LIC IPO से जीवन बदलने की है चाहत? निवेश से पहले जान लीजिए क्या हैं जोखिम

किसी भी लिस्टिंग से तुरंत प्रॉफिट की उम्मीद नहीं की जानी चाहिए. कम से कम 3-5 साल का समय देना होगा- रोहित अरोड़ा

देश की सबसे और दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी बीमा कंपनी- लाइफ इंश्यॉरेंस कॉर्पोरेशन (LIC) स्टॉक मार्केट में लिस्ट हो चुकी है. इसके शेयर खरीदने के लिए 4 मई से लेकर 9 मई तक अर्जी भेजी जा सकेगी.

अब निवेशकों के बीच काफी उत्साह है, लेकिन कुछ ऐसी बातें जो निवेश करने से पहले जान लें तो जोखिम कम हो सकता है. एलआईसी के इस आईपीओ को लेकर एक्सपर्ट क्या राय रख रहे हैं, उनकी क्या सलाह है, निवेश करने से पहले आसान भाषा में समझें ये जानते हैं.

LIC अपनी 3.5 फीसदी की हिस्सेदारी को बेचकर 21 हजार करोड़ रुपए जुटाने की तैयारी में हैं. इसके बाद कंपनी के वैल्यूएशन को 6 लाख करोड़ के आसपास आकां जा रहा है.

एलआईसी आईपीओ के लिए प्राइस बैंड ₹902-949 प्रति इक्विटी शेयर तय किया गया है. एक लॉट में 15 इक्विटी शेयर होंगे. निवेशक कम से कम 15 इक्विटी शेयर या 1 लॉट के लिए बोली लगा सकेंगे.

कई एक्सपर्ट्स का मानना है कि, LIC कंपनी का कोर मजबूत है और भविष्य में अच्छी ग्रोथ होगी ये दिखाई देता है और अब तो कंपनी की वैल्यूएशन भी ठीक नजर आ रही है जब से IPO जारी करने को लेकर कुछ बदलाव किए गए हैं.

LIC के बारे में जान लीजिए कुछ जरूरी जानकारी

जिस कंपनी में आप निवेश करने जा रहे हैं आपको उस कंपनी के बारे कुछ जानकारी जरूर होनी चाहिए. 1 सितंबर, 1956 को 245 निजी जीवन बीमा कंपनियों का विलय किया गया और उसका राष्ट्रीयकरण कर एलआईसी की शुरूआत हुई. उस समय कंपनी की पूंजी 5 करोड़ रुपये थी जो अब लगभग 40 लाख करोड़ रुपये की संपत्ति का प्रबंधन करती है.

यह दुनिया में पांचवीं सबसे बड़ी जीवन बीमाकर्ता और देश में सबसे बड़ी परिसंपत्ति (एसेट) प्रबंधक है. 31 दिसंबर, 2021 तक, इसकी पहुंच देश के 91% जिलों तक हैं और इसके साथ 10.30 लाख हजार एजेंट हैं.

प्रीमियम या GWP (ग्रॉस) के मामले में इसकी बाजार में हिस्सेदारी 61.6% है. न्यू बिजनेस प्रीमियम के संदर्भ में 61.4%, जारी की गई व्यक्तिगत नीतियों की संख्या के संदर्भ में 71.8% और ग्रुप पॉलिसी की संख्या के संदर्भ में 88.8% हिस्सेदारी है.

"ग्लोबल मार्केट कमजोर होने जा रहे हैं इसलिए IPO के जरिए पैसा कमाने का आइडिया अच्छा नहीं है"

Biz2Credit और Biz2X के को-फाउंडर और सीईओ रोहित अरोड़ा क्विंट हिंदी से बातचीत में कहते हैं कि, "वैश्विक बाजार कमजोर होने जा रहे हैं इसलिए आईपीओ के जरिए पैसा कमाने का आइडिया अच्छा नहीं है. निवेशकों को ध्यान रखना चाहिए कि किसी भी लिस्टिंग से तुरंत प्रॉफिट की उम्मीद नहीं की जानी चाहिए. कम से कम 3-5 साल का समय देना होगा. हर कोई आईपीओे में निवेश कर रहा है तो केवल इस आधार पर निवेश नहीं करना चाहिए. सुनी-सनाई बतों से बचें."

