एक लाभ लेने वाला उपकरण
श्रेणीक्रम में संयोजित करने के .
श्रेणीक्रम में संयोजित करने के स्थान पर वैद्युत् युक्तियों को पाश्श्व क्रम में संयोजित करने के क्या लाभ हैं?
Updated On: 27-06-2022
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Solution : पासर्वकर्म में संयोजित करने के निम्न लाभ होते हैं
(i) प्रतिरोधों को पार्श्वक्रम में जोड़ने से किसी भी चालक में स्विच की सहायता से विद्युत् धारा स्वतंत्रतापूर्वक भेजी अथवा रोकी जा सकती है
(ii) एक लाभ लेने वाला उपकरण ऐसा करने से सभी समांतर शाखाओं के सिरों के बीच का विभवांतर वराबर होता है। इसलिए लैंप, विजली की प्रेस, रेफ्रीजरेटर, रेडियो आदि को एक ही विभव पर प्रचलन के योग्य बनाया जा सकता है।
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दोस्तों हम को प्रश्न में पूछा गया है कि श्रेणी क्रम में संयोजित करने के स्थान पर वैद्युत युक्तियों को पाठ्यक्रम में संयोजित करने के क्या लाभ है तो पाठ्यक्रम को हम समांतर क्रम भी बोल सकते हैं समांतर क्रम इसलिए क्योंकि पास क्रम पर सभी उपकरण जो रहते हैं वह समांतर धारा लेते हैं और उनका वैभव सामा रहता है अब श्रेणी क्रम में संयोजित करने की स्थान पर व्यक्तियों को पास कर में क्यों संयोजित करते हैं इसके लाभ क्या है यह मैंने चित्र बनाकर आपको समझाने की कोशिश की है तो परिपथ मैंने दोनों बनाए हैं श्रेणी क्रम और समांतर क्रम श्रेणी क्रम के परिपथ में आप देख सकते हैं कि तीन जो विद्युत उपकरण है मैंने बल्ब ले लिया है उनको मैंने किस में जोड़ा है श्रेणी क्रम में जोड़ दिया है और समांतर में क्या है तीनों बल्ब को मैंने समांतर क्रम में जोड़ दिया है अब अगर मैं इसी मेंस मतलब जो विद्युत स्रोत है उससे 230 वाल्ट या 220 वोल्ट जो हमारे घर में आता है वह करंट लेता हूं वह वाला करंट लेता हूं
श्रेणी समांतर दोनों में तो श्रेणी में क्या होगा उन जी मैं एक ही लगा सकता हूं दूसरा लगाया तो मतलब मैं तीनों के लिए अलग-अलग कुंजी प्रदत्त नहीं कर सकता संयोजन करना बहुत उलझन भरा हो सकता है इसमें कुंजी संयोजन लेकिन समांतर क्रम में क्या है कि तीनों उपकरणों को मैंने तीनों को अलग-अलग कुलियों से क्या किया है जोड़ दिया है संलग्न कर दिया है तो मैं जिस पर पर जिस पर बात को पूर्ण करना चाहता हूं जिस भी विद्युत उपकरण को चलाना चाहता हूं उसकी कुल जी को मैं चालू कर सकता हूं जिसे क्या होगा परिपथ पूर्ण हो जाएगा और विद्युत उपकरण जो है वह चलना चालू हो जाएगा तो इस तरीके से समांतर क्रम के लाभ हो सकते हैं कि मैं उसको अलग अलग गुणों से संयोजित करके चला सकता हूं और नियंत्रित कर सकता हूं अब दूसरा लाभ देखते दूसरा लाभ क्या है दूसरा लाभ हो जाएगा वोल्ट अगर यह दे रहा है 220 वोल्ट तो क्या हो जाएगा 220 वोल्ट में इन तीनों को अलग-अलग बोल्ट लेने पर सक
