एक अन्य सूत्र ने कहा कि पहले चरण में 100 रुपये से अधिक कीमत की दवाओं को शामिल करने के लिए औषधि विभाग, राष्ट्रीय औषध मूल्य प्राधिकरण (एनपीपीए) आदि के साथ बातचीत जारी है। उद्योग के सूत्र ने बताया, ‘दवाओं की सूची तय नहीं हुई है और अभी इसमें फेरबदल हो रहे हैं। एक संभावित सूची विचार करने के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को भेजी गई है। मगर आम सहमति इसी बात पर बनती दिख रही है कि 100 रुपये से अधिक कीमत की दवाओं को मार्जिन वाजिब बनाने के पहले चरण में लाया जाए।’ गुर्दे की पुरानी बीमारियों आदि की दवाओं, कुछ महंगे एंटीबायोटिक्स, एंटी-वायरल और कैंसर की कुछ दवाओं को सबसे पहले इस कवायद के दायरे में लाए जाने की संभावना है। असल में इसका मकसद थोक विक्रेताओं और खुदरा विक्रेताओं के लिए मार्जिन की सीमा तय करना है। दवा विनिर्माता अपने उत्पाद थोक विक्रेता को बेचते हैं, जो उसे स्टॉकिस्टों और खुदरा विक्रेताओं को बेचता है। कंपनी थोक विक्रेता को जिस कीमत पर दवा देती है और आम ग्राहक उसका जो अधिकतम खुदरा मूल्य अदा करता है, उनके बीच का अंतर ही व्यापार मार्जिन होता है। सूत्रों ने दावा किया कि सरकार यह मार्जिन 33 से 50 फीसदी रखने की सोच रही है।

व्यवसाय के अनुसार वितरण वाहिकाएँ ( Channel of Distribution ) क्या होती है ?

उत्पादों के मूल्य चैनल की दिशा में व्यापार स्वामित्व हस्तान्तरण के लिए अपनाये गये वितरण वाहिका के माध्यम कहलाते हैं । उत्पादों के उत्पादन के पश्चात विपणन का अगला लक्ष्य उपभोक्ताओं को उचित मूल्य पर, उचित स्थान पर, उचित समय मूल्य चैनल की दिशा में व्यापार पर तथा उचित मात्रा में उत्पाद उपलब्ध करवाना होता है । इस लक्ष्य की प्राप्ति हेतु वितरण माध्यमों का कुशल चयन एवं प्रबन्ध विपणन का प्रमुख निर्णय क्षेत्र है ।

विलियम जे. स्टेन्टन के अनुसार, "वितरण वाहिका ( जिसे व्यापार वाहिका भी कहा जाता है ) एक उत्पाद के वितरण मूल्य चैनल की दिशा में व्यापार हेतु अपनाया गया वह मार्ग है जिसमें वस्तुओं का स्वामित्व उत्पाद से अन्तिम उपभोक्ता या औद्योगिक उपयोगकर्त्ता तक पहुँचता है ।"

रिचर्ड एम. क्वीलेट के अनुसार, "वितरण वाहिका एक पाइप लाइन है जिसके द्वारा उत्पाद उपभोक्ता तक पहुँचता है । निर्माता अपने उत्पाद को पाइप लाइन या वितरण वाहिका में डालता है और अनेक विपणन व्यक्ति उसको उपभोक्ता की ओर ले जाते हैं जो वाहिका के अन्तिम छोर पर होते हैं ।"

100 रुपये से महंगी दवाओं पर तय होगा वाजिब व्यापार मार्जिन!

सरकार काफी ज्यादा इस्तेमाल होने वाली दवाओं पर कारोबारी मार्जिन वाजिब रखने की दिशा में काम कर मूल्य चैनल की दिशा में व्यापार रही है ताकि इनकी कीमतें घटाई जा सकें। इस बारे मूल्य चैनल की दिशा में व्यापार में जानकारी रखने वाले लोगों का कहना है कि 100 रुपये या उससे महंगी दवाओं के लिए भी ऐसा ही किया जा सकता है। सूत्रों का कहना है कि कारोबारी मार्जिन को वाजिब सीमा में लाने के पहले चरण में उन दवाओं को भी शामिल किया जा सकता है, जो मूल्य नियंत्रण के दायरे से बाहर हैं।

इस सप्ताह सरकारी विभागों के साथ भागीदारों मूल्य चैनल की दिशा में व्यापार की बैठक का हिस्सा रहे एक व्यक्ति ने कहा, ‘वजह यह है कि जो दवाएं आवश्यक दवाओं की राष्ट्रीय सूची में शामिल हैं, उनकी पहले ही अधिकतम कीमत सीमा तय है। ऐसे उत्पादों में कंपनियां मनमाना कारोबारी मार्जिन शायद ही दे पाएं क्योंकि प्रतिस्पर्द्धी कीमतों के कारण ज्यादा मार्जिन की गुंजाइश ही नहीं रहती।’

रेटिंग: 4.20
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 77