'Global market'

रेटिंग एजेंसी द्वारा एक्सिस बैंक की दीर्घकालिक और अल्पकालिक क्रेडिट रेटिंग को 'बीबी+/बी' से बढ़ाकर 'बीबीबी-/ए-3' कर दिया गया है.

विश्व जनसंख्या दिवस पर जारी की गई 'वर्ल्ड पॉपुलेशन प्रॉस्पेक्ट्स' रिपोर्ट में बताया गया है कि 2022 से 2050 के बीच 61 देशों की जनसंख्या एक प्रतिशत या इससे अधिक घट सकती है। इसके पीछे पलायन जैसे कारण होंगे

वैश्विक बाजार में तेजी और रुपये में गिरावट के बीच दिल्ली सर्राफा बाजार में गुरुवार को सोना (Gold) 497 रुपये की तेजी के साथ 52,220 रुपये प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गया.

अमेरिकी डॉलर (Dollar) के मुकाबले रुपये (Rupees) की विनिमय दर सोमवार को तीन पैसे की गिरावट के साथ 79.81 पर बंद हुई. वैश्विक बाजारों में डॉलर के मजबूत होने के साथ रुपया का शुरुआती लाभ लुप्त होने से यह गिरावट आई.

ग्‍लोबल मार्केट से मिल रहे पॉजिटिव संकेतों के बीच स्थानीय शेयर बाजारों में कारोबारी सप्ताह के पहले दिन सोमवार को शेयर बाजार का सेंसेक्स 433.30 अंक उछलकर 53,161.28 अंक पर बंद हुआ. वहीं निफ्टी में 132.80 अंकों का उछाल आया. निफ्टी 15,832.05 अंक पर बंद हुआ.

"ICU में मौजूद ब्रेन-डेड व्यक्ति (Brain Dead Person) के परिवार को अंग दान (Organ Donation) का प्रोत्साहन देने के लिए सरकारी नौकरी, या किसी सर्विस में सब्सिडी, या रेलवे/ हवाई टिकिट में क्या है मार्केट सेंटीमेंट? छूट, या अस्पताल में आसान इलाज जैसी सुविधाएं जैसे इंसेंटिव के तौर पर मिलनी चाहिएं. इससे अंग दान बढ सकता है. सरकार को ऐसी नीतियां बनानी चाहिएं." - डॉ हिमांशु वर्मा, सफदरजंग अस्पताल

वैश्विक बाजारों (Global Markets) में कमजोरी के रुख और सूचना प्रौद्योगिकी कंपनियों के शेयरों में बिकवाली के बीच घरेलू शेयर बाजारों ने मंगलवार को एक बार फिर शुरुआती बढ़त को गंवा दिया.

Crude Oil Price : रूस ने चेतावनी दी है कि आने वाले दिनों में क्रूड की कीमत 300 डॉलर पर पहुंच सकती है. दरअसल, पश्चिमी देश यूक्रेन पर हमले को लेकर रूस पर कड़े से कड़े प्रतिबंध लगा रहे हैं. इसी क्रम में रूस से ऑयल इंपोर्ट यानी तेल आयात करने पर रोक लगाने पर विचार हो रहा है.

वैश्विक बैंकिंग समूह सिटी ग्रुप (Citigroup) ने भारत, चीन समेत 12 बड़े देशों से अपना कंज्यूमर बैंकिंग कारोबार समेटने का फैसला किया है. कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच बैंकिंग क्षेत्र में यह सबसे बड़ा झटका माना जा रहा है.

पिछले कारोबारी सत्र में सोना 46,783 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बंद हुआ था.चांदी की भी 340 रुपये के लाभ के साथ 68,391 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई, जो पिछले कारोबारी सत्र में 68,051 रुपये प्रति किलोग्राम के भाव पर थी.

स्‍टॉक मार्केट सेंटिमेंट क्‍या होता है?

जब बाजार चढ़ता है तो मार्केट सेंटिमेंट में मजबूती आती है वहीं, बाजार के गिरने पर मार्केट सेंटिमेंट में कमजोरी आती है.

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2. जब बाजार चढ़ता है तो मार्केट सेंटिमेंट में मजबूती आती है. दूसरे शब्‍दों में कहें तो लोग ज्‍यादा जोखिम लेने के लिए तैयार होते हैं. वहीं, बाजार के गिरने पर मार्केट सेंटिमेंट में कमजोरी आती है. ऐसी स्थितियों में निवेशक सतर्क रुख अपनाते हैं या फिर जोखिम लेने से कतराते हैं.

