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स्वस्थ इंसान का वजन उसकी लंबाई के हिसाब से होना चाहिए, जिसके लिए मानक निर्धारित है। किसी व्यक्ति की ऊंचाई और वजन का अनुपात बीएमआई यानी बॉडी मास इंडेक्स है। बीएमआई एक ऐसा कैलकुलेशन है, जिसके आधार पर आप यह जान पाते हैं कि आप लंबाई और वजन के हिसाब से संतुलित और स्वस्थ हैं या नहीं। बॉडी मास इंडेक्स का पता लगाने के लिए कई सारे ऑनलाइन और ऑफलाइन कैलकुलेटर उपलब्ध हैं। अब सवाल यह है कि यह किस फॉर्मूले पर काम करता है और इसका उपयोग कैसे करें? आइए, जानते हैं इस बारे में विस्तार से:

बॉडी मास इंडेक्स की गणना करने के लिए ऑनलाइन कैलकुलेटर पर आपको अपनी लंबाई और वजन के बारे में जानकारी देनी होती है। ध्यान रहे कि अपनी लंबाई और वजन सही अंकित करें। बॉडी मास इंडेक्स किसी व्यक्ति की ऊंचाई और वजन का उपयोग करके एक सरल गणना होती है, जिसका सामान्य सा फॉर्मूला है:
बीएमआई = वजन / लंबाई स्कवायर
या
बीएमआई = वजन / (ऊंचाई X ऊंचाई)

इनके लिए बीएमआई कैलकुलेटर (Body Mass Index Calculator) का उपयोग सही नहीं

बीएमआई का उपयोग बॉडीबिल्डरों, एथलीटों, गर्भवती महिलाओं, बुजुर्गों या छोटे बच्चों के लिए नहीं किया जाना चाहिए। कारण कि इन मामलों में यह सही गणना नहीं कर पाता। दरअसल, बीएमआई इस बात पर ध्यान नहीं देता है कि क्या वजन को मांसपेशियों या वसा के रूप में लिया जा सकता है। जैसे गर्भवती महिलाओं का वजन केवल उनका नहीं होता, बल्कि इसमें होने वाले बच्चे का भी वजन शामिल होता है।

अगर आपकी ऊंचाई और वजन के आधार पर आपका बीएमआई इंडेक्स 18.5 से कम आता है तो समझ लें कि आपका वजन सामान्य से कम है और आपको इसे बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए। अगर आपका बीएमआई स्तर 18.5 से 24.9 के बीच में है तो यह आदर्श स्थिति है। इस स्थिति में आपका वजन बिल्कुल फिट है और आपके लिए इसे मेनटेन रखना जरूरी है। वहीं, बीएमआई स्तर अगर 25 या अससे ऊपर है तो आपको सावधान हो जाना चाहिए। इस स्थिति में आपको डायबिटीज 2, दिल का रोग या स्ट्रोक होने की अधिक आशंका होती है जबकि 30 से अधिक बीएमआई होने पर मोटापे के सभी दुष्परिणामों के लिए तैयार रहें।

बीएमआई की सीमाएं

केवल बीएमआई नहीं हो सकता स्वस्थ शरीर और मानक वजन का आधार, उम्र और लिंग से भी पड़ता है असर बीएमआई (BMI) यानी बॉडी मास इंडेक्स को एक तरह से आपके शरीर की लंबाई और वजन का अनुपात कहा जा सकता है। बीएमआई ये तो बताता है कि आपके शरीर का वजन आपकी हाईट यानी लंबाई के अनुसार ठीक है या नहीं, लेकिन इसकी अपनी सीमाएं भी हैं। बीएमआई में ये पता लगना मुश्किल हो जाता है कि आपके शरीर के किस हिस्से में कितनी चर्बी यानी फैट जमा है।

विशेषज्ञ बताते हैं कि बीएमआई स्वस्थ शरीर के वजन का एक संकेतक है, लेकिन इसकी सीमाएं हैं। बीएमआई शरीर की संरचना को ध्यान में नहीं रख सकता है। मांसपेशियों, हड्डी के वजन और फैट के कारण शरीर की अपनी विविधता है। ऐसे में केवल मानक बीएमआई के आधार पर स्वस्थ शरीर का आकलन किया जाना उचित नहीं है।