मतलब तीनों में विभाजित हो जाएगा वोल्ट तो 220 में एक बार को कितना वोल्ट मिलेगा 220 बटे तीन इतना विभांतर मिलेगा लेकिन समांतर क्रम में क्या है इन दोनों के बीच का घर विभांतर है 220 तो इन सभी वर्गों को क्या मिलेंगे 220 वोल्ट इसको भी 220 वोल्ट तभी सभी घरों के ऊपर हमारे घर में सभी उपकरण जो फ्रीज टीवी पंखा मिक्सी कूलर सबीना 220 वोल्ट के बनाए जाते हैं क्योंकि हमारे घर में जो संयोजन होता है वह समांतर क्रम में होता है और हमारे घरों में जो बिजली आती है वह रहती है 220 वोल्ट के विभांतर कि इस तरीके से हमारा श्रेणी क्रम संयोजन करने पर स्थान पर वैदिक स्तर को पार कर में संयोजित करना बहुत सारे लाभ एक लाभ लेने वाला उपकरण हम को प्रदर्शित करता है तो समांतर क्रम संयोजन हर तरीके से श्रेणी क्रम संयोजन से बढ़िया है वैद्य तिथियों के लिए धन्यवाद
ध्यान और निर्णय लेने की क्षमता | Meditation for Better Decision Making Ability in Hindi
मैं सही निर्णय कैसे लूँ? मैं यह कैसे जान पाऊँ कि मैं सही निर्णय ले रहा हूँ और यह निर्णय मुझे अच्छा परिणाम ही देगा? मैं यह कैसे तय कर पाऊँ कि मेरे विचार मेरे काम को सकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकेंगे? इस के साथ साथ, अन्य हितधारकों को भी अपने काम से कैसे प्रसन्न कर सकूँ?
ऐसा बहुत ही कम होता होगा जब कि आप को अपने रोज़मर्रा जीवन के दौरान इस तरह के सवालों का सामना नही करना पड़ता होगा। हमें प्रतिदिन अपने घर में एवं कार्यक्षेत्र में कई प्रकार के निर्णय लेने होते हैं। एक मैनेजर, सूपरवाइज़र या फिर एक गृहणी की हैसियत में हमारे द्वारा लिया गया हर निर्णय हमारी योग्यता का माप दंड बन जाता है।
यह जान कर आपकी उत्सुकता और भी जागृत हो जाएगी कि ध्यान आपकी निर्णय लेने की क्षमता को निखार सकता है। ध्यान एक ऐसी प्राचीन शक्तिशाली विधि है जिसका अभ्यास आपके मन को सुदृड उर्जा के स्त्रोत में परिवर्तित कर देता है, जिससे कि आप का मन बुद्धिमान निर्णयों को लेने की क्षमता पा लेता है।
६ उपाय जो मदद करते हैं सही निर्णय लेने में
- एक सहज, एकाग्र व शांत मन ।
- सही संतुलन ।
- तर्कशील सोच ।
- एक सशक्त मन ।
- अंतर्प्रज्ञा, ग्रहणबोध और अवलोकन शक्ति ।
- वर्तमान पर ध्यान देना ।
1. एक सहज, एकाग्र व शांत मन
ध्यान मन में इकट्ठे हुए तनावों को दूर करता है और मन को अपने असली स्वरूप में ले आता है। जब हमारा अंतर्मन शांत होता है, तब हम स्वतः ही बाहरी संसार के साथ भी स्पष्ट मन के साथ जुड़ जाते हैं। सभी तनावों से मुक्त मन एकाग्र, एक लाभ लेने वाला उपकरण शांत और तीव्र हो जाता है। मन की इस अवस्था में लिए गये निर्णय, निश्चित रूप से अधिक उपयोगी और संतुलित होते हैं। हमारा मन संसार के साथ रहते हुए अनेकों तरह की बाहरी प्रवृत्तियों में संलग्न हो जाता है। ध्यान के फलस्वरुप, मन इन प्रवृत्तियों से मुक्त हो कर सही दिशा में निष्पक्ष निर्णय लेने लगता है।
2. सही संतुलन
एक अच्छा अग्रणी वही है जो अपने दल के साथ एक अपनत्व का अनुभव करता है। वह एक लाभ लेने वाला उपकरण दूसरों के विचारों को खुले दिल से स्वीकारता है और उन्हें अच्छे सहयोग के रूप में लेता है। ध्यान आप में ये गुण विकसित करने में मदद करता है। हमारे नकारात्मक भाव, जैसे कि भय, चिंता, पश्चाताप या अपराध बोध या कि पुराने निर्णयों की चिंता अवचेतन रूप से हमारे निर्णयों पर प्रभाव डालते हैं। नियमित ध्यान इस तरह की घटनाओं को दूर करने में मदद करता है और निर्णय लेने के लिए सही संतुलन देता है।
