भारत के रियल एस्टेट में एनआरआई निवेश की व्याख्या करना

भारत में गैर-निवासियों के लिए एक नीति है जो उन्हें निर्माण और विकास क्षेत्र में निवेश करने के लिए आमंत्रित करते हैं। स्वतंत्र परिसर में निवेश के लिए, नीति केवल एनआरआई के लिए खुली है। संबंधित कानूनों पर एक नजर विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1 999 की धारा 47 के तहत तैयार मुद्रा और विनिमय नियंत्रण, विदेशी मुद्रा प्रबंधन (भारत में स्थाई संपत्ति का अधिग्रहण और विदेशी मुद्रा व्यापार गुरुग्राम अंतरण) विनियम, 2000, गैर-निवासियों द्वारा अचल संपत्ति लेनदेन पर लागू होते हैं या विदेशी लेनदेन से जुड़े अन्य लेनदेन भारतीय रिज़र्व बैंक फेमा लेनदेन को दो विदेशी मुद्रा व्यापार गुरुग्राम प्रकारों में विभाजित करता है: पूंजी खाता लेनदेन और चालू खाता लेनदेन। रियल एस्टेट निवेश एक पूंजी खाता लेनदेन है कर शासन भारत में, किसी को भी निवास के आधार पर लगाया जाता है और नागरिकता नहीं है। भारतीयों को अपनी वैश्विक आय पर भारत में टैक्स के अधीन किया जाता है जबकि गैर-निवासियों को उनके भारतीय आय के स्रोत पर लगाया जाता है। अनिवासी भारतीयों और भारतीय मूल के व्यक्तियों के लिए स्वतंत्र परिसर में निवेश अनिवासी भारतीय (एनआरआई), भारतीय मूल के लोग (पीओआई) और विदेशी नागरिकों को यह सुनिश्चित करना है कि जिन जमीन पर खरीदी गई संपत्ति बनाई गई विदेशी मुद्रा व्यापार गुरुग्राम है वह कृषि भूमि या वृक्षारोपण की संपत्ति नहीं है, क्योंकि ये प्रकार भूमि का केवल एक किसान द्वारा खरीदा जा सकता है जो एक भारतीय नागरिक है। भारत या एक पीआईओ के बाहर के एक भारतीय नागरिक निवासी को भारत में अचल संपत्ति खरीदने की विशेष अनुमति की आवश्यकता नहीं है हालांकि, सामान्य बैंकिंग चैनलों के जरिए भारतीय मुद्रा में भुगतान किया जाना चाहिए या फेमा के तहत किसी भी अनिवासी खाते में रखे गए निधियों और भारतीय रिज़र्व बैंक के नियमों विदेशी नागरिकों और विदेशी कंपनियों को भारत में संपत्ति खरीदने से रोक दिया गया है। किसी भी आवासीय या वाणिज्यिक संपत्ति को एनआरआई द्वारा खरीदा जा सकता है लेकिन परिसर में कोई व्यवसाय नहीं किया जा सकता है। जहाँ तक संपत्ति का निपटान है, एक एनआरआई अपनी संपत्ति को किसी विदेशी एनआरआई या किसी भारतीय नागरिक को बेच सकता है। अचल संपत्ति के कारोबार में निवेश करने वाले अनिवासी भारतीय और विदेशी नागरिक प्रत्यक्ष व्यापार पर प्रतिबंध के साथ, गैर-निवासियों को भारतीय कंपनियों के माध्यम से अचल संपत्ति विकास गतिविधि में निवेश करने की अनुमति है नई नीति के अनुसार, निर्माण के तहत किसी भी परियोजना, आकार की परवाह किए बिना, एफडीआई तक पहुंच हो सकती है। तीन साल की एक लॉक-इन अवधि है, इससे पहले न्यूनतम निवेश का पुन: प्रेषित किया जा सकता है। निवेश मारीशस या सिंगापुर के जरिए किया जा सकता है ताकि कर संधि प्रावधानों का इस्तेमाल किया जा सके। एनआरआई / पीआईओ भारत में अचल संपत्ति कैसे खरीद सकते हैं? व्यक्ति के रूप में संपत्ति का प्रत्यक्ष मालिक है, उसे इस तरह के निवेश के विनिमय नियंत्रण परिणामों के बारे में पता होना चाहिए। प्रत्यक्ष खरीद: वे भारत में किसी भी रियल एस्टेट को खरीद सकते हैं (कृषि भूमि, खेत घर और वृक्षारोपण संपत्ति को छोड़कर) संपत्तियों की संख्या पर कोई प्रतिबंध नहीं भुगतान सामान्य बैंकिंग चैनलों या फेमा के तहत बनाए गए किसी भी अनिवासी खाते में आयोजित धन के माध्यम से भारत में प्राप्त धन के माध्यम से किया जा सकता है। उपहार: उपहारों को विनिमय नियंत्रण शासन के तहत अनुमति है, प्रासंगिक भारतीय डाक टिकट लागू होते हैं। वंशानुक्रम: वे एक भारतीय निवासी या अनिवासी (भारतीय रिअल इस्टेट का निवासी यानि विनिमय नियंत्रण नियमों के अधीन संपत्ति प्राप्त कर सकते हैं) से प्राप्त कर सकते हैं। विदेशी नागरिकों के लिए निवेश विकल्प किसी भी विदेशी अधिग्रहण को विदेशी राष्ट्र के लिए अनुमति नहीं है, न ही वे संपत्ति में संयुक्त मालिक हो सकते हैं हालांकि, भारत में विदेशी मुद्रा व्यापार गुरुग्राम विदेशी नागरिक जो पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, अफगानिस्तान, चीन, ईरान, नेपाल और भूटान के नागरिक हैं, उन्हें भारत में एक संपत्ति खरीदने के लिए पूर्व अनुमोदन की आवश्यकता होगी विदेशी नागरिकों को भारतीय रिजर्व बैंक के अनुमोदन के साथ भारतीय नागरिक, एनआरआई, पीआईओ को बेचने या उपहार के लिए आवासीय या वाणिज्यिक संपत्ति की अनुमति है। अन्य कारकों विनिमय नियंत्रण व्यवस्था और कर कानूनों के साथ-साथ यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि भारत में उत्तराधिकार कानून क्षेत्र और समुदाय-विशिष्ट हैं उदाहरण के लिए, हिंदू और मुस्लिम विभिन्न उत्तराधिकार नियमों द्वारा शासित होते हैं, जिन्हें फेमा नियमों के साथ पढ़ना होगा। अग्रिम में प्रत्याशा और नियोजन ऐसे स्थितियों से बचा सकते हैं। भारत के रियल एस्टेट में फ्यूचर एनआरआई इनवेस्टमेंट्स गाइड क्या होगा?

