस्टर को फिक्स्ड इंटरेस्ट या डिविडेंड के तौर पर एक स्टेडी कैश फ्लो देता है. रिस्क वाले असेट्स जितना प्रॉफिट आपको यहां भले ही न मिले, लेकिन आप ज्यादा बेफिक्र रह सकते हैं.
फिक्स्ड इनकम इन्वेस्टमेंट हमेशा से ऐसे निवेशकों की पंसद रहा है, जो रिस्क न लेकर एक स्टेबल रिटर्न की चाह रखते हैं. इस फेस्टिव सीजन में अगर आपके साथ ऐसी सिचुएशन है कि अचानक कैश का विंडफॉल हुआ है, या फिर आपके पास कुछ पैसे जमा हुए हैं, जिन्हें आप निवेश में लगाना चाहते हैं, लेकिन अपनी पूंजी पर ज्यादा रिस्क भी नहीं लेना चाहते तो आपके लिए फिक्स्ड इनकम इन्वेस्टमेंट का ऑप्शन बढ़िया हो सकता है. लेकिन सवाल है कि फिक्स्ड इनकम इन्वेस्टमेंट का मतलब क्या है? जैसा कि नाम से ही साफ है कि निवेश के ऐसे माध्यम जो आपको मैच्योरिटी तक एक बंधी-बधाई गारंटीड रिटर्न देते हैं. और मैच्योरिटी पर निवेशक को उसका मूलधन भी वापस मिल जाता है.
फिक्स्ड इनकम इन्वेस्टमेंट ऐसे असेट या सिक्योरिटी को कहते हैं, जो इन्वेस्टर को फिक्स्ड इंटरेस्ट या डिविडेंड के तौर पर एक स्टेडी कैश फ्लो देता है. रिस्क वाले असेट्स जितना प्रॉफिट आपको यहां भले ही न मिले, लेकिन आप ज्यादा बेफिक्र रह सकते हैं.
फिक्स्ड इन्वेस्टमेंट प्रॉडक्ट्स में सरकारी या कॉरपोरेट बॉन्ड, या फिर सरकारी सेविंग्स स्कीम जैसे कई ऑप्शन्स आपको मिल जाएंगे. इसके अलावा फिक्स्ड इनकम एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ETFs) और फिक्स्ड इनकम म्युचुअल फंड भी इसमें शामिल हैं. हम यहां कुछ ऐसे ही विकल्पों पर नजर डालेंगे.
Debt Funds
Debt funds सरकारी या कॉरपोरेट बॉन्ड में निवेश करते हैं. इनमें जोखिम कम होता इन्वेस्टमेंट क्या होता है? है, लेकिन रिटर्न भी उसी हिसाब से कम होता है. चूंकि इसी वजह से इसे सेफ इन्वेस्टमेंट माना जाता है.
सीनियर सिटिजंस सेविंग्स स्कीम (Senior Citizens Savings Scheme)
60 साल के ऊपर के लोगों के लिए यह अच्छा निवेश का ऑप्शन है. इसमें लो टैक्स ब्रेकेट होता है और रेगुलर इनकम आती रहती है. इसमें निवेश की अवधि पांच साल होती है, जिसे अगले तीन साल और बढ़ाया जा सकता है. इसमें अधिकतम 15 लाख रुपये का निवेश कर सकते हैं.
पब्लिक प्रॉविडेंट फंड (Public Provident Fund)
पीपीएफ या पब्लिक प्रॉविडेंट फंड निवेश की एक पॉपुलर स्कीम है. लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट के लिए यह आपके बड़े काम आ सकती है. इसमें अच्छे इंटरेस्ट रेट पर रिटर्न मिलता है और टैक्स में छूट भी मिलती है. इनकम टैक्स एक्ट की धारा 80C में यह निवेश दिखाने पर आपकी टैक्सेबल इनकम कम हो सकती है. इसमें एक साल में डेढ़ लाख तक की रकम निवेश की जा सकती है.
वॉलेंटरी प्रॉविडेंट फंड (Voluntary Provident Fund)
वॉलेंटरी प्रॉविडेंट फंड भी पीपीएफ जैसा ही है, यह बस किसी सैलरीड इंप्लॉई की ओर से अपनी मर्जी से लिया गया सैलरी कट होता है, जो उसके प्रॉविडेंट फंड अकाउंट में जमा होता रहता है और इससे लॉन्ग टर्म के लिए वेल्थ एक्युमुलेट कर सकता है.