3. तर्कशील सोच
आर्ट ऑफ लिविंग की ध्यान की प्रशिक्षका, प्रिया राव, बताती हैं, "नियमित ध्यान से आप अधिक बुद्धिमान हो जाते हैं और मन के जाल में नही फँसते हैंl और न ही भावनाओं के जाल में उलझते हैं। परिस्थितियों को आप एक तर्कपूर्ण तरीके से तोलते हैं, एवं फलतः ऐसा निर्णय ले पाते हैं जो लाभकारी हो।" ध्यान आपके मस्तिष्क के दोनो भागों में संतुलन बनाए रखता है, जिस से आपको स्वयं को किसी प्रकार की नकारात्मकता या भावनात्मकता से दूर रखते हुए समाधान ढूँढने का सामर्थ्य प्राप्त हो जाता है।
जब जल शांत होता है, तब आप तलहटी और अपना प्रतिबिंब दोनों देख सकते हैं। परन्तु जब आप पानी में पत्थर फेंकते हैं तो सब कुछ धूमिल हो जाता है और कुछ भी दिखायी नहीं देता है। इसी तरह, जब मन शांत होता है, तब निर्णय लेने के सभी दायरे, मुद्दे की गंभीरता और निर्णय के प्रभाव साफ साफ दिखने लग जाते हैं।
4. एक सशक्त मन
ध्यानआपको अपने उसअन्तर्तम स्वयं की खोज में मदद करता है जिस में आप अपने आप को एकआनन्दित और ऊर्जा के स्रोत के रूप में पाते हैं। आप जान पाते हैं कि एक असीम मस्ती और खुशी आपके खिले हुए स्वरूप में निहित है। आप आसानी से ही, बढ़े हुए काम के भार, दबाव और डेडलाइन को भी संभाल पाते हैं और हर पल एक अच्छा निर्णय लेने के लिए तैयार रहते हैं।
नीरज कोहली, जिन्हें एक वरिष्ठ कॉर्पोरेट प्रशिक्षक की हैसियत में और क्वालिटी के क्षेत्र में दो दशकों का अनुभव है, कहते हैं, “आप कितनी दृढ़ता और विनम्रता से अपना निर्णय या अपने विचार किसी के सम्मुख रखते हैं इस बात को सुनिश्चित करेगा की आपकी कही गयी बात पर फलःस्वरूप काम कैसा संपन्न हुआ। दृढ़ता और विनम्रता के बीच एक सही संतुलन होना चाहिए, जो की आपके अंतर्मन की जागृति से विकसित होता है। ध्यान आपके मन को एक सशक्त भाव देता है।”
5. अंतर्प्रज्ञा, ग्रहणबोध और अवलोकन शक्ति
परंपरागत रूप से, ग्रहणबोध और अवलोकन शक्ति के साथ साथ, अंतर्प्रज्ञा के द्वारा लिए गये निर्णय अधिक अच्छे और संम्पूर्ण होते हैं। ध्यान एक सहज तकनीक है जो आपकी अंतर्प्रज्ञा को बढ़ाती है और साथ साथ ग्रहणबोध और अवलोकन शक्ति को भी। अंतर्प्रज्ञा विचार का एक अतिरिक्त आयाम है, जो केवल ध्यान करने वाले लोग ही प्राप्त कर पाते हैं।
एक जानी मानी एड एजेन्सी के क्रिएटिव असोशियेट, रोहित, कहते हैं, “मेरी जॉब में मुझे ऐसे निर्णय लेने की आवश्यकता होती है जो अधिक रचनात्मक और नवीन हों। मैं पिछले २ सालों से नियमित ध्यान कर रहा हूँ। मैने यह पाया है कि मेरी अंतर्प्रज्ञा बहुत प्रखर हो गयी है जो कि मेरे काम हो दोषरहित रखती है। कार्यक्षेत्र में सदैव कुछ न कुछ खींचातानी बनी रहती है, जिस के मध्य में हमें सर्वोत्कृष्ट परिणाम हासिल करने के लिए संतुलन बनाए रखना पड़ता है हमें अपने कार्य के और उद्योग के उद्देश्य के विभिन्न क्षेत्रों की समझ और निरीक्षण की क्षमता ही सर्वोत्कृष्ट परिणाम पाने में मदद करती है। नीरज कहते हैं, "ध्यान आपकी समझ और निरीक्षण एक लाभ लेने वाला उपकरण की क्षमता के विकास में मदद करता है।"
6. वर्तमान पर ध्यान देना