जाहिर है कि पिछले साल की तुलना में इस बार शेयर बाजार में उत्साह नहीं है. खुद एलआईसी ने ही अपने आईपीओ को लेकर कई फैसले बदले क्योंकि इस समय यूक्रेन और रूस के निवेश करने से पहले आसान भाषा में समझें बीच जंग का असर भी बाजाप पर पड़ा है.

"एलआईसी के पास आईडीबीआई बैंक के अधिकतर (मेजॉरिटी) स्टेक्स हैं और आईडीबीआई बैंक के पास बाकी निजी बैंकों की तुलना में सबसे ज्यादा NPA हैं तो अगर खुद आईडीबीआई अच्छा परफॉर्म नहीं करेगी तो एलआईसी की परफॉर्मेंस पर असर पड़ेगा ही."

रोहित का मानना है कि एलआईसी को एक अच्छी डिजिटल स्ट्रेटेजी की जरूरत है ताकि वो उन युवा ग्राहकों तक अच्छी पहुंच बना सकें क्योंकि युवा ग्राहकों में मृत्यु दर बहुत कम है जिससे कंपनी को अधिक फायदा हो सकता है.

एक निवेशक को क्या-क्या ध्यान में रखना होता है?

अगर आप एलआईसी में निवेश कर रहे हैं या नहीं, ये एक अलग बात हैं लेकिन एक निवेशक होने के नाते कुछ बेसिक से बेसिक बातें होती हैं जिनको लेकर समझ होनी चाहिए. क्विंट हिंदी निवेश करने से पहले आसान भाषा में समझें से बातचीत में सेबी रजिस्टर्ड फाइनेंशियल एक्सपर्ट जितेंद्र सोलंकी एलआईसी के आईपीओ में निवेश को लेकर तीन बातों पर जोर देते हैं-

लॉन्ग टर्म फोकस: इक्विटी में निवेश करने वालों को बंपर फायदा हमेशा लॉन्ग टर्म में ही मिलता है. इसके जरिए कम समय में पैसा बनाने के बारे में ज्यादा न सोचें, खासकर इस तरह की लिस्टिंग (निवेश करने से पहले आसान भाषा में समझें LIC IPO) में.

कोई गारंटी नहीं: यह एक इक्विटी का शेयर है. केवल ये सोच कर निवेश ना करें कि ये 'एलआईसी'. आपका फायदा-नुकसान एलआईसी के शेयर की परफॉर्मेंस निर्धारित करते हैं.

उधार लेने से बचें: उधार लेकर निवेश करना ठीक नहीं है. एलआईसी का शेयर कहीं नहीं भाग रहे. स्टॉक मार्केट में आने के बाद भी उसे खरीदा जा सकता है. भविष्य में ऐसे कई मौके आएंंगे जब आप इसके शेयर खरीद सकेंगे वो भी कम दाम में.

Investment Plan: किससे बनेंगे पहले करोड़पति? Mutual Funds या PPF, आसान भाषा में समझिए

Investment Planning: अगर आप भी मोटे फंड के लिए निवेश की तैयारी कर रहे हैं तो आपके लिए ये खबर बेहद काम की है. आज यहां आपको बताया रहे हैं कि आपके लिए Mutual Fund या फिर PPF में से कौन बेहतर है.

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Investment Plan: किससे बनेंगे पहले करोड़पति? Mutual Funds या PPF, आसान भाषा में समझिए

Investment Planning: सेविंग्स (Savings) के चुनाव को लेकर ज्यादातर लोग कन्फ्यूज़ रहते हैं. अगर निवेश करने से पहले आसान भाषा में समझें आप थोड़ी समझदारी के साथ निवेश करें तो आप जल्दी ही करोड़पति बन जाएंगे. अब सवाल है कि कौन सा निवेश किया जाए जो आपको सही समय में बढ़िया मुनाफा दे. आइये जानते हैं.

रिस्क या रिटर्न ?

साधारण तौर पर निवेश को दो तरह से देखा जाता है- एक रिस्क दूसरा रिटर्न. लेकिन ज्यादातर लोग रिस्क लेने से डरते हैं इसलिए सुरक्षित निवेशों जैसे PPF में अपना पैसा डालते हैं. जिसमें रिस्क कम होता है. लेकिन अगर आप थोड़ा रिस्क लेने की क्षमता रखते हैं और इक्विटी म्यूचुअल फंड्स में निवेश कर सकते हैं. यहां रिस्क तो है लेकिन रिटर्न भी ज्यादा है.