इसके अलावा प्रधानमंत्री वय वंदना योजना, सुकन्या समृद्धि योजना, पोस्ट ऑफिस रिकरिंग डिपॉजिट, पोस्ट ऑफिस मंथली इनकम स्कीम, पोस्ट ऑफिस टाइम डिपॉजिट, बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट जैसे कई और ऑप्शंस हैं, जो आपको फिक्स्ड इनकम दे सकते हैं.
Mutual Funds vs Shares: आपके लिए क्या है निवेश का बेहतर तरीका? जानिए पूरी डिटेल
Mutual Funds vs Shares: अगर आप शेयर बाजार में पैसा लगाना चाहते हैं तो सीधा स्टॉक खरीद सकते हैं जिसके लिए डीमैट अकाउंट जरूरी है. इसके अलावा म्यूचुअल फंड की मदद से भी बाजार इन्वेस्टमेंट क्या होता है? में पैसा निवेश किया जा सकता है. दोनों में कौन बेहतर है, यह आपके लक्ष्य और रिस्क लेने की क्षमता पर निर्भर करता है.
Mutual Funds vs Shares: शेयर बाजार में निवेश का दो प्रमुख तरीका है. पहला तरीका है कि आप सीधा डीमैट अकाउंट से शेयर खरीदें और लंबी अवधि के निवेशक बनें. दूसरा तरीका है कि आप म्यूचुअल फंड की मदद से बाजार में SIP करें और लंबी अवधि में आपको मोटा रिटर्न मिलेगा. निवेश का दोनों तरीका बेहद पॉप्युलर है. आपके लिए इसमें कौन तरीका ज्यादा सुटेबल है, यह इस बात पर निर्भर करता है कि आफकी बाजार को लेकर समझ कितनी है. अगर समझदारी से निवेश का फैसला नहीं किया तो आपका पैसा डूब भी सकता है.
कब करें सीधा शेयर बाजार में निवेश?
अगर आप शेयर बाजार में दिलचस्पी रखते हैं और बाजार के उठापटक को समझते हैं तो सीधा स्टॉक में निवेश किया जा सकता है. स्टॉक में निवेश के लिए आपके पास डीमैट अकाउंट होना जरूरी है. डीमैट अकाउंट की मदद से स्टॉक खरीद और बेच सकते हैं. आपको कहां निवेश करना, किस सेक्टर में निवेश करना है और किस कंपनी का स्टॉक खरीदना है, यह आपका निजी फैसला होगा. हालांकि, बाजार के जानकारों की राय लेना जरूरी होता है. आप सीधा स्टॉक में निवेश करेंगे तो संभव है कि आपक रिटर्न ज्यादा मिले. दूसरी तरफ स्टॉक के गिरने पर नुकसान भी मोटा होगा.
ट्रेडर हैं या निवेशक?
बाजार में निवेश से पहले रिसर्च करना जरूरी होता है. स्टॉक के निवेशक दो तरह के होते हैं. पहला ट्रेडर होते हैं, जिनका यहा पेशा होता है. दूसरा आप धीरे-धीरे स्टॉक में निवेश करें और लंबी अवधि के निवेशक बनें. इस बात को ध्यान में रखना जरूरी है कि स्टॉक के प्रदर्शन से आपके पोर्टफोलिय पर डायरेक्ट असर होता है, ऐसे में यह आपके लिए इमोशनल जर्नी होती है.
किनके लिए है म्यूचुअल फंड?
जो निवेशक शेयर बाजार में निवेश करना चाहते हैं, लेकिन उन्हें इसके बारे में कम जानकारी है या फिर वे रिस्क नहीं लेना चाहते हैं तो म्यूचुअल फंड बेहतर विकल्प है. म्यूचुअल फंड में आपका पैसा फंड मैनेजर निवेश करता है जिसके पास निवेश और बाजार का लंबा अनुभव होता है. म्यूचुअल फंड का एक और फायदा ये है कि आपका पैसे अलग-अलग असेट्स, अलग-अलग सेक्टर और अलग-अलग स्टॉक में निवेश किया जाता है. डायवर्सिफिकेशन के कारण आपका पोर्टफोलियो बैलेंस्ड रहता है.
कैसे पता करें आपके लिए कौन बेहतर?