जब मन में पूर्ण रूप से स्पष्टता हो तो प्रभावी निर्णय लेने की क्षमता स्वतः ही आ जाती है। एक अस्पष्ट मन भूत और भविष्य में ग्रसित रहता है और वर्तमान शंकाओं और विकृतियों में घिर जाता है। ध्यान साधकों को ध्यान के साथ साथ सुदर्शन क्रिया करने से और भी अधिक जागरूकता और सकेंद्रीकरण की क्षमता प्राप्त हो जाती है।
सुदर्शन क्रिया एक एक लाभ लेने वाला उपकरण शक्तिशाली श्वसन एवं ध्यान की पद्धति है जो आपके अंतर्मन की जागरूकता को पुनः जागृत करती है और आपको वर्तमान से जोड़ देती है।
पेंशन लाभ स्वीकार करने के बाद एससी/एसटी एक्ट की धारा 3(1)(p) को 'आर्म ट्विस्टिंग' के उपकरण के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता: कर्नाटक हाईकोर्ट
कर्नाटक हाईकोर्ट ने माना कि अनुसूचित जाति समुदाय के सदस्य बैंक कर्मचारी के खिलाफ अनियमितताएं बरतने के आरोप पर शुरू की गई अनुशासनात्मक कार्यवाही को कर्मचारी द्वारा पेनल्टी स्वीकार कर पेंशन प्राप्त कर लेने के बाद एससी/एसटी एक्ट की धारा 3(1)(p) के तहत चुनौती नहीं दी जा सकती।
अधिनियम की धारा 3(1)(p) निर्देश देती है कि यदि अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के किसी सदस्य के खिलाफ झूठा, दुर्भावनापूर्ण या तंग करने वाला मुकदमा या आपराधिक या कानूनी कार्यवाही की जाती है तो वह अधिनियम के तहत अपराध होगा।
अदालत ने इस प्रकार अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के प्रावधानों के तहत केनरा बैंक के 10 कर्मचारियों के खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर रद्द कर दी।
जस्टिस एम नागप्रसन्ना की सिंगल जज बेंच ने कहा,
"बैंक के कई सेवानिवृत्त अधिकारियों के खिलाफ शिकायतकर्ता सेवानिवृत्ति के बाद शिकायत दर्ज नहीं कर सकता। उपरोक्त तथ्यों के अनुसार, यदि आगे की कार्यवाही जारी रखने की अनुमति दी जाती है तो यह निस्संदेह उत्पीड़न में बदल जाएगा और दुर्व्यवहार बन जाएगा। इससे कानून की प्रक्रिया और इसके परिणामस्वरूप न्याय का गंभीर उल्लंघन होता है।"
चंद्रकांत मुनवल्ली द्वारा दायर शिकायत के अनुसार, जब वह बैंक के टाउन हॉल शाखा में प्रबंधक के रूप में कार्यरत था तो उसे कुछ अनियमितताओं में शामिल होने के आरोप में सेवा से निलंबित कर दिया गया था।
इस पर विभागीय जांच की गई और अनुशासनिक प्राधिकारी ने उस पर सेवा से बर्खास्तगी का जुर्माना लगाया।
इसके बाद शिकायतकर्ता ने बैंगलोर में कर्नाटक राज्य अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति आयोग से संपर्क किया। उसने आरोप लगाया कि बैंक ने विभागीय जांच शुरू करके और सेवा से अनिवार्य सेवानिवृत्ति लगाकर उनके खिलाफ अत्याचार किया।
आयोग ने सिफारिश की कि याचिकाकर्ता के खिलाफ लगाई गई सजा को शून्य घोषित किया जाना चाहिए और उसे तत्काल सेवा में बहाल किया जाना चाहिए। हाईकोर्ट ने इस आदेश पर रोक लगा दी और याचिकाकर्ता की सेवा के संबंध में कोई आदेश पारित करने से पहले बैंक को आयोग की सिफारिशों पर गौर करने का निर्देश देते हुए मामले का निपटारा कर दिया।
बैंक में अनुशासनिक प्राधिकारी ने मामले की फिर से जांच की और मिडिल मैनेजमेंट ग्रेड स्केल II से जूनियर मैनेजमेंट ग्रेड- I को कम करने की सजा दी।
