दुराचार के आरोपियों को कड़ी सजा की मांग

लुधियाना। दिल्ली रेप कांड के बाद दुराचार के आरोपियों को कड़ी सजा की मांग समाज के हर क्षेत्र से की जा रही है। जगह जगह प्रदर्शन और कैंडल मार्च निकाले जा रहे हैं। इसमें उद्यमी भी अब पीछे नहीं हैं। अपनी सामाजिक जिम्मेदारियों को समझते हुए उद्यमी भी अपने वर्करों एवं स्टॉफ को जागरूक करने में जुट गए हैं।
शॉल निर्माता कंपनी शिंगोरा टेक्सटाइल्स लिमिटेड की एमडी मृदुला जैन ने भी इकाई के तमाम वर्करों को अपडेट करने के लिए एक सभा का आयोजन फैक्ट्री परिसर में ही किया। इसमें जैन ने वर्करों क ो सामाजिक जिम्मेदारियों के प्रति जागरूक किया। उनका कहना है कि सरकार और पुलिस के अलावा देश के हर नागरिक को सजग होने की जरूरत है। कहीं पर भी कोई गलत काम हो रहा है, उसके खिलाफ तुरंत आवाज उठाना अनिवार्य है। मृदुला ने दिल्ली कांड की निंदा करते हुए कहा कि इसके आरोपियों को कड़ी सजा मिलना अनिवार्य है।

लुधियाना। दिल्ली रेप कांड के बाद दुराचार के आरोपियों को कड़ी सजा की मांग समाज के हर क्षेत्र से की जा रही है। जगह जगह प्रदर्शन और कैंडल मार्च निकाले जा रहे हैं। इसमें उद्यमी भी अब पीछे नहीं हैं। अपनी सामाजिक जिम्मेदारियों को समझते हुए उद्यमी भी अपने वर्करों एवं स्टॉफ को जागरूक करने में जुट गए हैं।


शॉल निर्माता कंपनी शिंगोरा टेक्सटाइल्स लिमिटेड की एमडी मृदुला जैन ने भी इकाई के तमाम वर्करों को अपडेट करने के लिए एक सभा का आयोजन फैक्ट्री परिसर में ही किया। इसमें जैन ने वर्करों क ो सामाजिक जिम्मेदारियों के प्रति जागरूक किया। उनका कहना है कि सरकार और पुलिस के अलावा देश के हर नागरिक को सजग होने की जरूरत है। कहीं पर भी कोई गलत काम हरी कैंडल को समझना हरी कैंडल को समझना हो रहा है, उसके खिलाफ तुरंत आवाज उठाना अनिवार्य है। मृदुला ने दिल्ली कांड की निंदा करते हुए कहा कि इसके आरोपियों को कड़ी सजा मिलना अनिवार्य है।

वर्ल्ड सॉइल डे सेक्टर 17 में कैंडल लाइटिंग सेरेमनी

वर्ल्ड सॉइल डे सेक्टर 17 में कैंडल लाइटिंग सेरेमनी

भारतीय ग्रीन बिल्डिंग काउंसिल (आईजीबीसी) के यूटी चंडीगढ़ चैप्टर और गार्डियंस ऑफ नेचर फाउंडेशन (जीएनएफ) तथा ईशा फाउंडेशन के सहयोग से कॉन्फेडरेशन ऑफ रियल एस्टेट डेवलपर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (क्रेडाई) पंजाब ने सोमवार को वर्ल्ड सॉइल डे के अवसर पर सेक्टर 17 प्लाजा में कैंडल जलाकर लोगों को जागरूक किया। इस मौके पर चंडीगढ़ की मेयर सरबजीत कौर भी मौजूद रहीं। ‘हेल्दी सॉयल, हेल्दी लाइफ’ की थीम के तहत आयोजित इस कैंडल लाइटिंग सेरेमनी ने लोगों में बिगड़ती मिट्टी की सेहत और स्वस्थ जीवन और खाद्य सुरक्षा के लिए मिट्टी के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए आवश्यक उपायों के बारे में जागरूकता बढ़ाई।

