वहीं पूरी दुनिया में मंदी की आहट है. कई कंपनियां अपने कर्मचारियों की छंटनी भी कर रही हैं. साथ ही शेयर बाजार में भी कहां करें निवेश? गिरावट देखने को मिली. ऐसे में निवेशकों के मन में भी ये सवाल है कि आखिर ऐसे वक्त में निवेश कहां किया जाए. तो आज हम आपको कुछ सुरक्षित निवेश के बारे में बताने जा रहे हैं.
म्युचुअल फंड्स में इन्वेस्ट कैसे करे – आसान हिन्दी में बेहतरीन आर्टिकल्स की एक शुरुआती गाइड
म्युचुअल फंड इन्वेस्टमेंट हर एक इन्वेस्टर के बीच काफ़ी लोकप्रिय हैं । जिसका कारण है इससे मिलने वाले फायदे। इसके कईं फायदों कहां करें निवेश? में से कुछ सबसे महत्वपूर्ण फ़ायदे नीचे दिए हैं, जो इन्वेस्टर्स को अपनी ओर खींचते है और जिसकी वजह से –
- इन्वेस्टर्स कितनी भी राशि के साथ शुरुआत कर सकते हैं ( 500 जितना कम भी )
- इन्वेस्टर्स, अलग-अलग स्टॉक्स और डेट,गोल्ड जैसे इंस्ट्रूमेंट्स में इन्वेस्ट कर सकते हैं
- हर महीने ऑटोमेटेड इन्वेस्मेंट्स शुरू कर सकते हैं (SIP)
- डीमैट अकाउंट खोले बिना भी इन्वेस्ट कर सकते हैं
शुरुआती इन्वेस्टर्स के लिए इस म्युचुअल फंड इन्वेस्टमेंट गाइड में हमने कुछ आर्टिकल्स को आपके लिए चुना है। जो म्युचुअल फंड को समझने में और कैसे इन्वेस्ट करना शुरू करें, इसमें आपकी मदद करेंगे। हम सुझाव देंगे कि आप इस पेज को बुकमार्क कर लें ताकि आप इन आर्टिकल्स को अपनी सुविधा के अनुसार कभी भी पढ़ सकें।
Investment Tips: मंदी की आहट और शेयर बाजार में गिरावट, अपने पैसों को कहां करें सुरक्षित तरीके से निवेश
Investment in Share: पूरी दुनिया में मंदी की आहट है. कई कंपनियां अपने कर्मचारियों की छंटनी भी कर रही है. साथ कहां करें निवेश? ही शेयर बाजार में भी गिरावट देखने को मिली. ऐसे में निवेशकों के मन में भी ये सवाल है कि आखिर ऐसे वक्त में निवेश कहां किया जाए.
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एफडी या एफएमपी, कहां करें निवेश
पिछले कुछ महीनों में फिक्स्ड मैच्योरिटी प्लांस (एफएमपी) और सावधि जमा (एफडी) दोनों में निवेशकों को आकर्षित करने के लिए होड़ देखी गई है। म्युचुअल फंड विज्ञापनों के जरिये एफएमपी में निवेश के फायदे का गुणगान करते रहे हैं।
वहीं दूसरी तरफ बैंकों ने भी भव्य होर्डिंगों में 10.5 फीसदी या 11 फीसदी का रिटर्न देने की घोषणा की है। यहां हम दोनों निवेश योजनाओं का जिक्र कर रहे हैं और बता रहे हैं कि ये कैसे काम करती हैं। एफएमपी म्युचुअल फंडों द्वारा शुरू किए गए हैं।
इसमें बैंकों के सर्टिफिकेट्स ऑफ डिपोजिट (सीडी), वाणिज्यिक पत्रों और कंपनियों के बॉन्डों और इसी तरह के अन्य इंस्ट्रूमेंट में निवेश किया जाता है। एफएमपी अपने निवेशकों के लिए ‘इंडिकेटिव रिटर्न’ यानी संभावित प्रतिफल की पेशकश करते हैं। वहीं एफडी के तहत कहां करें निवेश? निवेश बैंकों और कुछ गैर-बैंकिंग वित्त कंपनियों (एनबीएफसी) में किया जाता है और इसमें उन्हें ‘निश्चित प्रतिफल’ की पेशकश की जाती है।
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PPF Investment: अगर आप भी करोड़पति बनने (How to become a crorepati) का ख्वाब देख रहे हैं तो इसे आप पूरा कर सकते हैं। इसके लिए आपको निवेश की आदत (investment planning) डालनी होगी। अगर हम छोटी सेविंग्स को रेगुलर आदत बना ले, तो यह आने वाले सालों में बड़ी रकम बना सकता है। आपको बता दें कि केंद्र सरकार द्वारा समर्थित कई निवेश योजनाएं हैं जो बिना किसी जोखिम के साथ अच्छे रिटर्न की पेशकश करती हैं। ऐसा ही एक निवेश विकल्प है- पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF) । पीपीएफ जोखिम से बचने वाले निवेशकों के लिए सबसे आकर्षक निवेश विकल्पों में से एक है। साथ ही इसे लंबी अवधि के लक्ष्यों के लिए पैसे बचाने की चाहत रखने वाले निवेशकों द्वारा खूब पसंद किया जाता है। आप पीपीएफ में मासिक पैसा भी बचा सकते हैं और मैच्योरिटी के समय लगभग 1 करोड़ रुपये पा सकते हैं। आइये जानते हैं कैसे?