PPF Vs MUTUAL FUNDS

हम यहां पर PPF और इक्विटी म्यूचुअल फंड्स में निवेश की तुलना करेंगे और ये समझने की कोशिश करेंगे कि कौन सा निवेश आपके लक्ष्यों के हिसाब से फायदेमंद हो सकता है. मान लीजिए आपका लक्ष्य है कि हर महीने 10,000 रुपये का निवेश करके करोड़पति बनना चाहते हैं.

PPF के जरिए करोड़पति

PPF पर अक्टूबर-दिसंबर 2020 के लिए 7.1 परसेंट का रिटर्न मिल रहा है. PPF का रिटर्न सरकार हर तिमाही में तय करती है. किसी समय PPF पर 12 परसेंट रिटर्न भी मिलता था, और ये 4 परसेंट तक भी गिरा है. खैर मान लेते हैं कि PPF पर औसत रिटर्न 7.5 परसेंट के करीब है. अगर आपकी उम्र 30 साल है, आपने आज से ही PPF में 10,000 रुपये हर महीने निवेश करना शुरू किया. औसत रेट ऑफ रिटर्न 8 परसेंट है. PPF से करोड़पति बनने में आपको 27 साल लग जाएंगे.

PPF बनाएगा करोड़पति

हर महीने निवेश 10,0000
अनुमानित रिटर्न रेट 7.5 परसेंट
कुल निवेश रकम 32.40 लाख
अनुमानित रिटर्न 72.70 लाख
कुल वैल्यू 1.05 करोड़
अवधि 27 वर्ष

इक्विटी म्यूचुअल फंड्स बनाएगा रोड़पति

अब अगर यही 10,000 रुपये की रकम हर महीने आप इक्विटी म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं तो देखिए क्या होता है. लंबी अवधि में इक्विटी म्यूचुअल फंड्स में 10-12 परसेंट का औसत रिटर्न मिल निवेश करने से पहले आसान भाषा में समझें जाता है. PPF के मुकाबले म्यूचुअल फंड्स में निवेश पर ज्यादा रिटर्न मिलता है. ऐसे में हर महीने निवेश करने पर आप 20-21 साल में ही करोड़पति बन जाएंगे. यानि म्युचुअल फंड्स से कम से कम 6-7 साल पहले ही आपके हाथ में एक करोड़ की रकम होगी.

म्यूचुअल फंड्स के जरिए करोड़पति
हर महीने निवेश 10,0000
अनुमानित रिटर्न रेट 12 परसेंट
कुल निवेश रकम 25.20 लाख
अनुमानित रिटर्न 88.66 लाख
कुल वैल्यू 1.13 करोड़
अवधि 21 वर्ष

ध्यान दीजिए कि PPF में निवेश की गई रकम भी ज्यादा है और करोड़पति बनने में वक्त भी ज्यादा लगा, जबकि म्यूचुअल फंड्स में निवेश भी कम करना पड़ा और करोड़पति बनने में वक्त भी कम लगा, क्योंकि रिटर्न ज्यादा मिला. यानी आपके लिए म्यूचुअल फंड्स में निवेश करना बेहतर साबित हो सकता है.

PPF और म्यूचुअल फंड में फर्क
A-

PPF म्यूचुअल फंड में रिस्क नहीं के बराबर
इक्विटी म्यूचुअल फंड में शॉर्ट टर्म में रिस्क होता है

B-
PPF में 15 साल का लॉक इन पीरियड
इक्विटी म्यूचुअल फंड्स जैसे ELSS में लॉक इन पीरियड सिर्फ 3 साल

C-
PPF में निवेश कर दिया तो कुछ शर्तों के साथ 7 साल बाद ही कुछ पैसा निकाल सकते हैं
म्यूचुअल फंड में कभी भी पैसा निकाला जा सकता है

D-
PPF में 15 साल तक निवेश कर 80C के तहत 1.5 लाख की छूट मिलती है
ELSS में 3 साल तक निवेश कर 80C के तहत 1.5 लाख की छूट मिलती है

PPF और इक्विटी म्यूचुअल फंड्स में टैक्स

PPF EEE कैटेगरी में आता है, यानी इसमें निवेश, रिटर्न और मैच्योरिटी अमाउंट किसी पर भी कोई टैक्स नहीं लगता है, जबकि इक्विटी म्यूचुअल फंड में किसी वित्त वर्ष में अगर 1 लाख से ज्यादा मुनाफा कमाया तो उस पर 10 परसेंट लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस टैक्स लगता है.