जगजीत सिंह माझा, प्रेसिडेंट क्रेडाई हरी कैंडल को समझना ने कहा कि स्वस्थ मिट्टी के बिना कोई जीवन नहीं है। अब समय आ गया है कि हम एक साथ आएं और अपनी खाद्य सुरक्षा के लिए मिट्टी के स्वास्थ्य के संरक्षण में योगदान देने के लिए प्रयास करें। ये प्रयास एक सकारात्मक संकेत है। इस मौके पर सुखमणि सिंह, सीईओ गार्डियंस ऑफ नेचर फाउंडेशन (जीएनएफ) ने कहा कि कैंडल लाइटिंग सेरेमनी यह सुनिश्चित करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है कि किसी भी कीमत पर मिट्टी का स्वास्थ्य बनाए रखा जाए। जीएनएफ में हमने पिछले तीन वर्षों में 2.5 लाख से अधिक पेड़ लगाए और उनकी निगरानी की है और 2025 तक 10 लाख पौधे उगाने का लक्ष्य रखा है। उन्होंने कहा कि अत्यधिक आबादी वाला देश होने के नाते भारत में 35 अरब पेड़ों की आबादी है, जिससे प्रति व्यक्ति सिर्फ 28 पेड़ हैं। उन्होंने कहा कि जीएनएफ का लक्ष्य अपने विभिन्न अभियानों के माध्यम से इस संख्या को बढ़ाना है और इस कारण से अधिक लोगों को जोड़ना है। हार्टफुलनेस नाम के एक एनजीओ ने भी कैंडल लाइटिंग सेरेमनी का समर्थन किया, जिसमें 50 से अधिक लोगों की भागीदारी देखी गई।

कैंडलस्टिक पैटर्न (Candlestick Pattern) के सम्बन्ध में कुछ ध्यान देने वाली बाते

Zerodha

कैंडलस्टिक पैटर्न से हमें सिर्फ ये पता चलता है कि, Trade लेते समय Entry point क्या होना चाहिए, और Trade का Stop loss क्या होना चाहिए, कैंडलस्टिक पैटर्न की हेल्प से हमें ट्रेड में प्रॉफिट कब बुक करना है, ये समझ में नहीं आता है,

Bulls और Bears की स्पस्ट पहचान

कैंडलस्टिक पैटर्न से हमें Bulls और Bear को पचानने के साथ उनके बीच बनने वाले अलग अलग पैटर्न और मार्केट में बनने वाले ट्रेंड को बहुत आसानी से समझने का मौका मिलता है,

सभी कैंडलस्टिक पैटर्न को समझना अनिवार्य नहीं है –

हमने अभी तक 16 महत्वपूर्ण, और ज्यादा पोपुलर कैंडलस्टिक के बारे में पढ़ा है, वैसे Candlestick Pattern और बहुत सारे भी है, लेकिन ध्यान देने वाली बात ये है कि – हमें सभी कैंडलस्टिक पैटर्न को समझना जरुरी नहीं है, बल्कि जितने कैंडलस्टिक पैटर्न के बारे में हमने अभी तक पढ़ा, उनको समझना ही काफी होगा, अगर हम इनको पहचानना सिख ले, तो हम मार्केट के उतार चढाव को आसानी से समझ जायेगें,

कैंडलस्टिक पैटर्न, मार्केट की कहानी को चित्र द्वारा बताता है

Candlestick Pattern अलग अलग चित्रों यानि पैटर्न के माध्यम से मार्केट के बारे में हो रहे सभी उतार चढाव के बारे में स्पस्ट चित्र देता है, और मार्केट के बारे में होने वाले बार बार के पैटर्न से लाभ उठाने के मौके भी देता है, जब कैंडलस्टिक को समझना शुरू कर देते है, तो फिर ऐसा लगता है जैसे हर चार्ट आपसे बात करता है, और कुछ बताना चाहता है, बस आपको ध्यान देने की जरुरत है, और सही पैटर्न को पहचानने की भी जरुरत होती है,