आपके लिए दोनों में कौन बेहतर विकल्प है? यह एक कठिन प्रश्न है. हालांकि, यह पूरी तरह आपके लक्ष्य और रिस्क पर निर्भर करता है. अगर निवेश की शुरुआत कर रहे हैं तो म्यूचुअल फंड बेहतर विकल्प माना जाता है. म्यूचुअल फंड में भी इक्विटी फंड का रिस्क ज्यादा होता है, जबकि डेट फंड में रिस्क कम होता है. अगर आप नए हैं और कम रिस्क उठाना चाहते हैं तो एक्सचेंज ट्रेडेड फंड भी निवेश का शानदार विकल्प है. दोनों में कई समानताएं भी हैं.
म्यूचुअल फंड है मोटा फंड बनाने का बेहतर विकल्प, जानें कैसे करें निवेश की शुरूआत, कितना मिलेगा रिटर्न?
म्यूचुअल फंड को एएमसी यानी एसेट मैनेजमेंट कंपनियां ऑपरेट और मैनेज करती है.
म्यूचुअल फंड बहुत सारे लोगों के पैसों से बना हुआ एक फंड होता है. इसमें एक फंड मैनेजर होता है जो इसे सुरक्षित तरीके से अ . अधिक पढ़ें
- News18Hindi
- Last Updated : October 24, 2022, 08:30 IST
हाइलाइट्स
MF कई निवेशकों से छोटी-छोटी रकम इकट्ठा कर एक साथ किसी कंपनी में निवेश करता है.
म्यूचुअल फंड में निवेश करने के लिए आपके पास ज्यादा पैसे होना बिलकुल जरूरी नहीं है.
म्यूचुअल फंड में निवेश की शुरूआत आप 500 या 1000 रुपये की SIP से भी कर सकते हैं.
नई दिल्ली. मौजूदा समय में हमारे पास निवेश के लिए कई तरह के विकल्प उपलब्ध है. लेकिन जानकारी के अभाव में ज्यादातर लोग कहीं भी निवेश करने का फैसला नहीं कर पाते हैं. निवेश के लिए इच्छुक लोग भी मेहनत के पैसे डूबने के डर की वजह से ऐसा करने से बचते हैं. म्यूचुअल फंड एक ऐसा ही विकल्प है जिसके बारे में हम इस आर्टिकल में बात करेंगे. यहाँ हम म्यूचुअल फंड से जुड़ी सारी जानकारी लेकर आए हैं.
म्यूचुअल फंड में निवेश इन्वेस्टमेंट क्या होता है? करना बहुत आसान है. ऐसे कई प्लेटफार्म लॉन्च हो चुके हैं जिनके जरिए आप एक ही जगह से कई म्यूचुअल फंड की स्कीम ले सकते हैं. इसके अलावा आप अपनी म्यूचुअल फंड स्कीम की ग्रोथ, उससे मिलने वाले रिटर्न की तुलना एवं ट्रैकिंग भी इन्हीं प्लेटफॉर्म की मदद से कर सकते हैं.
म्यूचुअल फंड क्या है?
म्यूचुअल फंड एक ऐसा फंड है जिसमें पहले कई निवेशकों का पैसा एक जगह जमा किया जाता है. फिर उस फंड के पैसों को बॉन्ड, शेयर मार्केट सहित कई जगहों पर निवेश किया जाता है. म्यूचुअल फंड को एएमसी यानी एसेट मैनेजमेंट कंपनियां ऑपरेट और मैनेज करती है. आमतौर पर सभी एएमसी में कई तरह की म्यूचुअल फंड स्कीम होती हैं.
दूसरे शब्दों में कहें तो म्यूचुअल फंड बहुत सारे लोगों के पैसों से बना हुआ एक फंड होता है. इसमें एक फंड मैनेजर होता है जो इसे सुरक्षित तरीके से अलग-अलग जगह पर थोड़ा-थोड़ा करके निवेश करता है. एक साथ कई जगह निवेश होने के कारण इसमें घाटे की संभावना तुलनात्मक रूप से कम रहती है.
एएमसी क्या है और ये क्या करती है?
एएमसी ऐसी कंपनियां होती हैं जो अलग-अलग निवेशकों से लेकर जमा किए गए फंड को इक्विटी, बॉन्ड, गोल्ड आदि जगहों पर निवेश करती हैं और उससे मिलने वाले रिटर्न को निवेशकों में फंड यूनिट्स के हिसाब से बांटती हैं. एक तरह से इनका बेसिक काम मैनेजमेंट का होता है. एक अच्छा फंड मैनेजर वह होता है जो फंड को सही जगह पर और सही तरीके से निवेश करता है और निवेशकों को ज्यादा से ज्यादा रिटर्न दिलाता है.