वयस्कों के संदर्भ में बीएमआई की सीमाएं

बीएमआई पूरी तरह से सही नहीं हो सकता है, क्योंकि यह शरीर के अतिरिक्त वजन की माप है, इससे शरीर में अतिरिक्त फैट का पता नहीं चल पाता। अलग-अलग उम्र, लिंग, मांसपेशियों और शरीर में फैट जैसे कारकों से बीएमआई प्रभावित होता है।

उदाहरण के लिए, एक व्यस्क व्यक्ति जो बीएमआई के अनुसार स्वस्थ वजन का माना जाए, लेकिन वह अपने दैनिक जीवन में पूरी तरह से निष्क्रिय है यानी कि वर्कआउट नहीं करता तो ऐसे में उसके शरीर में अतिरिक्त फैट हो सकता है, भले ही उसके शरीर में अतिरिक्त वजन न हो। केवल बीएमआई के आधार पर वह व्यक्ति स्वस्थ नहीं माना जाएगा, जबकि उसी बीएमआई का उच्च मांसपेशी संरचना वाला उससे छोटा व्यक्ति स्वस्थ माना जाएगा।

SIP: ₹500 से मंथली निवेश से 5, 10, 20 साल में कितना बन सकता है फंड, देखें कैलकुलेशन

Mutual Fund SIP calculator: छोटी-छोटी बचत को मंथली निवेश की आदत बना लें, तो आने वाले सालों में लाखों रुपये का फंड आसानी से बना सकते हैं. म्‍यूचुअल फंड एक ऐसा ऑप्‍शन हैं, जहां आप डायरेक्‍ट बाजार के जोखिम उठाए बिना इक्विटी जैसा रिटर्न हासिल कर सकते हैं.

Mutual Fund SIP calculator: छोटी-छोटी बचत को मंथली निवेश की आदत बना लें, तो भविष्‍य में लाखों रुपये का फंड आसानी से बना सकते हैं. म्‍यूचुअल फंड एक ऐसा ऑप्‍शन हैं, जहां आप डायरेक्‍ट बाजार के जोखिम आप 2 अवधि चलती औसत की गणना कैसे करते हैं? उठाए बिना इक्विटी जैसा रिटर्न हासिल कर सकते हैं. म्‍यूचुअल फंड में सिस्‍टमैटिक इन्‍वेस्‍टमेंट प्‍लान (SIP) के जरिए हर महीने एक तय रकम निवेश कर सकते हैं. SIP को लंबी अवधि तक बनाए रखने पर कम्‍पाउडिंग का जबरदस्‍त फायदा मिलता है. आइए जानते हैं, अगर आपने 500 रुपये की मंथली SIP शुरू की है, अगले 5, 10 या 20 साल में कितना फंड बना सकते हैं.

SIP: लॉन्‍ग टर्म औसतन 12% सालाना रिटर्न

म्‍यूचुअल फंड SIP निवेश का एक सिस्‍टमैटिक तरीका है. लंबी अवधि में अधिकांश फंड्स का सालाना एसआईपी रिटर्न औसतन 12 फीसदी या इससे ज्‍यादा रहा है. इसमें निवेशकों को सीधे बाजार के रिस्‍क का सामना नहीं करना पड़ता है. वहीं, रिटर्न भी ट्रेडिशनल प्रोडक्‍ट के मुकाबले ज्‍यादा रहता है.

मान लीजिए, आप 500 रुपये की मंथली SIP शुरू करते हैं. SIP कैलकुलेटर के मुताबिक, 12 फीसदी औसत रिटर्न पर 41,243 लाख रुपये का फंड बना सकते हैं. इसमें आपका 5 साल में कुल निवेश 30,000 रुपये और अनुमानित रिटर्न 11,243 रुपये होगा. यह जरूर ध्‍यान रखें कि म्‍यूचुअल फंड में निवेश में भी रिस्‍क है.

10 साल में कितना फंड

SIP कैलकुलेटर के मुताबिक, 500 रुपये की एसआईपी 10 साल तक जारी रखने पर 1,16,170 रुपये का फंड बना सकते हैं. इसमें आपका 10 साल में कुल निवेश 60,000 रुपये और अनुमानित रिटर्न 56,170 रुपये होगा.