3. मार्केट सेंटिमेंट हमेशा बुनियादी बातों पर आधारित नहीं होते हैं. कई बार बाजार में भावनाओं में बहकर निवेशक दांव लगाते हैं. यही कारण है कि मार्केट सेंटिमेंट को देखकर दांव लगाने से नफा-नुकसान दोनों हो सकते क्या है मार्केट सेंटीमेंट? हैं.

4. प्रतिभूतियों को लेकर निवेशकों की धारणा से उसकी कीमतों में उतार-चढ़ाव आता है. इस उतार-चढ़ाव का डे-ट्रेडर्स और टेक्निकल एनालिस्‍ट्स फायदा उठाते हैं. वे छोटी अवधि में कीमतों में उठापटक से लाभ उठाने की कोशिश करते हैं.

5. मार्केट सेंटिमेंट को नापने के लिए विभिन्‍न तरह के इंडिकेटर्स हैं. इनमें वोलेटिलिटी इंडेक्‍स शामिल है. इसकी मदद से निवेशकों को पता लगता है कि मार्केट सेंटिमेंट किस तरह के हैं.

इस पेज की सामग्री सेंटर फॉर इंवेस्टमेंट एजुकेशन एंड लर्निंग (क्या है मार्केट सेंटीमेंट? सीआईईएल) के सौजन्य से. गिरिजा गादरे, आरती भार्गव और लब्धि मेहता का योगदान.

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Market Sentiment- मार्केट सेंटीमेंट

क्या होता है मार्केट सेंटीमेंट?
मार्केट सेंटीमेंट (Market Sentiment) यानी बाजार धारणा किसी विशेष सिक्योरिटी या वित्तीय बाजार के प्रति निवेशकों के समग्र रवैये को संदर्भित करती है। यह बाजार की भावना या टोन या भीड़ मानसिकता है जैसाकि उस बाजार में ट्रेड की जा रही सिक्योरिटियों की गतिविधि या प्राइस मूवमेंट के जरिये पता लगता है। व्यापक अर्थों में, बढ़ती कीमतें बुलिश मार्केट सेंटीमेंट का संकेत देती हैं जबकि गिरती कीमत मंदी अर्थात बियरिश मार्केट सेंटीमेंट का संकेत देती हैं।

मुख्य बातें
- मार्केट सेंटीमेंट से तात्पर्य किसी स्टॉक या कुल मिलाकर स्टॉक मार्केट के बारे में समग्र आम सहमति से है।
- मार्केट सेंटीमेंट बुलिश होता है जब कीमतें बढ़ रही होती हैं।
- मार्केट सेंटीमेंट बियरिश होता है जब कीमतें घट रही होती हैं।
- तकनीकी संकेतक निवेशकों को मार्केट सेंटीमेंट की माप करने में सहायता कर सकते हैं।

मार्केट सेंटीमेंट को समझना
मार्केट सेंटीमेंट को ‘निवेशक धारणा' भी कहा जाता है और यह हमेशा फंडामेंटल्स यानी बुनियादी कारकों पर ही अधारित नहीं होता है। डे ट्रेडर और तकनीकी विश्लेषक मार्केट सेंटीमेंट पर भरोसा करते हैं क्योंकि यह उन तकनीकी संकेतकों को प्रभावित करता है जिनका उपयोग वे किसी सिक्योरिटी के प्रति निवेशकों के रवैये द्वारा अक्सर उत्पन्न अल्प अवधि प्राइस मूवमेंट की माप करने और लाभ उठाने के लिए करते हैं।

मार्केट सेंटीमेंट उन विपरीत निवेशकों के लिए भी महत्वपूर्ण है जो व्याप्त सहमतियों की विपरीत दिशा में ट्रेड करना पसंद करते हैं। निवेशक आम तौर पर मार्केट सेंटीमेंट को बियरिश या बुलिश के रूप में देखते हैं। जब बियर्स यानी मंदडियों का नियंत्रण होता है तो स्टॉक की कीमतें नीचे जाती हैं। जब बुल्स यानी तेजड़ियों का नियंत्रण होता है तो स्टॉक की कीमतें ऊपर जाती हैं। भावनाएं अक्सर स्टॉक मार्केट को प्रेरित करती हैं इसलिए मार्केट सेंटीमेंट हमेशा फंडामेंटल वैल्यू का पर्याय नहीं होते। अर्थात मार्केट सेंटीमेंट भावनाओं और संवदेनशीलता का मसला है जबकि फंडामेंटल वैल्यू का संबंध कंपनियों के प्रदर्शन से है। कुछ निवेशक मार्केट सेंटीमेंट की माप करने के लिए विभिन्न संकेतकों का उपयोग करते हैं जो उन्हें यह निर्धारित करने में मदद करता है कि ट्रेड करने के लिए कौन सर्वश्रेष्ठ स्टॉक है।

जानिए क्या है स्टॉक मार्केट सेंटिमेंट? क्यों निवेशकों को इसकी चिंता करनी चाहिए

इकनॉमी या किसी खास शेयर के बारे में लोगों की एक विशेष धारणा ही सेंटिमेंट को तय करने में अहम भूमिका निभाती है. इस धारणा को ही मार्केट सेंटिमेंट या बाजार की धारणा कहते हैं.