फिर भी उम्मीदें

फिर भी उम्मीदें

जुलाई-सितंबर की दूसरी तिमाही में भले ही देश की जीडीपी दर 6.3 फीसदी रही हो, इसके बावजूद भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बना हुआ है। हालांकि, विकास दर मौद्रिक नीति समिति के अनुमानों से मेल खाती है, लेकिन यह पिछले वर्ष इसी अवधि में सामने आई 8.4 की वृद्धि से कम है। कह सकते हैं कि पिछले वर्ष में वृद्धि उस समय दर्ज की गई जब अर्थव्यवस्था कोरोना संकट से तेजी से उबर रही थी। अब यह गति अपने मूल स्वरूप में लौट रही है। यद्यपि राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय यानी एनएसओ की हालिया घोषित विकास दर चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में आई 13.5 फीसदी दर से कम है मगर स्वीकार करना चाहिए कि अर्थव्यवस्था संकुचन के नकारात्मक प्रभावों के चपेट में आई है। जाहिर है महंगाई बढ़ने तथा वैश्विक विषम परिस्थितियों से मांग में गिरावट का असर दिखाई दिया है। लेकिन हमारी बड़ी चिंता विनिर्माण और खनन क्षेत्र में आई गिरावट होनी चाहिए। दरअसल, विनिर्माण के क्षेत्र में 4.3 फीसदी तथा खनन में 2.8 फीसदी का संकुचन देखा गया है। निस्संदेह विनिर्माण क्षेत्र में गिरावट नीति-नियंताओं की गंभीर चिंता का कारण होना चाहिए क्योंकि यह रोजगार सृजन का प्रमुख क्षेत्र भी है और देश की खपत को प्रभावित करता है। यही वजह है कि विनिर्माण क्षेत्र में संकुचन, उच्च मुद्रास्फीति और बढ़ते व्यापार घाटे ने देश की अर्थव्यवस्था के परिदृश्य में चिंता उत्पन्न की है। दरअसल, देश की औद्योगिक विकास दर पिछले छह साल से लगातार संकुचित होती रही है। इसको चीन के साथ लगातार बढ़ते व्यापार घाटे के संदर्भ में भी देखा जाना चाहिए क्योंकि हम घरेलू उत्पाद को प्राथमिकता देने के बजाय चीनी आयात पर निर्भर होते जा रहे हैं। इस साल के पहले नौ महीनों में चीन के साथ व्यापार घाटा 76 अरब डालर होना चिंता की बात है। सही मायनों में देश की औद्योगिक नीति की नये सिरे से समीक्षा की तत्काल जरूरत है। यह क्षेत्र रोजगार सृजन का बड़ा जरिया होने के कारण खासा महत्व रखता है।

सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि देश के सबसे भरोसेमंद कृषि क्षेत्र में 4.6 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है। यह वृद्धि वैश्विक प्रतिकूलताओं के बावजूद हुई है, जिन्होंने पूरी दुनिया के विकास को धीमा कर दिया है। इसमें रूस-यूक्रेन युद्ध की भी बड़ी भूमिका है, जिसके चलते पेट्रो उत्पादों के दाम कुलांचे भरते रहे हैं। जहां यह क्षेत्र देश में खाद्यान्न की आपूर्ति सुनिश्चित करता है वहीं रोजगार का भी बड़ा जरिया भी है। कृषि क्षेत्र से जुड़े उद्योगों में पूंजी निवेश बढ़ाकर अर्थव्यवस्था को गति दी जा सकती है। हालांकि, देश के शीर्ष अर्थशास्त्री भरोसा दिला रहे हैं कि देश की अर्थव्यवस्था अपने सात फीसदी के लक्ष्य को सहजता से हासिल कर लेगी। उन्हें विश्वास है कि अगली दो तिमाहियों में अर्थव्यवस्था बेहतर परिणाम देगी। देश का केंद्रीय बैंक भी भरोसा जता रहा है कि चौथी तिमाही तक देश की अर्थव्यवस्था अपनी पुरानी लय में लौट आएगी। सरकार को महंगाई के स्तर पर नियंत्रण के लिये अतिरिक्त प्रयास करने की जरूरत है। रुपये के मूल्य में कमी तथा बढ़ी ब्याज दरें भी महंगाई रोकने के मार्ग में बाधक बनी हैं। इसके अलावा वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं में मंदी के बावजूद भारतीयों की खपत बढ़ने से घरेलू बाजार में मांग बढ़ी है। इससे विदेशी निवेश में भी सुधार देखा जा रहा है। बहरहाल, उम्मीद की जानी चाहिए कि देश की अर्थव्यवस्था कोरोना के प्रभावों से मुक्त होकर यथाशीघ्र अपनी पुरानी लय में लौटेगी, जिससे रोजगार के अवसरों में वृद्धि से कोरोना काल में गरीबी की रेखा के नीचे जाने वाले लोगों के जीवन स्तर में सुधार का प्रयास किया जा सके। तब बाजार में मांग व आपूर्ति का संतुलन कायम हो सकेगा। लेकिन जरूरी है कि देश के औद्योगिक क्षेत्र में अनुकूल परिस्थितियों का निर्माण किया जाये ताकि निर्यात बढ़ाने की दिशा में भी पहल हो सके। इससे एक ओर जहां रोजगार के अवसर बढ़ेंगे, वहीं निर्यात से विदेशी मुद्रा भंडार को भी मजबूती मिलेगी। बहरहाल, जब दुनिया की तमाम बड़ी अर्थव्यस्थाएं सुस्ती की चपेट में हैं, हमारी विकास दर भरोसा जगाती है।

RBI News: डॉलर नहीं कर पाएगा रुपए को प्रभावित, ₹ में होगा विदेशी व्यापार; जानिए RBI की इस योजना के बारे में

RBI News: डॉलर नहीं कर पाएगा रुपए को प्रभावित, ₹ में होगा विदेशी व्यापार; जानिए RBI की इस योजना के बारे में

रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के साथ ही विदेशी मुद्रा व्यापार गुरुग्राम भारतीय मुद्रा पर अमेरिकी डॉलर का दबाव भी बढ़ने लगा. ग्‍लोबल मार्केट में तमाम प्रतिबंधों के बाद हालात ये बन गए कि डॉलर के मुकाबले रुपया रिकॉर्ड निचले स्‍तर पर चला गया. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) इस समस्‍या से निपटने के लिए नया सिस्‍टम विकसित कर रहा है.