इसके बाद शिकायतकर्ता ने अपीलीय प्राधिकारी से संपर्क किया, जिसने उसे एमएमजी-II में बनाए रखते हुए समय के पैमाने में कमी के दंड को 13 चरणों में संशोधित किया। इस दंड के साथ शिकायतकर्ता सेवानिवृत्ति की आयु प्राप्त करने पर सेवा से सेवानिवृत्त हो गया।
सेवानिवृत्ति के बाद शिकायतकर्ता ने बैंक और उसके अधिकारियों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। उसने आरोप लगाया कि बैंक ने उपरोक्त कृत्यों से शिकायतकर्ता को प्रताड़ित किया।
मुकदमेबाजी के रिकॉर्ड को देखने पर पीठ ने कहा,
"यह स्पष्ट हो जाएगा कि शिकायतकर्ता ने दंड के आदेश को स्वीकार करने और बैंक से पेंशन प्राप्त करने के बाद अधिनियम के प्रावधानों को लागू करके याचिकाकर्ताओं का सहारा लिया है।"
"यह स्वयं शिकायतकर्ता का कार्य है जिसके कारण उसे सेवा से बर्खास्त कर दिया गया। इस न्यायालय द्वारा पारित आदेशों को स्वीकार कर लिया गया और बाद में अधिकारियों द्वारा पारित आदेश शिकायतकर्ता को सेवा में बहाल कर दिया गया। उन आदेशों ने उन्हें बैंक में काम करने और सेवानिवृत्त होने की अनुमति दी। सेवानिवृत्ति की आयु प्राप्त करने पर शिकायतकर्ता द्वारा आज तक कोई प्रश्न नहीं किया गया। सभी आदेशों और मासिक पेंशन को स्वीकार करने में अपराध का आरोप लगाने के लिए अधिनियम की धारा 3(1)(पी) और 3(1)(क्यू) की कोई सामग्री नहीं हो सकती।"
"नियोक्ता बैंक ने भारत के संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत रिट याचिका दायर करके अपने अधिकार का प्रयोग किया, जिसमें आयोग द्वारा पारित आदेशों पर सवाल उठाया गया। उक्त आदेश शिकायतकर्ता के पक्ष में थे। इस तरह यह अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के सदस्यों (याचिकाकर्ता) के खिलाफ झूठा, दुर्भावनापूर्ण या तंग करने वाला मुकदमा बन जाता है या इसका मतलब किसी लोक सेवक को दी गई झूठी या तुच्छ जानकारी नहीं है, जिससे अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के सदस्य को चोट पहुंचती है।"
इस पर यह कहा गया,
"याचिकाकर्ता इस न्यायालय द्वारा पारित आदेश का लाभार्थी है, उसे स्वीकार करता है, लाभ लेता है और फिर पलटता है और अधिनियम के तहत दंडनीय अपराधों के तहत आरोप लगाता है, इसलिए अधिनियम के तहत इस पर कोई भी अपराध नहीं है।"
केस टाइटल: के.पी.एन. शेनॉय और अन्य बनाम कर्नाटक राज्य
केस नंबर: आपराधिक याचिका नंबर 1133/2021
साइटेशन: लाइव लॉ (कर) 330/2022
आदेश की तिथि: 26 जुलाई, 2022
उपस्थिति: याचिकाकर्ताओं के लिए सीनियर एडवोकेट एक लाभ लेने वाला उपकरण संदेश जे.चौटा, ए/डब्ल्यू एडवोकेट विक्रम उन्नी राजगोपाल; एचसीजीपी के.एस.अभिजीत, आर1 के लिए; एडवोकेट एम.एस.मोहन, आर2. के लिए।
MP में कृषि उपकरण की खरीद पर मिलेगी सब्सिडी, जानिए कैसे मिलेगा योजना का लाभ
मध्य प्रदेश में राज्य सरकार द्वारा कृषि उपकरण अनुदान योजना की शुरुआत की गई है. इस योजना के तहत राज्य के किसानों को कृषि उपकरणों पर लाभ मिलेगा. आइए जानते हैं योजना का लाभ लेने के लिए कैसे करें आवेदन और कितनी मिलेगी सब्सिडी.