कैंडलस्टिक पैटर्न ट्रेंड्स को बताता है,

Candlestick Pattern से हमें बहुत आसानी से UP TREND, DOWN TREND, और SIDEWAYS के बारे में समझने का और किसी TRADE के लीए POINT OF VIEW बनाने का मौका मिलता है,

Candlestick Pattern – Summary

जैसे मैंने पहले कहा – अलग अलग बहुत सारे Candlestick Pattern हमें सभी Candlestick Pattern को सीखना और समझना जरुरी नहीं है, बल्कि कैंडलस्टिक को समझने का मुख्य उद्देश्य ये है कि मार्केट में हो रहे उतार चदाव, Bulls और Bears , और मार्केट की दिशा यानी Trend को को समझा जाये,

और इसलिए कैंडलस्टिक के इन पोपुलर पैटर्न को समझने के बाद, इनकी सही प्रैक्टिस करके इनको चार्ट में पहचानते हुए, अपने ट्रेड के लिए Point of View को समझना महत्वपूर्ण है,

सौ कैंडल पॉवर का बल्ब

सआदत हसन मंटो

"इस कहानी में इंसान की स्वाभाविक और भावनात्मक पहलूओं को गिरफ़्त में लिया गया है जिनके तहत वो कर्म करते हैं। कहानी की केन्द्रीय पात्र एक वेश्या है जिसे इस बात से कोई सरोकार नहीं कि वो किस के साथ रात गुज़ारने जा रही है और उसे कितना मुआवज़ा मिलेगा बल्कि वो दलाल के इशारे पर कर्म करने और किसी तरह काम ख़त्म करने के बाद अपनी नींद पूरी करना चाहती है। आख़िर-कार तंग आकर अंजाम की परवाह किए बिना वो दलाल का ख़ून कर देती है और गहरी नींद सो जाती है।"

वो चौक में क़ैसर पार्क के बाहर जहां टांगे खड़े रहते हैं। बिजली के एक खंबे के साथ ख़ामोश खड़ा था और दिल ही दिल में सोच रहा था। कोई वीरानी सी वीरानी है!

यही पार्क जो सिर्फ़ दो बरस पहले इतनी पुररौनक़ जगह थी, अब उजड़ी पचड़ी दिखाई थी। जहां पहले औरत और मर्द शोख़-ओ-शंग फ़ैशन के लिबासों में चलते फिरते थे। वहां अब बेहद मैले कुचैले कपड़ों में लोग इधर-उधर बे मक़सद फिर रहे थे। बाज़ार में काफ़ी भीड़ थी मगर उसमें वो रंग नहीं था जो एक मेंले–ठेले का हुआ करता था। आस पास की सीमेंट से बनी हुई बिल्डिंगें अपना रूप खो चुकी थीं। सर झाड़ मुँह फाड़ एक दूसरे की तरफ़ फटी फटी आँखों से देख रही थीं, जैसे बेवा औरतें।

वो हैरान था कि वो ग़ाज़ा कहाँ गया, वो सिंदूर कहाँ उड़ गया। वो सर कहाँ ग़ायब हो गए जो उसने कभी यहां देखे और सुने थे। ज़्यादा अर्से की बात नहीं, अभी वो कल ही तो (दो बरस भी कोई अर्सा होता है) यहां आया था। कलकत्ते से जब उसे यहां की एक फ़र्म ने अच्छी तनख़्वाह पर बुलाया था तो उसने क़ैसर पार्क में कितनी कोशिश की कि उसे किराए पर एक कमरा ही मिल जाये मगर वो नाकाम रहा था। हज़ार फ़रमाइशों के बावजूद।

मगर अब उसने देखा कि जिस कंजड़े, जोलाहे और मोची की तबीअत चाहती थी, फ़्लैटों और कमरों पर अपना क़ब्ज़ा जमा रहा था।

जहां किसी शानदार फ़िल्म कंपनी का दफ़्तर हुआ करता था, वहां चूल्हे सुलग रहे हैं। जहां कभी शहर की बड़ी बड़ी रंगीन हस्तियां जमा होती थीं, वहां धोबी मैले कपड़े धो रहे हैं।

दो बरस में इतना बड़ा इन्क़िलाब!