आरबीआई ने बताया है कि अंतरराष्‍ट्रीय व्‍यापार भी रुपये में करने के लिए नया सिस्‍टम बनाया जा रहा है. डॉलर के मुकाबले भारतीय मुद्रा में लगातार आ रही गिरावट और दुनिया की रुपये में बढ़ती दिलचस्‍पी को देखते हुए नया सिस्‍टम विकसित किया जा रहा है. इसके बाद भारत अपने आयात-निर्यात का सेटलमेंट रुपये में कर सकेगा और ग्‍लोबल ट्रेडिंग सिस्‍टम में डॉलर व अमेरिका का दबाव खत्‍म हो जाएगा.

अब नहीं होगा प्रतिबंधों का असर
आरबीआई का नया सिस्‍टम शुरू होने के बाद भारत पर अमेरिका सहित अन्‍य पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों का असर खत्‍म हो जाएगा. ऐसा कई बार हुआ है जब अमेरिका ने किसी देश पर प्रतिबंध लगाया है और भारत को उसका खामियाजा भुगतना पड़ा है. ईरान से तनातनी के बीच जब अमेरिका ने उस पर प्रतिबंध लगाया तो भारत को इरान से कच्‍चा तेल खरीदने में काफी मुश्किल आई. इसी तरह, रूस-यूक्रेन के हालिया युद्ध की वजह से जब अमेरिका, यूरोप ने रूस पर प्रतिबंध लगाए तो भारतीय कंपनियां भी रूस के उत्‍पाद खरीदने में नाकाम रहीं.

इन प्रतिबंधों का भारत पर असर इसलिए ज्‍यादा होता था, क्‍योंकि ग्‍लोबल मार्केट में डॉलर में ही व्‍यापार का लेनदेन किया जाता है और प्रतिबंधों के कारण अमेरिकी डॉलर में लेनदेन भी बंद हो जाता है. इन परेशानियों से निजात पाने के लिए ही आरबीआई ग्‍लोबल मार्केट में सीधे रुपये में ट्रेडिंग का सिस्‍टम तैयार कर रहा है.फॉरेक्‍स मार्केट से तय होगी दर
आरबीआई ने कहा है कि नया सिस्‍टम फॉरेन एक्‍सचेंज मैनेजमेंट एक्‍ट (FEMA) के तहत बनाया जा रहा है. इससे विदेश में होने वाले आयात और निर्यात के सभी सेटलमेंट रुपये में किए जा सकेंगे. रुपये की कीमत संबंधित देश की मुद्रा के ग्‍लोबल फॉरेक्‍स मार्केट में चल रहे भाव के आधार की तय की जाएगी और सौदे का सेटलमेंट भारतीय मुद्रा में ही किया जाएगा.

खोले जाएंगे विशेष खाते
रिजर्व बैंक के अनुसार, नया सिस्‍टम लागू करने के लिए भारत में अधिकृत बैंकों को वॉस्‍ट्रो खाते खोलने की इजाजत दी गई है. अब भारत का अधिकृत बैंक व्‍यापार से जुड़े देश के बैंक के साथ मिलकर रुपये का वॉस्‍ट्रो खाता खोल सकेगा. इससे भारतीय आयातकों और विदेशी सप्‍लायर्स का सेटलमेंट रुपये में हो सकेगा. इसी तरह, भारतीय निर्यात

India Forex Reserves: एक हफ्ते में 11 अरब डॉलर के उछाल के साथ तीन महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंचा विदेशी मुद्रा भंडार

बीते चार हफ्ते से लगातार विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़ोतरी आई है और बढ़कर 561.16 अरब डॉलर पर जा पहुंचा है.

India Forex Reserves: एक हफ्ते में 11 अरब डॉलर के उछाल के साथ तीन महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंचा विदेशी मुद्रा भंडार

India Forex Reserves Data: लगातार चौथे हफ्ते विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़ोतरी आई है और ये बढ़कर 561.16 अरब डॉलर पर जा पहुंचा है. भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) ने विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign Exchange Reserves) के आंकड़े जारी किए हैं जिसके मुताबिक 2 दिसंबर,2022 को खत्म हफ्ते में विदेशी विदेशी मुद्रा व्यापार गुरुग्राम मुद्रा भंडार में 11.02 अरब डॉलर की उछाल के साथ 561.16 अरब डॉलर रहा है जो 25 नवंबर को खत्म हफ्ते में 550.14 अरब डॉलर रहा था. हालांकि साल की शुरूआत में रहे 632.7 अरब डॉलर के भंडार से ये अभी भी कम है.