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नई दिल्लीः मध्य प्रदेश सरकार द्वारा कृषि उपकरण अनुदान योजना की शुरुआत की गई है. इस योजना के अंतर्गत राज्य सरकार किसानों को कृषि के उपयोग में आने वाले उपकरणों की खरीद पर 30 से 40 प्रतिशत तक छूट दी जाएगी. इस योजना का उद्देश्य राज्य के किसानों को आधुनिक तरीके से खेती के लिए नए-नए तकनीकी के उपकरण उपलब्ध करवाने हैं. इस योजना का लाभ लेने के लिए एक लाभ लेने वाला उपकरण राज्य के किसानों को ऑनलाइन आवेदन करना होगा.
30 से 50 प्रतिशत दी जाएगी सब्सिडी
मध्य प्रदेश कृषि उपकरण अनुदान योजना के अंतर्गत राज्य के किसानों को खेती में मदद पहुंचाने के लिए कृषि के आधुनिक उपकरणों पर सरकार द्वारा 30% से 40% फीसदी की सब्सिडी दी जाएगी. सब्सिडी राशि का निर्धारण कृषि यंत्रों के हिसाब से किया जाएगा. वहीं यदि कोई महिला किसान आवेदक रहेगी तो उसे छूट में अतिरिक्त लाभ दिया जाएगा. राज्य सरकार द्वारा चलाई गई यह योजन किसानों के लिए वरदान साबित होगी.
इन राशियों पर दी जाएगी सब्सिडी
मध्य प्रदेश कृषि उपकरण अनुदान योनजा के तहत पंप सेट, डीजल पंप सेट, पाइपलाइन सेट, ड्रिप सिस्टम, स्प्रिंकलर सेट, रेन गन सिस्टम, लेजर लैंड लेवलर, रोटावेटर, पावर टिलर, रेज्ड बेड प्लांटर, ट्रैक्टर, ट्रैक्टर चलित रीपर कम बाइंडर, स्वचालित रीपर, ट्रैक्टर माउंटेड, मल्टीक्रॉप थ्रेशर, पैड़ी ट्रांसप्लांटर, सीड ड्रिल, रीपर कम बाइंडर, हैप्पी सीडर, जीरो टिल सीड कम फर्टिलाइजर ड्रिल, सीड कम फर्टिलाइजर ड्रिल, रेस्ट बेड प्लांटर विद इनक्लाइंड प्लेट प्लांटर एंड शेपर, पावर हैरो, पावर वीडर(इंजन चालित 2 बीएचपी से अधिक), मल्टी क्रॉप प्लांट्स, छोटे ट्रैक्टर जैसे इत्यादि आधुनिक उपकरणों पर अनुदान राशि दी जाएगी.
ध्यान और निर्णय लेने की क्षमता | Meditation for Better Decision Making Ability in Hindi
मैं सही निर्णय कैसे लूँ? मैं यह कैसे जान पाऊँ कि मैं सही निर्णय ले रहा हूँ और यह निर्णय मुझे अच्छा परिणाम ही देगा? मैं यह कैसे तय कर पाऊँ कि मेरे विचार मेरे काम को सकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकेंगे? इस के साथ साथ, अन्य हितधारकों को भी अपने काम से कैसे प्रसन्न कर सकूँ?