म्यूचुअल फंड कैसे काम करता है?
म्यूचुअल फंड की सबसे खास बात यह है कि इसमें निवेश करने के लिए आपके पास ज्यादा पैसे होना जरूरी नहीं है. इसमें आप सिर्फ 500 रुपये से भी निवेश की शुरुआत कर सकते हैं. अगर आप किसी बड़ी कंपनी के स्टॉक में निवेश करना चाहते हैं लेकिन आपका बजट उसके एक शेयर की कीमत से भी कम है. ऐसी स्थिति में आप म्यूचुअल फंड के जरिए उस कंपनी में सिर्फ 500 रुपये में निवेश की शुरूआत कर सकते हैं. म्यूचुअल फंड बहुत सारे निवेशकों से छोटी-छोटी रकम इकट्ठा कर उसे एक साथ किसी कंपनी में निवेश करती है.
म्यूचुअल फंड में निवेश क्यों करें?
म्यूचुअल फंड में निवेश करने के कई फायदे हैं. इसमें निवेश करने पर आपको किसी कंपनी की ग्रोथ या परफॉर्मेंस को देखते रहने की जरूरत नहीं पड़ती. यह काम आपके बदले फंड मैनेजर करता है. इसमें एएमसी निवेशकों के पैसे को अलग-अलग सेक्टर और एसेट में थोड़ा-थोड़ा करके निवेश करती है. जिससे अगर किसी एक सेक्टर मंदी आ जाती है तो इससे पूरे पोर्टफोलियो पर ज्यादा फर्क नहीं पड़ता.
जितनी चाहें उतनी रकम से करें निवेश की शुरूआत
म्यूचुअल फंड में निवेश की शुरूआत आप 500 या 1000 रुपये की SIP से कर सकते हैं. आप जितने समय अंतराल पर इसमें निवेश करना चाहते हैं यह भी खुद ही तय कर सकते हैं. इसमें आपको साप्ताहिक, मासिक, तिमाही या सालाना आधार पर SIP के ऑप्शन मिलते हैं. म्यूचुअल फंड से आप न केवल शेयर मार्केट बल्कि गोल्ड में भी निवेश कर सकते हैं.
म्यूचुअल फंड में निवेश करने के लिए आप मोबाइल ऐप, सीधे ऐसेट मैनेजमेंट कंपनी की वेबसाइट पर जाकर या किसी एजेंट की मदद से आसानी से कर सकते हैं. इस तरह से छोटी-सी रकम से शुरूआत करके भी आप कुछ समय के बाद अच्छा रिटर्न ले सकते हैं.
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Mutual Funds में निवेश को लेकर है ये 5 कन्फ्यूजन, यहां करें दूर, आएगा कॉन्फिडेंस शानदार रिटर्न के लिए कर सकेंगे निवेश
Mutual funds investment myths and facts: अगर आपके मन में भी म्यूचुअल फंड को लेकर कई आशंकाएं हैं या आप म्यूचुअल फंड को लेकर नए हैं तो आपको इसे अच्छी तरह समझने की जरूरत है.
Mutual funds investment myths and facts: म्यूचुअल फंड के बारे में सुना है लेकिन इसमें निवेश नहीं करते हैं,क्योंकि मन में कई तरह की आशंका या उलझनें हैं. अगर आपके साथ भी है तो आपको इसको समझने की कोशिश जरूर करनी चाहिए. म्यूचुअल फंड को लेकर कई लोगों के मन में कई सवाल उठते हैं. कई लोगों का मानना है कि यह तो सिर्फ एक्सपर्ट के लिए है, म्यूचुअल फंड (Mutual Funds) तो सिर्फ लंबे समय के निवेश के लिए है, इसमें निवेश के लिए बड़ी रकम की जरूरत होती है जैसे कई सवाल हैं. अगर आपके मन में भी म्यूचुअल फंड को लेकर कई आशंकाएं हैं या आप म्यूचुअल फंड को लेकर नए हैं तो आपको इसे अच्छी तरह समझने की जरूरत है. एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया यानी एम्फी इंडिया (amfi india) ने इसको लेकर चल रहे मिथ (Mutual funds investment myths and facts) को क्लियर कर दिया है, ताकि किसी को कोई उलझन या आशंका न रहे.