इक्विटी म्यूचुअल फंड में एसआईपी
इक्विटी म्यूचुअल फंड में हर महीने सिस्टमैटिक इंवेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) गौरतलब है। एसआईपी जब एक बार रजिस्टर्ड हो जाता है तो आपके द्वारा चुनी गई तारीख पर हर महीने आपके खाते से पूर्व-निर्धारित राशि काट ली जाएगी। लंबे समय में म्यूचुअल फंड के जरिए शेयरों में निवेश करके पैसा बनाने का सबसे सुविधाजनक तरीका ‘इक्विटी में एसआईपी’ है। दीर्घावधि में आप औसतन 15% चक्रवृद्धि वार्षिक रिटर्न प्राप्त करने का अनुमान रख सकते हैं।
बैंकों या डाकघर में पब्लिक प्रोविडेंट फंड (पीपीएफ) खाता खोलना ‘डेब्ट एसेट’ में निवेश करने का एक अच्छा तरीका है। सरकारी समर्थन के साथ इसमें मिलने वाला ब्याज दर अभी भी उच्चतम रूप से 7.1% है, जो पीपीएफ को अहम बनाता है। इसमें 15 साल की लॉक-इन अवधि होती है, हालांकि आप आंशिक रूप से पैसा निकाल सकते हैं। पीपीएफ में इस तरह का निवेश न केवल आपको सुरक्षित रूप से लंबी अवधि में पैसा बनाने में मदद करता है, बल्कि इसमें वार्षिक रूप से किया जाने वाला योगदान आयकर अधिनियम की धारा 80सी के तहत टैक्स में छूट के लिए भी पात्र है। एक व्यक्ति इसमें अधिकतम 1.5 लाख रुपए और न्यूनतम 500 रुपए प्रति वर्ष तक निवेश कर सकता है।
हेल्थ इंश्योरेंस प्लान लें
स्वास्थ्य-संबंधी किसी भी अप्रत्याशित खर्च से बचने के लिए यह उचित होगा कि एक हेल्थ इंश्योरेंस कवर लें। हेल्थ इंश्योरेंस के लिए भुगतान किया गया प्रीमियम अंततः एक बड़ा निवेश निर्णय साबित होगा क्योंकि यह न तो आपकी जेब से खर्च होगा, और न ही किसी चिकित्सा आपात स्थिति के दौरान आपके अन्य निवेशों को संभावित रूप से प्रभावित करेगा। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि जब आप इसे 20-29 वर्ष की उम्र में खरीदते हैं तो आपके हेल्थ इंश्योरेंस का प्रीमियम 30-39 वर्ष की उम्र में इसे खरीदने की तुलना में कम होगा।
आप अपने मासिक निवेश का लगभग 5-10% हिस्सा गोल्ड म्यूचुअल फंड, गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड और सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड के जरिए डीमैटरियलाइज्ड गोल्ड में निवेश करने पर विचार कर सकते हैं। फिजिकल गोल्ड रखने के बजाय डीमैट गोल्ड में निवेश करने से आपको मुद्रास्फीति के खिलाफ सुरक्षा मिलती है, साथ ही इससे डाइवर्सिफिकेशन में भी मदद मिलती है। इसके अलावा, फिजिकल गोल्ड की तुलना में इसे नकदी में बदलना अधिक आसान है, और इसमें वेस्टेज या मेकिंग चार्ज देने का झंझट भी नहीं है जो आपके निवेश मूल्य को कम करते हैं। न ही इसके साथ कोई भावनात्मक लगाव वाली बात है, जो इसे बेचना मुश्किल बना दे। ऐसी उम्मीद है कि अगले एक दशक में सोने की कीमतें और बढ़ेंगी, अतः डीमैट गोल्ड में निवेश पर विचार किया जा सकता है।
मासिक बचत को लिक्विड फंड में लगाएं
अपना कुल मासिक खर्च निकालने के बाद, बची हुई राशि को अपने बैंक खाते में बेकार रखने के बजाय किसी लिक्विड फंड में लगाएं। एक लिक्विड म्यूचुअल फंड अल्पावधि के लिए डेब्ट और मनी मार्केट इंस्ट्रूमेंट में निवेश करता है। आमतौर पर, बैंकों के बचत खाते की तुलना में लिक्विड फंड में रखे गए पैसे पर बेहतर रिटर्न मिलता है। इस तरह, आपकी बचत न केवल सुरक्षित रहती है बल्कि तुलनात्मक रूप से उस पर बेहतर ब्याज मिलता है। आप अपनी जरूरत के हिसाब से मनचाही रकम निकाल सकते हैं, और बाकी पैसा निवेशित बना रहेगा। इस तरह, आप आसान उपलब्धता वाला एक आपातकालीन कोष भी बना सकते हैं जिसका उपयोग किसी संकट या विपत्ति के समय किया जा सकता है।
निवेश के विभिन्न तरीकों पर निर्णय लेते समय, एक युवा निवेशक को चाहिए कि वह इक्विटी-ओरिएंटेड निवेश साधन की ओर अधिक झुकाव वाले एसेट एलोकेशन को अहमियत दे। हालाँकि कोई स्थापित नियम नहीं है लेकिन एक अच्छा निवेश दृष्टिकोण वह है जो सुनिश्चित करे कि आपके कुल पोर्टफोलियो में इक्विटी निवेश की हिस्सेदारी 60-70% है। डेब्ट एसेट में 20-30% हिस्सा लगा सकते हैं जबकि बाकी आपको सोने में लगाना चाहिए। इक्विटी निवेश आम तौर पर लंबी अवधि में मुद्रास्फीति को व्यापक अंतर के साथ मात देते हैं।
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