वो हैरान था, लेकिन उसको इस इन्क़िलाब का पसमंज़र मालूम था। अख़बारों के ज़रिये से और उन दोस्तों से जो शहर में मौजूद थे। उसे सब पता लग चुका था कि यहां कैसा तूफ़ान आया था। मगर वो सोचता था कि ये कोई अजीब-ओ-ग़रीब तूफ़ान था जो इमारतों का रंग-ओ-रूप भी चूस कर ले गया। इंसानों ने इंसान क़त्ल किए। औरतों की बेइज़्ज़ती की, लेकिन इमारतों की ख़ुश्क लकड़ियों और उनकी ईंटों से भी यही सुलूक किया।

उसने सुना था कि उस तूफ़ान में औरतों को नंगा किया गया था, उनकी छातियां काटी गई थीं। यहां उसके आस पास जो कुछ था, सब नंगा और जोबन बुरीदा था।

वो बिजली के खंबे के साथ लगा अपने एक दोस्त का इंतिज़ार कर रहा था जिसकी मदद से वो अपनी रिहाइश का कोई बंदोबस्त करना चाहता था। उस दोस्त ने उससे कहा कि तुम क़ैसर हरी कैंडल को समझना पार्क के पास जहां तांगे खड़े रहा करते हैं मेरा इंतिज़ार करना।

दो बरस हुए जब वो मुलाज़मत के सिलसिले में यहां आया तो ये टांगों का अड्डा बहुत मशहूर जगह थी, सबसे उम्दा, सबसे बाँके टांगे सिर्फ़ यहीं खड़े रहते थे क्योंकि यहां से अय्याशी का हर सामान मुहय्या हो जाता था। अच्छे से अच्छा रेस्टोरेंट और होटल क़रीब था। बेहतरीन चाय, बेहतरीन खाना और दूसरे लवाज़मात भी।

शहर के जितने बड़े दलाल थे वो यहीं दस्तयाब होते थे। इसलिए कि क़ैसर पार्क में बड़ी बड़ी कंपनियों के बाइस रुपया और शराब पानी की तरह बहते थे।

उसको याद आया कि दो बरस पहले उसने अपने दोस्त के साथ बड़े ऐश किए थे। अच्छी से अच्छी लड़की हर रात को उनकी आग़ोश में होती थी। स्काच जंग के बाइस नायाब थी मगर एक मिनट में दर्जनों बोतलें मुहय्या हो जाती थीं।

टांगे अब भी खड़े थे मगर उन पर वो कलग़ियाँ, वो फुंदने, वो पीतल के पालिश किए हुए साज़-ओ-सामान की चमक-दमक नहीं थी। ये भी शायद दूसरी चीज़ों के साथ उड़ गई थी।

उसने घड़ी में वक़्त देखा, पाँच बज चुके थे। फ़रवरी के दिन थे। शाम के साए छाने शुरू हो गए थे। उसने दिल ही दिल में अपने दोस्त को लअनत-मलामत की और दाएं हाथ के वीरान होटल में मोरी के पानी से बनाई हुई चाय पीने के लिए जाने ही वाला था कि किसी ने उसको हौले से पुकारा। उसने ख़याल किया कि शायद उसका दोस्त आ गया। मगर जब उसने मुड़ कर देखा तो एक अजनबी था। आम शक्ल-ओ-सूरत का, लट्ठे की नई शलवार में जिसमें अब और ज़्यादा शिकनों की गुंजाइश नहीं थी। नीली पाप्लीन की क़मीज़ जो लांड्री में जाने के लिए बेताब थी।

उसने पूछा, “क्यूँ भई। तुमने मुझे बुलाया?”

उसने हौले से जवाब दिया, “जी हाँ।”

उसने ख़्याल किया, मुहाजिर है, भीक मांगना चाहता है, “क्या मांगते हो?”

उसने उसी लहजे में जवाब दिया, “जी कुछ नहीं।” फिर क़रीब आ कर कहा, “कुछ चाहिए आपको?”