By: एबीपी न्यूज़ | Updated at : 11 Sep 2020 01:27 PM (IST)

शेयर बाजार के बारे में बात करते हुए अक्सर हम इस का जिक्र करते हैं कि मार्केट सेंटिमेंट खराब है इसमें सुधार आ रहा है. निवेशकों के बीच यह आम चर्चा का विषय होता है कि कारोबारी धारणा बेहतर है या बाजार का सेंटिमेंट बिगड़ा हुआ है. दरअसल निवेश की दुनिया में कारोबारी सेंटिमेंट का काफी ज्यादा असर होता है. इसका क्या है मार्केट सेंटीमेंट? असर डेट हो या इक्विटी मार्केट, दोनों पर पड़ता है. इस सेंटिमेंट के आधार पर निवेशक पैसा लगाते हैं. ई-ट्रेडर्स और विश्लेषक शेयरों बॉन्ड्स से पैसा कमाते हैं.

इकनॉमी या शेयरों के बारे में निवेशकों की राय से बनता है सेंटिमेंट

इकनॉमी या किसी खास शेयर के बारे में लोगों की एक विशेष धारणा ही सेंटिमेंट को तय करने में अहम भूमिका निभाती है. इस धारणा को ही मार्केट सेंटिमेंट या बाजार की धारणा कहते हैं. बाजार की चाल मार्केट क्या है मार्केट सेंटीमेंट? सेंटिमेंट से ही तय होती है.जब बाजार में उछाल दर्ज होती है तो मार्केट सेंटिमेंट मजबूत होता है. यानी क्या है मार्केट सेंटीमेंट? लोग अपने निवेश पर ज्यादा जोखिम लेना पसंद करते हैं और लेकिन बाजार गिरने से सेंटिमेंट कमजोर होता है और निवेशक दूर हटते हैं. निवेशक सतर्क हो जाते हैं और जोखिम नहीं लेते हैं.

सिर्फ बाजार के फंडामेंटल से तय नहीं होते सेंटिमेंट

बाजार की दिशा हमेशा फंडामेंटल ही तय नहीं करते. कई ऐसी चीजें होती हैं जो बाजार पर असर करती हैं. कई बार बाजार में भावनात्मक मुद्दे भी हावी रहते हैं और निवेशक बगैर ज्यादा सोचे-समझे निवेश करता है. शेयरों और सिक्योरिटी को लेकर निवेशकों की धारणा से उसकी कीमतों में उतार-चढ़ाव देखने को मिलता है. डे-ट्रेडर्स और टेक्निकल एनालिस्ट इसका फायदा उठाते हैं. छोटी अवधि में कीमतों में जो उतार-चढ़ाव होते हैं, उससे निवेशकों की निवेश भावनाएं प्रभावित होती हैं. मार्केट सेंटिमेंट के आकलन के लिए अलग-अलग तरह के इंडेकेटर्स हैं. इनमें वोलेटिलिटी इंडेक्स भी शामिल है. वोलेटिलिटी इंडेक्स बाजार की अनिश्चितता के बारे में बताता है. इससे पता चलता है कि मार्केट सेंटिमेंट क्या हैं.

Published at : 11 Sep 2020 01:27 PM (IST) Tags: Market sentiment stock investing investment tips Share Market हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine क्या है मार्केट सेंटीमेंट? से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: Business News in Hindi

बढ़ती महंगाई बिगाड़ेगी बाजार का सेंटीमेंट! एक्‍सपर्ट से समझें- कैसे तैयार करें दमदार पोर्टफोलियो, किस सेक्‍टर्स में बनेगा पैसा

How to make an inflation-proof portfolio: एक्‍सपर्ट का कहना है कि बढ़ती महंगाई के दौर में निवेशकों को ऐसा पोर्टफोलियो तैयार करना चाहिए, जोकि महंगाई से बचाव करने वाला हो. यहां निवेशक यह जान लें कि महंगाई निश्चित तौर पर बाजार के सेंटीमेंट पर असर डाल सकती है.

