विदेशी मुद्रा भंडार में बड़ी कमी
भारत का विदेशी मुद्रा भंडार अब भी रिकॉर्ड विदेशी मुद्रा की कीमतें ऊंचाई पर है। लेकिन इसमें पिछले छह महीने में बड़ी कमी आई है। पिछले साल सितंबर में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 642 अरब डॉलर से ऊपर पहुंच गया था। लेकिन अब यह छह सौ अरब विदेशी मुद्रा की कीमतें डॉलर से नीचे आ गया है। एक तरफ भारत का विदेशी मुद्रा भंडार घट रहा है और दूसरी ओर डॉलर के मुकाबले रुपए की कीमत ऐतिहासिक गिरावट पर है। पिछले महीने 29 अप्रैल को खत्म हुए कारोबारी हफ्ते में विदेशी मुद्रा भंडार 597 अरब डॉलर पर आ गया था और छह मई को खत्म हुए कारोबारी हफ्ते में डॉलर की कीमत 76 रुपए से ऊपर पहुंच गई थी।
बहरहाल, पिछले छह-सात महीने में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 44.73 अरब डॉलर कम हुआ है। सांस्थायिक विदेशी निवेशकों के पैसा निकालने की वजह से विदेशी मुद्रा कम हो रहा है। पिछले छह महीने में संस्थागत विदेशी निवेशकों ने 21.43 अरब डॉलर निकाल लिया है। यानी कम हुई विदेशी मुद्रा में आधा हिस्सा संस्थागत विदेशी निवेशकों का है। इसका प्रत्यक्ष कारण तो यह दिख रहा है कि अमेरिका में फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों में बढ़ोतरी का फैसला किया है। अमेरिका में मौद्रिक नीति में बदलाव से विदेशी निवेशक लौट रहे हैं। अकेले मार्च के महीने में विदेशी निवेशकों ने छह अरब डॉलर से ज्यादा निकाले। इसके अलावा रूस और यूक्रेन की जगह की वजह से तेल की कीमतें बढ़ी हैं, जिनके डॉलर में भुगतान की वजह से भारत के विदेशी मुद्रा भंडार पर दबाव बढ़ रहा है। हालांकि भारत के लिए अब भी चिंता की कोई खास बात नहीं है लेकिन शेयर बाजार का उतार-चढ़ाव लंबे समय में मुश्किल का कारण बन सकता है। इसका असर हाल में लांच हुए एलआईसी के शेयरों पर भी पड़ सकता है।
Rupee Rises: डॉलर के मुकाबले रुपये में मामूली सुधार, 24 पैसे की आई मजबूती
विदेशी मुद्रा व्यापारियों ने एक न्यूज एजेंसी को बताया कि यूएस फेड विदेशी मुद्रा की कीमतें और कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट के कारण डॉलर में गिरावट जारी रही जिससे रुपये की स्थिति में मामूली सुधार हुआ है. तेल की कीमतों में कमजोरी ने भी भारतीय रुपये को समर्थन दिया.
नई दिल्ली: पिछले कुछ महीनों से अमेरिकी डॉलर के मुकाबले कमजोर चल रहा रुपया मामूली रूप से मजबूत हुआ है। सोमवार को बाजार खुलने के बाद रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 79.11 पर कारोबार कर रहा था जो शाम को 79.02 पर पहुंच गया। पिछले तीन सप्ताह में रुपये की ये सबसे मजबूत स्थिति है। विदेशी मुद्रा की कीमतें इंटरबैंक फॉरेन एक्सचेंज के मुताबिक, पिछले कारोबारी सेशन में डॉलर के मुकाबले रुपया 79.26 के स्तर पर बंद हुआ था।
कैसे मजबूत हुई रुपये की स्थिति
विदेशी मुद्रा व्यापारियों ने एक न्यूज एजेंसी को बताया कि यूएस फेड और कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट के कारण डॉलर में गिरावट जारी रही जिससे रुपये की स्थिति में मामूली सुधार हुआ है। तेल की कीमतों में विदेशी मुद्रा की कीमतें कमजोरी ने भी भारतीय रुपये को समर्थन दिया। इस साल अब तक अमेरिकी डॉलर के विदेशी मुद्रा की कीमतें मुकाबले भारतीय रुपये में 6.6% की गिरावट आई है, यहां तक कि कुछ एशियाई करेंसी में भी रुपये की तुलना में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारी गिरावट देखी गई है।
सोमवार को एक रिपोर्ट में कहा गया है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सोने की कीमतें 1,700-1,760 डॉलर प्रति औंस के स्तर पर है और आने वाले हफ्तों में इसके स्थिर कारोबार की उम्मीद है।
डॉलर के मुकाबले कमजोर होता रहा है रुपया
आंकड़ों की बात करें तो डॉलर के मुकाबले रुपये की वैल्यू लगातार काम होती गई है। जानकारी के मुताबिक, करीब 20 साल बाद डॉलर और यूरो की विदेशी मुद्रा की कीमतें वैल्यू बराबर हो चुकी है, जबकि यूरो (Euro) लगातार डॉलर से ऊपर रहता आया है। वहीं, दिसंबर 2014 से अब तक इंडियन करेंसी डॉलर के मुकाबले करीब 25 फीसदी कमजोर हो चुकी है। डॉलर के मुकाबले रुपये की वैल्यू एक साल पहले 74.54 के स्तर पर थी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हाल ही में रुपये में गिरावट की वजह कच्चे तेल की कीमतों में आई तेजी को बताया था। साथ ही उन्होंने इसके कारणों में रूस-यूक्रेन के बीच महीनों से जारी जंग को भी शामिल किया था।
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