“कोई लड़की-वड़की।” ये कह कर वो पीछे हट गया।

उसके सीने में एक तीर सा लगा कि देखो इस ज़माने में भी ये लोगों के जिन्सी जज़्बात टटोलता फिरता है और फिर इंसानियत के मुतअल्लिक़ ऊपर-तले उसके दिमाग़ में बड़े हौसला शिकन ख़्यालात आए। उन्ही ख़्यालात के ज़ेर-ए-असर उसने पूछा, “कहाँ है?”

उसका लहजा दलाल के लिए उम्मीद अफ़्ज़ा नहीं था। चुनांचे क़दम उठाते हुए उसने कहा, “जी नहीं, आपको ज़रूरत नहीं मालूम होती।”

उसने उसको रोका, “ये तुम ने किस तरह जाना। इंसान को हर वक़्त उस चीज़ की ज़रूरत होती है जो तुम मुहय्या कर सकते हो. वो सूली पर भी. जलती चिता में भी।”

वो फ़लसफ़ी बनने ही वाला था कि रुक गया, “देखो. अगर कहीं पास ही है तो मैं चलने के लिए तैयार हूँ। मैंने यहाँ एक दोस्त को वक़्त दे रखा है।”

वो बरसात की रात और कैंडल लाइट डिनर।

headerImg

राजीव और रागिनी की अभी 2 हफ्ते पहले ही शादी हुई है। राजीव के घरवाले बिजनेसमैन है और उसका बड़ा संयुक्त परिवार है, जो इसी हवेली में एक साथ रहते हैं। शाम के करीब 4:00 बजे सभी किसी दोस्त के घर पूजा में गए और बोले कि हम कल सुबह आएंगे। तो तुम हमारा इंतजार मत करना। राजीव और रागिनी ने भी जाने की इच्छा जताई पर घर वालों ने मना कर दिया। सब के जाने के बाद दोनों ने बाहर घूमने जाने का प्लान बनाया। दोनों अच्छे से तैयार होकर अभी निकलने लगे कि अचानक आसमान में काले बादल घिर गए और देखते ही देखते तेज हवा के साथ जोरों की बारिश शुरू हो गई। तब दोनों बाहर जाने के बजाय घर में ही साथ में टाइम स्पेंड करने का निश्चय किया।

अभी दोनों कमरे में आए कि कुछ सामान गिरने के साथ बिल्ली की आवाज आई। अबकी बार राजीव को भी आवाज सुनाई दी।

राजीव ने कमरे में रखा लैंप जलाया और एक बार फिर इधर-उधर देखने लगा कि अचानक लाइट आ गई। उसने चारों तरफ देखा पर कोई सामान गिरा हुआ नहीं दिखा।

"अरे छोड़ो भी! इतना बड़ा घर है कहीं कुछ गिरा होगा चलो जाने दो और हो सकता है बाहर बारिश हो रही है तो शायद बिल्ली आ गई हो। अच्छा है लाइट आ गई।" बोल अभी बैठे कि फिर लाइट चली गई।

"लगता है यह लाइट लुका छुपी खेल रही है।"

"इसे जो खेलना है खेले। इस के चक्कर में हम अपनी रात क्यों खराब करें।" बोल रागिनी को अपनी बाहों में भर लिया। लैंप की रोशनी में देखते हुए दोनों एक दूसरे में खो गए। अचानक जोर से ठहाकों की आवाज आने लगी। "अंदर प्रेम लीला चल रही है। शायद तुम्हें पता नहीं हम प्रेमियों के दुश्मन हैं।" सुनकर रागिनी की घिग्घी बंध गई।

"राजीव, तुम मानो या ना मानो पर जरूर इस हवेली में किसी आत्मा का वास है। देखो जब से सभी गए हैं तब से कोई न कोई अनहोनी हो रही है। बार-बार लाइट आ जा रही है, परछाई दिखती है, सामान गिरता है और अभी यह जोर-जोर से हंसने की आवाज के साथ ये उल्टी-सीधी बातें। तुम जल्दी से घर वालों को फोन कर बुला लो।"

अबकी बार थोड़ा राजीव भी सहम गया कि आखिर यह सब क्या और क्यों हो रहा है?