SIP कैलकुलेटर के मुताबिक, 500 रुपये की एसआईपी 20 साल तक जारी रखने पर 4,99,574 रुपये का फंड बना सकते हैं. इसमें आपका 20 साल में कुल निवेश 1.20 लाख रुपये और अनुमानित रिटर्न 3,79,574 रुपये होगा.

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SIP पर बुलिश हैं निवेशक!

एसोसिएशन ऑफ म्‍यूचुअल फंड्स इन इंडिया (Amfi) की ओर से हाल में जारी आंकड़े के मुताबिक, अप्रैल 2022 में इक्विटी म्‍यूचुअल फंड्स में 15,890 करोड़ रुपये का नेट इनफ्लो हुआ. लगातार 14वें महीने इक्विटी फंड्स में इनफ्लो आया है. इक्विटी स्‍कीम्‍स में मार्च 2021 से लगातार निवेश आ रहा है.

एडलवाइस म्‍यूचुअल फंड के हेड (सेल्‍स) दीपक जैन का कहना है, सिस्‍टमैटिक या अनु‍शासित तरीके से निवेश लंबी अवधि में ज्‍यादा फायदा और कम अस्थिर होता है. इसलिए निवेशक रेग्‍युलर निवेश के लिए SIPs को तरजीह दे रहे हैं. निवेशकों का फोकस सिर्फ रिटर्न नहीं बल्कि रिस्‍क एडजस्‍टेड रिटर्न पर है.

जियोपॉलिटिकल टेंशन के चलते ग्‍लोबल मार्केट में लगातार उतार-चढ़ाव बना हुआ है. FPI's की ओर से लगातार आउटफ्लो के बावजूद घरेलू निवेशकों का भरोसा घरेलू बाजारों पर मजबूत है. इसमें सबसे ज्‍यादा पॉजिटिव फ्लो मजबूत एसआईपी (SIP) के जरिए आया है. अप्रैल 2022 में एसआईपी इनफ्लो 11,863 करोड़ रुपये रहा. वहीं, SIP अकाउंट्स 5.39 करोड़ के रिकॉर्ड हाई पर पहुंच गए. अप्रैल में 11.29 लाख नए एसआईपी अकाउंट जुड़े.

आयु के अनुसार नार्मल पल्स रेट : नार्मल रेंज, पल्स रेट vs. हार्ट रेट

पल्स रेट और हार्ट रेट दो ऐसे शब्द हैं जिन्हें अक्सर एक ही माना जाता है। लेकिन क्या वे वास्तव में समान हैं? इस आर्टिकल में हम पल्स रेट के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे। एक मिनट में आपके दिल की धड़कन की संख्या को पल्स रेट कहते हैं, यानी इसे बीट्स प्रति मिनट (बीपीएम) में मापा जाता है। अलग-अलग लोगों की नार्मल पल्स रेट उनकी उम्र और जीवनशैली के आधार पर अलग-अलग होती है। विभिन्न आयु वर्ग के पुरुषों, महिलाओं और बच्चों में पल्स रेट की नार्मल रेंज और हार्ट रेट और पल्स रेट के बीच प्रमुख अंतर जानने के लिए आर्टिकल में विस्तार से चर्चा करेंगे।

नार्मल पल्स रेट (Normal Pulse Rate)

पल्स रेट एक महत्वपूर्ण पैरामीटर है जो महत्वपूर्ण स्वास्थ्य जानकारी देता है। अध्ययनों के अनुसार, नार्मल एडल्ट पल्स रेट 60 से 90 बीट प्रति मिनट (बीपीएम) के बीच होती है। अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन (एएचए)(American Heart Association (AHA)) के अनुसार सामान्य साइनस पल्स रेट 60 बीपीएम से 100 बीपीएम के बीच होती है। आपकी पल्स रेट आपकी आप 2 अवधि चलती औसत की गणना कैसे करते हैं? उम्र, धूम्रपान की आदत, फिटनेस, हवा का तापमान, हृदय रोगों का इतिहास, भावनाओं की अभिव्यक्ति, दवाओं, शरीर के आकार और अनुपात(age, smoking habit, fitness, air temperature, history of cardiovascular diseases, expression of emotions, medicines, body size and proportion) जैसे कारकों से प्रभावित हो सकती है।

  • Total no.of Tests - 81
  • Quick Turn Around Time
  • Reporting as per NABL ISO guidelines

पुरुषों में सामान्य पल्स रेट रेंज(Normal Pulse Rate Range In Men)