आरबीआई ने करेंसी मार्केट में डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट को थामने के लिए आरबीआई ने डॉलर बेचा था जिसके चलते विदेशी मुद्रा भंडार में कमी देखने को मिली थी. लेकिन अब 2 दिसंबर को खत्म होने वाले हफ्ते में ये अब 561.16 अरब डॉलर रहा है. विदेशी करेंसी एसेट्स भी 2 विदेशी मुद्रा व्यापार गुरुग्राम दिसंबर को खत्म हफ्ते में9.694 अरब डॉलर के उछाल के साथ 496.984 अरब डॉलर पर जा पहुंचा है. हालांकि गोल्ड रिजर्व 1.086 अरब डॉलर के उछाल के साथ 41.025 अरब डॉलर रहा है. वहीं आईएमएफ के पास जमा फंड में 75 मिलियन डॉलर की कमी आई है और ये 5.108 अरब डॉलर रहा है.

भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में बड़े इजाफे की वजहों पर नजर डालें तो माना जा रहा है कि हाल के दिनों में आरबीआई ने डॉलर की जबरदस्त खरीदारी की है. वहीं अक्टूबर 2021 में विदेशी मुद्रा भंडार 645 अरब डॉलर रहा था लेकिन रुपये को गिरने से बचाने के लिए आरबीआई डॉलर बेचती रही है.

बुधवार 8 दिसंबर, 2022 को मॉनिटरी पॉलिसी के एलान के दौरान आरबीआई गर्वनर विदेशी मुद्रा व्यापार गुरुग्राम शक्तिकांत दास ने कहा डॉलर की मजबूती के बाद भी बाकी करेंसी के मुकाबले रुपये कम गिरा है और विदेशी मुद्रा भंडार भी संतोषजनक बना हुआ है.

India Forex Reserves: एक हफ्ते में 11 अरब डॉलर के उछाल के साथ तीन महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंचा विदेशी मुद्रा भंडार

बीते चार हफ्ते से लगातार विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़ोतरी आई है और बढ़कर 561.16 अरब डॉलर पर जा पहुंचा है.

India Forex Reserves: एक हफ्ते में 11 अरब डॉलर के उछाल के साथ तीन महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंचा विदेशी मुद्रा भंडार

India Forex Reserves Data: लगातार चौथे हफ्ते विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़ोतरी आई है और ये बढ़कर 561.16 अरब डॉलर पर जा पहुंचा है. भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) ने विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign Exchange Reserves) के आंकड़े जारी किए हैं जिसके मुताबिक 2 दिसंबर,2022 को खत्म हफ्ते में विदेशी मुद्रा भंडार में 11.02 अरब डॉलर की उछाल के साथ 561.16 अरब डॉलर रहा है जो 25 नवंबर को खत्म हफ्ते में 550.14 अरब डॉलर रहा था. हालांकि साल की शुरूआत में रहे 632.7 अरब डॉलर के भंडार से ये अभी भी कम है.

आरबीआई ने करेंसी मार्केट में डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट को थामने के लिए आरबीआई ने डॉलर बेचा था जिसके चलते विदेशी मुद्रा भंडार में कमी देखने को मिली थी. लेकिन अब 2 दिसंबर को खत्म होने वाले हफ्ते में ये अब 561.16 अरब डॉलर रहा है. विदेशी करेंसी एसेट्स भी 2 दिसंबर को खत्म हफ्ते में9.694 अरब डॉलर के उछाल के साथ 496.984 अरब डॉलर पर जा पहुंचा है. हालांकि गोल्ड रिजर्व 1.086 अरब डॉलर के उछाल के साथ 41.025 अरब डॉलर रहा है. वहीं आईएमएफ के पास जमा फंड में 75 मिलियन डॉलर की कमी आई है और ये 5.108 अरब डॉलर रहा है.

भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में बड़े इजाफे की वजहों पर नजर डालें तो माना जा रहा है कि हाल के दिनों में आरबीआई ने डॉलर की जबरदस्त खरीदारी की है. वहीं अक्टूबर 2021 में विदेशी मुद्रा भंडार 645 अरब डॉलर रहा था लेकिन रुपये को गिरने से बचाने के लिए आरबीआई डॉलर बेचती रही है.

बुधवार 8 दिसंबर, 2022 को मॉनिटरी पॉलिसी के एलान के दौरान आरबीआई गर्वनर शक्तिकांत दास ने कहा डॉलर की मजबूती के बाद भी बाकी करेंसी के मुकाबले रुपये कम गिरा है और विदेशी मुद्रा भंडार भी संतोषजनक बना हुआ है.

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