ऐसा बहुत ही कम होता होगा जब कि आप को अपने रोज़मर्रा जीवन के दौरान इस तरह के सवालों का सामना नही करना पड़ता होगा। हमें प्रतिदिन अपने घर में एवं कार्यक्षेत्र में कई प्रकार के निर्णय लेने होते हैं। एक मैनेजर, सूपरवाइज़र या फिर एक गृहणी की हैसियत में हमारे द्वारा लिया गया हर निर्णय हमारी योग्यता का माप दंड बन जाता है।
यह जान कर आपकी उत्सुकता और भी जागृत हो जाएगी कि ध्यान आपकी निर्णय लेने की क्षमता को निखार सकता है। ध्यान एक ऐसी प्राचीन शक्तिशाली विधि है जिसका अभ्यास आपके मन को सुदृड उर्जा के स्त्रोत में परिवर्तित कर देता है, जिससे कि आप का मन बुद्धिमान निर्णयों को लेने की क्षमता पा लेता एक लाभ लेने वाला उपकरण है।
६ उपाय जो मदद करते हैं सही निर्णय लेने में
- एक सहज, एकाग्र व शांत मन ।
- सही संतुलन ।
- तर्कशील सोच ।
- एक सशक्त मन ।
- अंतर्प्रज्ञा, ग्रहणबोध और अवलोकन शक्ति ।
- वर्तमान पर ध्यान देना ।
1. एक सहज, एकाग्र व शांत मन
ध्यान मन में इकट्ठे हुए तनावों को दूर करता है और मन को अपने असली स्वरूप में ले आता है। जब हमारा अंतर्मन शांत होता है, तब हम स्वतः ही बाहरी संसार के साथ भी स्पष्ट मन के साथ जुड़ जाते हैं। सभी तनावों से मुक्त मन एकाग्र, शांत और तीव्र हो जाता है। मन की इस अवस्था में लिए गये निर्णय, निश्चित रूप से अधिक उपयोगी और संतुलित होते हैं। हमारा मन संसार के साथ रहते हुए अनेकों तरह की बाहरी प्रवृत्तियों में संलग्न हो जाता है। ध्यान के फलस्वरुप, मन इन प्रवृत्तियों से मुक्त हो कर सही दिशा में निष्पक्ष निर्णय लेने लगता है।
2. सही संतुलन
एक अच्छा अग्रणी वही है जो अपने दल के साथ एक अपनत्व का अनुभव करता है। वह दूसरों के विचारों को खुले दिल से स्वीकारता है और उन्हें अच्छे सहयोग के रूप में लेता है। ध्यान आप में ये गुण विकसित करने में मदद करता है। हमारे नकारात्मक भाव, जैसे कि भय, चिंता, पश्चाताप या अपराध बोध या कि पुराने निर्णयों की चिंता अवचेतन रूप से हमारे निर्णयों पर प्रभाव डालते हैं। नियमित ध्यान इस तरह की एक लाभ लेने वाला उपकरण घटनाओं को दूर करने में मदद करता है और निर्णय लेने के लिए सही संतुलन देता है।
3. तर्कशील सोच
आर्ट ऑफ लिविंग की ध्यान की प्रशिक्षका, प्रिया राव, बताती हैं, "नियमित ध्यान से आप अधिक बुद्धिमान हो जाते हैं और मन के जाल में नही फँसते हैंl और न ही भावनाओं के जाल में उलझते हैं। परिस्थितियों को आप एक तर्कपूर्ण तरीके से तोलते हैं, एवं फलतः ऐसा निर्णय ले पाते हैं जो लाभकारी हो।" ध्यान आपके मस्तिष्क के दोनो भागों में संतुलन बनाए रखता है, जिस से आपको स्वयं को किसी प्रकार की नकारात्मकता या भावनात्मकता से दूर रखते हुए समाधान ढूँढने का सामर्थ्य प्राप्त हो जाता है।
जब जल शांत होता है, तब आप तलहटी और अपना प्रतिबिंब दोनों देख सकते हैं। परन्तु जब आप पानी में पत्थर फेंकते हैं तो सब कुछ धूमिल हो जाता है और कुछ भी दिखायी नहीं देता है। इसी तरह, जब मन शांत होता है, तब निर्णय लेने के सभी दायरे, मुद्दे की गंभीरता और निर्णय के प्रभाव साफ साफ दिखने लग जाते हैं।