How to make an inflation-proof portfolio: देश में खुदरा महंगाई दर (Retail Inflation) मार्च 2022 में 17 महीने के टॉप 6.95 फीसदी पर पहुंच गई. फूड आइटम्‍स के साथ-साथ कमोडिटी कीमतों पर बढ़ते दबाव के चलते महंगाई में उछाल आ रहा है. बढ़ती महंगाई का सीधा असर आम आदमी की जेब पर पड़ रहा है. ऐसे में यह सवाल भी अहम है कि क्‍या क्या है मार्केट सेंटीमेंट? महंगाई शेयर बाजार के सेंटीमेंट को बिगाड़ सकती है और अगर आप बाजार से अच्‍छा मुनाफा चाहते हैं, तो मौजूदा समय में अपना पोर्टफोलियो कैसे बनाएंं? एक्‍सपर्ट का कहना है कि बढ़ती महंगाई के दौर में निवेशकों को ऐसा पोर्टफोलियो तैयार करना चाहिए, जोकि महंगाई से प्रोटेक्‍ट करने वाला हो. यहां निवेशक यह जान लें कि बढ़ती महंगाई निश्चित तौर पर बाजार के सेंटीमेंट पर असर डाल सकती है.

स्‍वास्तिका इन्‍वेस्‍टमार्ट लिमिटेड के रिसर्च हेड संतोष मीणा का कहना है कि बढ़ती महंगाई एक बड़ी चिंता का विषय है. हालांकि, अधिकांश चीजों को बाजार पहले से डिस्‍काउंट कर चुका है. ऐसे में महंगाई में नरमी आने के किसी भी संकेत से बाजार में एक रिलीफ रैली देखने को मिल सकती है. उनका कहना है कि मौजूदा तिमाही और अगली तिमाही में रॉ मैटीरियल की ऊंची कीमतों का असर रहेगा. इसमें अब कंपनियों के मैनेजमेंट का क्‍या रुख रहता है, यह काफी अहम होगा.

महंगाई को मात देगा पोर्टफोलियो!

संतोष मीणा का कहना है कि बढ़ती महंगाई के समय में निवेशकों के सामने सबसे बड़ा चैलेंज अपने निवेश पोर्टफोलियो को इस तरह बनाना, जो महंगाई दर को मात देकर बेहतर रिटर्न दे सके. उनका कहना है, निवेशकों को कमोडिटी कंज्‍यूमर्स की बजाय कमोडिटी प्रोड्यूसर्स स्‍टॉक्‍स में खरीदारी करनी चाहिए. हालांकि, कमोडिटी प्रोड्यूसर्स कंपनियों की कीमतों पहले ही बढ़ चुकी है. इसलिए लो मार्जिन सेफ्टी है.

उनका कहना है कि निवेशकों को ऐसे सेक्‍टर्स पर फोकस करना चाहिए जो कमोडिटी कीमतों को लेकर कम सेंसेटिव क्या है मार्केट सेंटीमेंट? हैं. जैसेकि बैंकिंग एंड फाइनेंशियल्‍स, टेलिकॉम और आईटी स्‍टॉक्‍स पर फोकस कर सकते हैं. इसके साथ ही निवेशकों को ऐसे हाई-क्‍वालिटी स्‍टॉक्‍स पर भी देखना चाहिए, जो महंगाई के चलते अस्‍थायी रूप से दबाव में हैं.

मार्च 2022 में रिटेल महंगाई दर 6.95 फीसदी रही, जो कि 6.3 फीसदी के अनुमान से ज्‍यादा है. अगले दो महीनों तक भी कीमतों में बढ़ोतरी दिखाई दे सकती है. हालांकि, यहां से मार्केट की नजर कमोडिटी कीमतों के ट्रेंड पर रहेगी.

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खाने-पीने की महंगाई में तगड़ा उछाल

रिटेल महंगाई दर (CPI) मार्च में बढ़कर 6.95 फीसदी हो गई. फरवरी में यह 6.1 फीसदी थी. खुदरा महंगाई बढ़ने की मुख्‍य वजह फूड आइटम्स की कीमतों में उछाल रहा. फूड इंफ्लेशन मार्च में 7.68 फीसदी था, जो कि फरवरी में 5.85 फीसदी रहा. यह लगातार तीसरा महीना है, जब रिटेल इंफ्लेशन भारतीय रिजर्व बैंक के कंफर्ट जोन से ऊपर रहा है. रिजर्व बैंक ने FY23 के लिए महंगाई दर अनुमान 4.5% से बढ़ाकर 5.7% किया है.

(डिस्‍क्‍लेमर: यहां निवेश की सलाह ब्रोकरेज हाउस द्वारा दी गई है. ये जी बिजनेस के विचार नहीं हैं. निवेश से पहले अपने एडवाइजर से परामर्श कर लें.)

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