वयस्क पुरुषों और महिलाओं में सामान्य पल्स रेट अलग होती है। वयस्कों में पल्स रेट उम्र पर निर्भर करती है। आप आराम कर रहे हैं या व्यायाम कर रहे हैं, इसके आधार पर पल्स रेट भी भिन्न होती है। आराम करते समय पुरुषों में सामान्य पल्स रेट नीचे दी गई है:

Healthy Heart Package

  • Total no.of Tests - 59
  • Quick Turn Around Time
  • Reporting as per NABL ISO guidelines

पल्स रेट vs. हार्ट रेट(Pulse Rate vs Heart Rate)

पल्स रेट और हार्ट रेट दो अलग-अलग पैरामीटर हैं, हालांकि वे समान लग सकते हैं। आपकी हार्ट रेट हृदय की धड़कन को मापती है, जबकि पल्स रेट ब्लड प्रेशर की दर को मापती है। हार्ट रेट से तात्पर्य है कि आपका हृदय प्रत्येक मिनट में कितनी बार धड़कता है, जबकि पल्स उस मोड में होती है जिसके माध्यम से आप अपने हृदय की प्रत्येक धड़कन को महसूस कर सकते हैं। चूंकि, दिल की धड़कन आपके शरीर के माध्यम से ब्लड को पंप करती है, यह ब्लड प्रेशर में बदलाव का कारण बनता है जो आर्टरीज में पल्स रेट उत्पन्न करता है। जब आप स्वस्थ होते हैं, तो आपकी हार्ट रेट आपकी पल्स रेट के साथ बैलेंस बनाती है। जिन लोगों को हृदय संबंधी कुछ समस्याएं होती हैं, उनमें हार्ट रेट की तुलना में पल्स रेट कम होती है। मोटापा, धूम्रपान, शराब का सेवन, दवाएं और शरीर द्रव्यमान जैसे अन्य कारक हैं जो पल्स रेट को प्रभावित कर सकते हैं। समय के साथ हार्ट रेट में परिवर्तन का पता इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (ईसीजी)(electrocardiogram (ECG)) द्वारा लगाया जाता है जबकि समय के साथ पल्स रेट में परिवर्तन का पता फोटोप्लेथिसमोग्राफी (पीपीजी) (photoplethysmography (PPG))द्वारा लगाया जाता है।

विंशोत्तरी दशा – जानें समय व दशा-फल

वैदिक ज्योतिष ग्रंन्थों में अनेकों प्रकार की दशाओं का वर्णन किया गया है, किन्तु इन सब में सबसे सरल, सटीक और लोकप्रिय विंशोत्तरी दशा है। इस दशा का प्रयोग कृ्ष्णमूर्ति पद्धति में भी किया जाता है। यह दशा पद्धति व्यक्ति पर ग्रहों के प्रभाव की समय सीमा के बारे में जानकारी देने की सर्वोत्तम पद्धति है। नीचे अपना विवरण भरें और जानें आपके जीवन में कब-कब किस ग्रह की दशा आएगी और उसका आपके ऊपर क्या प्रभाव पड़ेगा–

विंशोत्तरी दशा पर आधारित भविष्यवाणी ग्रहों के अनुसार की जाती है

जैसा कि विदित है, विंशोत्तरी दशा के द्वारा हमें यह भी पता चल पाता है कि किसी ग्रह का एक व्यक्ति पर किस समय प्रभाव होगा। “महर्षि पराशर” को विंशोत्तरी दशा का पिता माना जाता है। वैसे तो महर्षि ने 42 अलग-अलग दशा सिस्टम के बारे में बताया, लेकिन उन सब में यह सबसे अच्छी दशा प्रणाली में से एक है।

विंशोत्तरी दशा चक्र

यह ज्योतिष में सबसे व्यापक रूप से उपयोग किये जाने वाली दशा है। इस विधि में सभी 9 ग्रहों को एक विशिष्ट समय अवधि आवंटित की जाती है। सभी नौ ग्रहों के महादशा के लिए 120 वर्षों का पूरा चक्र होता है। यह चक्र 9 भागों में बांटा गया है और ज्योतिष में प्रत्येक भाग किसी न किसी ग्रह द्वारा शासित है। इस प्रणाली के अनुसार, मानव की औसत आयु को 120 वर्ष माना जाता है ताकि वह अपने पूरे जीवनकाल में प्रत्येक महादशा से गुजर सके। प्राचीन काल में, औसत आयु इतनी अधिक हो सकती थी, लेकिन अब के समय में यह घटती जा रही है और इसलिए वर्तमान में यह 50-60 साल तक आ गई है।