4. एक सशक्त मन
ध्यानआपको अपने उसअन्तर्तम स्वयं की खोज में मदद करता है जिस में आप अपने आप को एकआनन्दित और ऊर्जा के स्रोत के रूप में पाते हैं। आप जान पाते हैं कि एक असीम मस्ती और खुशी आपके खिले हुए स्वरूप में निहित है। आप आसानी से ही, बढ़े हुए काम के भार, दबाव और डेडलाइन को भी संभाल पाते हैं और हर पल एक अच्छा निर्णय लेने के लिए तैयार रहते हैं।
नीरज कोहली, जिन्हें एक वरिष्ठ कॉर्पोरेट प्रशिक्षक की हैसियत में और क्वालिटी के क्षेत्र में दो दशकों का अनुभव है, कहते हैं, “आप कितनी दृढ़ता और विनम्रता से अपना निर्णय या अपने विचार किसी के सम्मुख रखते हैं इस बात को सुनिश्चित करेगा की आपकी कही गयी बात पर फलःस्वरूप काम कैसा संपन्न हुआ। दृढ़ता और विनम्रता के बीच एक सही संतुलन होना चाहिए, जो की आपके अंतर्मन की जागृति से विकसित होता है। ध्यान आपके मन को एक सशक्त भाव देता है।”
5. अंतर्प्रज्ञा, ग्रहणबोध और अवलोकन शक्ति
परंपरागत रूप से, ग्रहणबोध और अवलोकन शक्ति के साथ एक लाभ लेने वाला उपकरण एक लाभ लेने वाला उपकरण साथ, अंतर्प्रज्ञा के द्वारा लिए गये निर्णय अधिक अच्छे और संम्पूर्ण होते हैं। ध्यान एक सहज तकनीक है जो आपकी अंतर्प्रज्ञा को बढ़ाती है और साथ साथ ग्रहणबोध और अवलोकन शक्ति को भी। अंतर्प्रज्ञा विचार का एक अतिरिक्त आयाम है, जो केवल ध्यान करने वाले लोग ही प्राप्त कर पाते हैं।
एक जानी मानी एड एजेन्सी के क्रिएटिव असोशियेट, रोहित, कहते हैं, “मेरी जॉब में मुझे ऐसे निर्णय लेने की आवश्यकता होती है जो अधिक रचनात्मक और नवीन हों। मैं पिछले २ सालों से नियमित ध्यान कर रहा हूँ। मैने यह पाया है कि मेरी अंतर्प्रज्ञा बहुत प्रखर हो गयी है जो कि मेरे काम हो दोषरहित रखती है। कार्यक्षेत्र में सदैव कुछ न कुछ खींचातानी बनी रहती है, जिस के मध्य में हमें सर्वोत्कृष्ट परिणाम हासिल करने के लिए संतुलन बनाए रखना पड़ता है हमें अपने कार्य के और उद्योग के उद्देश्य के विभिन्न क्षेत्रों की समझ और निरीक्षण की क्षमता ही सर्वोत्कृष्ट परिणाम पाने में मदद करती है। नीरज कहते हैं, "ध्यान आपकी समझ और निरीक्षण की क्षमता के विकास में मदद करता है।"
6. वर्तमान पर ध्यान देना
जब मन में पूर्ण रूप से स्पष्टता हो तो प्रभावी निर्णय लेने की क्षमता स्वतः ही आ जाती है। एक अस्पष्ट मन भूत और भविष्य में ग्रसित रहता है और वर्तमान शंकाओं और विकृतियों में घिर जाता है। ध्यान साधकों को ध्यान के साथ साथ सुदर्शन क्रिया करने से और भी अधिक जागरूकता और सकेंद्रीकरण की क्षमता प्राप्त हो जाती है।
सुदर्शन क्रिया एक शक्तिशाली श्वसन एवं ध्यान की पद्धति है जो आपके अंतर्मन की जागरूकता को पुनः जागृत करती है और आपको वर्तमान से जोड़ देती है।
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