1. क्या सिर्फ एक्सपर्ट के लिए है Mutual Funds
एम्फी के मुताबिक, वास्तव में, म्युचुअल फंड आम निवेशकों के लिए हैं, जिनके पास सिक्योरिटीज मार्केट (प्रतिभूति बाजार) में निवेश करने के लिए जानकारी या स्किल की कमी हो सकती है. म्युचुअल फंड को निवेशकों के फायदे के लिए व्यापक मार्केट रिसर्च के बाद एक्सपर्ट फंड मैनेजरों द्वारा प्रोफेशनल तरीके से मैनेज किया जाता है. एक म्युचुअल फंड (Mutual funds investment) निवेशकों के लिए अपने पैसे का मैनेजमेंट करने के लिए फुल टाइम प्रोफेशनल फंड मैनेजर हासिल करने का एक सस्ता तरीका है.
2. क्या Mutual Funds में सिर्फ लंबे समय के लिए निवेश करने का है विकल्प
ऐसा नहीं है. म्युचुअल फंड किसी के निवेश करने के मकसद के आधार पर कम समय या लंबी अवधि के लिए हो सकते हैं. अलग-अलग तरह की म्युचुअल फंड स्कीम्स हैं - जो कई तरह की सिक्योरिटीज (प्रतिभूतियों) में - इक्विटी के साथ-साथ लोन सिक्योरिटीज में निवेश करती हैं जो अलग-अलग निवेशक की जरूरत के लिए उपयुक्त हैं. असल में, कई छोटी अवधि की स्कीम्स भी हैं जहां आप कुछ दिनों से लेकर कुछ हफ्तों से लेकर कुछ सालों तक के लिए निवेश कर सकते हैं.
3. क्या Mutual Funds में निवेश शेयर मार्केट की तरह है
म्युचुअल फंड (Mutual Funds) स्टॉक मार्केट (यानी, इक्विटी), बॉन्ड मार्केट (कॉरपोरेट बॉन्ड के साथ-साथ सरकारी बॉन्ड) और मनी मार्केट इंस्ट्रूमेंट्स जैसे ट्रेजरी बिल, कमर्शियल पेपर्स, सर्टिफिकेट ऑफ डिपॉजिट, कोलेटरल बॉरोइंग एंड लेंडिंग ऑब्लिगेशन (CBLO) में निवेश करते हैं. हां. मिनिमम ऑर्डर क्वांटिटी (जैसे G-Secs) के बड़े टिकट साइज के चलते इनमें से कई इंस्ट्रूमेंट्स खुदरा निवेशकों के लिए उपलब्ध नहीं हैं और इसलिए, खुदरा निवेशक म्यूचुअल फंड स्कीम्स के जरिये ऐसे निवेश में भाग ले सकते हैं.
4. क्या सिर्फ बड़ी पूंजी ही Mutual Funds में निवेश करनी होती है
ऐसा बिल्कुल भी नहीं है. ज्यादातर म्यूचुअल फंड योजनाओं में एकमुश्त/बिना किसी ऊपरी लमिट के एक बार के निवेश के लिए सिर्फ ₹5000 और बाद में/अतिरिक्त सदस्यता के लिए ₹1000 के साथ म्यूचुअल फंड में निवेश शुरू किया जा सकता है.इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम्स (ईएलएसएस) के लिए तो निवेश (Invest in mutual funds) की न्यूनतम राशि सिर्फ 500 रुपये है.कोई व्यक्ति सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) के जरिये महज 500 प्रति माह निवेश कर सकता है.
5. क्या डीमैट अकाउंट ओपन कराना होता है
एम्फी (amfi india)की ऑफिशियल वेबसाइट के मुताबिक, एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स को छोड़कर म्यूचुअल फंड (Mutual Funds) यूनिट्स को डीमैट मोड में रखना पूरी तरह से ऑप्शनल है. फिक्स्ड मैच्योरिटी प्लान (FMPs) जैसी क्लोज-एंडेड लिस्टेड स्कीमों सहित दूसरी सभी स्कीम्स के लिए, यह पूरी तरह से निवेशक पर निर्भर है कि वह डीमैट मोड में या पारंपरिक फिजिकल अकाउंटेंट स्टेटमेंट मोड में यूनिट्स को होल्ड करें.
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