रुको, मुझे लगता है ये साया वाया नहीं कोई चोर है क्योंकि हमारा परिवार अमीरों की सूची में आता है। हो सकता है उसे पता लग गया हो घर में सिर्फ हम दोनों हैं तो हमें डरा कर हरी कैंडल को समझना उनका इरादा चोरी करने का हो। आजकल ऐसा बहुत हो रहा है।तुम डरो मत मैं बाहर जाता हूं ऐसा कुछ रहा तो इशारा करूंगा और तुरंत पुलिस को कॉल करना।"

रागिनी को भी यकीन होने लगा।

उसने झटके में दरवाजा खोला। "कौन है सामने आओ। रागिनी जल्दी से पुलिस को फोन लगाओ।"

तुरंत लाइट के साथ चार पांच हरी कैंडल को समझना लोगों की आवाज भी आई। "भाई.. भाभी. पुलिस को मत बुलाइए हम हैं! हम हैं!! आवाज देते हुए सब के सब सामने आ गए।

"अरे तुम लोग यहां क्या कर रहे हो?" अपने छोटे भाई बहन की टोली को देखकर राजीव ने चौंकते हुए पूछा।

"अच्छा.. अब समझा ये अजीब-अजीब घटनाएं क्यों हो रही है? और तुम सब ही हो प्रेमियों के दुश्मन।" राजीव ने एक का कान खींचते हुए कहा।

"भाई, दर्द हो रहा है।"

"दर्द हो रहा है और शाम से जो तुम सब मिलकर हमें परेशान कर रहे हो, डरा रहे हो उसका क्या. और तुम सभी यहां हो क्या यह बात घरवालों को पता है?"

"नहीं भाई, किसी को पता नहीं है और हां वे सब किसी के घर पूजा में नहीं बल्कि अपने दूसरे घर में गए हैं। ताकि आप दोनों अकेले में समय बिता सके और जब यह बातें हम सभी को पता चली तो हमने तभी कर लिया आप दोनों को डराने और परेशान करने का। फिर बहाने बना कर हम लोग यहां आ गए।"

"भैया, भाभी, चलिए कैंडल लाइट डिनर करते हैं।"

"अभी कान के नीचे बजाऊंगा! तुम सबके साथ कैंडल लाइट डिनर करूं? चलो भागो यहां से सब के सब।"

"अरे भाई, मेरा मतलब ये कैंडल लाइट डिनर छोड़िए। आप दोनों फिर कभी करना। आज कोई नहीं है घर में। बाहर बहुत तेज बारिश हो रही है तो क्यों ना हम रात भर पार्टी करें। देखिए हम पार्टी करने के लिए सामान भी लेकर आए हैं। तो प्लीज, मना मत करिए।"

"हां-हां भाई, भाभी चलो पार्टी करते हैं।" सब ने कहा तो कैंडल लाइट डिनर छोड़ सब पार्टी करने में व्यस्त हो गए।

स्पीकर पर गाना बजाया। हम तुम ये बहार देखो रंग लाया प्यार बरसात के महीने में.

भाई कैंडल लाइट डिनर नहीं पार्टी कर रहे हैं।

सावन में लग गई आग.. दिल मेरा हाय....

और सबके पैर थिरकने लगे।

दोस्तों, पता नहीं मैं ट्विस्ट लाने में कितना सफल रही पर कहानी पसंद आए तो लाइक, कमेंट और शेयर के साथ मुझे फॉलो जरूर करिएगा धन्यवाद। लेखन में हुई किसी भी तरह की त्रुटि के लिए क्षमा प्रार्थी हूं।

डिस्क्लेमर: इस पोस्ट में व्यक्त की गई राय लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं। जरूरी नहीं कि वे विचार हरी कैंडल को समझना या राय Momspresso.com के विचारों को प्रतिबिंबित करते हों .कोई भी चूक या त्रुटियां लेखक की हैं और मॉम्सप्रेस्सो की उसके लिए कोई दायित्व या जिम्मेदारी नहीं है ।

रेटिंग: 4.61
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 291