Share Market: आसान भाषा में समझिए शेयर बाजार की शब्दावली, अच्छा निवेशक बनने में मिलेगी मदद

Share Market शेयर बाजार में कई ऐसे शब्दों का प्रयोग किया जाता है जिन्हें आम आदमी के लिए समझना थोड़ा मुश्किल होता है। आज हम ऐसी ही शब्दावली की पूरी लिस्ट लेकर आए हैं। इसे पढ़ने के बाद आप आसानी से शेयर बाजार में शब्दों को समझ सकेंगे।

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। शेयर बाजार को लेकर पिछले कुछ समय में लोगों के बीच जागरूकता में काफी इजाफा हुआ है। लोग स्टॉक मार्केट को एफडी और अन्य सुरक्षित निवेश की योजनाओं के बाद निवेश का एक विकल्प मानने लगे हैं। ऐसे में अगर आप भी शेयर बाजार निवेश करने से पहले आसान भाषा में समझें में निवेश करने का मन बना रहे हैं, तो आपको शेयर बाजार में उपयोग होने वाली बेसिक शब्दावली को जान लेना चाहिए।

इसमें हम आपको सेंसेक्स, निफ्टी, बियर मार्केट, बुल मार्किट, ब्लू चिप स्टॉक्स, डिविडेंड, आईपीओ, मूविंग एवरेज और शार्ट सेलिंग आदि के बारे में बताएंगे।

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निफ्टी या निफ्टी50 नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) का मुख्य सूचकांक है। यह बाजार के रुख को दिखाता है। इसमें बाजार मूल्यांकन के हिसाब से देश की 50 सबसे बड़ी कंपनियां होती हैं।

सेंसेक्स बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) का मुख्य सूचकांक है। यह देश की 30 सबसे बड़ी कंपनियों में मिलकर बना होता है।

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बियर मार्केट (Bear Market) उस स्थिति का कहा जाता है, जब एक साल में बाजार अपने उच्चतम स्तर से 20 प्रतिशत नीचे फिसल जाता है। बुल मार्केट ठीक इसका उल्टा होता है। एक साल में शेयर बाजार 20 प्रतिशत से अधिक बढ़ जाता है, तो इसे बुल मार्केट कहा जाता है।

ब्लू चिप स्टॉक (Blue Chip Stock)देश की 100 सबसे बड़ी कंपनियों के शेयरों को कहा जाता है। उदाहरण के लिए रिलायंस इंडस्ट्रीज, आईटीसी, टीसीएस, एसबीआई और एचसीएल टेक जैसी कंपनियों के शेयर ब्लू चिप स्टॉक्स हैं।

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डिविडेंड या लाभांश (Dividend), कंपनियों की ओर से अपने निवेशकों तिमाही, छिमाही या फिर सालाना आधार पर दिया जाता है। यह कंपनियों की ओर से निवेशकों को मुनाफे में से दिया जाता है। ये शेयर की कीमत से अतिरिक्त होता है।

मूविंग एवरेज (Moving Average) का सबसे अधिक प्रयोग टेक्निकल एनालिसिस में किया जाता है। ये किसी भी शेयर के औसत भाव को बताता है। यह मिनटों से लेकर मासिक या फिर वार्षिक होता है।

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शार्ट सेलिंग (Short Selling), जब भी कोई ट्रेडर बिना डीमैट के शेयर बेच देता निवेश करने से पहले आसान भाषा में समझें है। उसे शार्ट सेलिंग कहा जाता है। बेहद कम कीमत वाले शेयरों को पेनी स्टॉक (Pennay Stock) कहा जाता है। इनकी कीमत कुछ पैसों से लेकर 10 या 20 रुपये तक होती है।

इंट्राडे ट्रेडिंग (Intrday Trading), जब भी किसी ट्रेडर की ओर से किसी शेयर को खरीदकर उसी दिन बेच दिया जाता है, उसे इंट्राडे ट्रेडिंग कहा जाता है।

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