यह स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि वर्तमान युग में किसी व्यक्ति की औसत आयु 50 प्रतिशत तक होती है। यही कारण है कि एक व्यक्ति सभी ग्रहों आप 2 अवधि चलती औसत की गणना कैसे करते हैं? के महादशा के प्रभावों का अनुभव करने में असमर्थ है।

वैदिक ज्योतिष में इसके संबंध में एक और तरीका परिभाषित है, जिसे अन्तर्दशा और प्रत्यंतर दशा कहा जाता है। महादशाएं लंबे समय तक चलती हैं, वहीं अंतर्दशाएं कुछ महीने से लेकर दो-तीन साल तक की होती हैं, जबकि प्रत्यंतर दशाएं कुछ दिनों से लेकर कुछ महीने तक चलती हैं। किसी भी व्यक्ति की कुंडली में बैठे ग्रहों की समय-समय पर महादशाएं, अंतर्दशाएं और प्रत्यंतरदशाएं आनी ही होती हैं।

विंशोत्तरी दशा या महादशा की गणना कैसे करें?

महादशा की अवधि निर्धारित करने के लिए वैदिक ज्योतिष में एक विशेष विधि पेश की गई है। इस नियम के मुताबिक, प्रत्येक ग्रह को 3 नक्षत्र आवंटित किए जाते हैं, इसलिए नक्षत्रों की संख्या 27 हो जाती है, जो 9 ग्रहों में वितरित होती है। किसी नक्षत्र में ग्रह की महादशा चंद्रमा की नियुक्ति पर आधारित होती है। जन्म के समय नक्षत्र कुछ ग्रहों की महादशा का निर्धारण करते हैं। किसी नक्षत्र में दशा की अवधि चंद्रमा के स्थान पर निर्भर करती है। यदि जन्म के समय चंद्रमा किसी नक्षत्र में प्रवेश करता है, तो आपको उस विशेष नक्षत्र के शासक ग्रह के महादशा की प्राप्ति होगी। इसी प्रकार, यदि चंद्रमा पहले से ही किसी नक्षत्र से हो कर गुजरता है, तो कुछ नक्षत्रों में चंद्रमा की केवल कुछ डिग्री ही रहती है, आपको उस विशेष नक्षत्र के शासक ग्रह के महादशा की बहुत ही कम अवधि प्राप्त होगी।

विंशोत्तरी दशा और इसके परिणाम

विंशोत्तरी दशा में, ग्रहों की महाद्शा के परिणामों को जानने के लिए एक नियम का वर्णन किया गया है। ग्रहों के शुभ और अशुभ प्रभाव लग्न चिन्ह के माध्यम से निर्धारित किए जा सकते हैं। एक ग्रह एक लग्न के लिए शुभ होता है लेकिन वही ग्रह विभिन्न लग्नों के लिए अशुभ हो जाता है। इसलिए, जो परिणाम हमें प्राप्त होते हैं वो एक लग्न से दूसरे लग्न में भिन्न होते हैं।

उदाहरण के लिए: मेष लग्न के लिए, शनि शुभ ग्रह होता है, वहीं वृषभ लग्न के लिए भी, शनि ग्रह ही शुभ होता है। कन्या लग्न चिन्ह के लिए, बुध शुभ और प्राकृतिक लाभ ग्रह है, इसी तरह कैंसर लग्न के लिए, मंगल लाभकारी ग्रह होता है।

हमें किसी भी लग्न और लाभकारी ग्रह की ताकत के बारे में जानकारी होनी चाहिए है, क्यूंकि यह किसी विशेष ग्रह के पूर्ण और आंशिक परिणाम को तय करता है। यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में कोई ग्रह कमज़ोर है तो जातक उस ग्रह के महादाशा के दौरान उसके शुभ फल का अनुभव नहीं कर पायेगा। लेकिन यदि यह कुंडली में सही स्थान पर है, तो महादाशा के दौरान यह व्यक्ति को सभी प्रकार के सुख और समृद्धि से भर देता है।

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