क्या संकेतक बेहतर है
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मानव विकास सूचकांक में भारत 131वीं पायदान पर तो पाकिस्तान 154 पर, सौर ऊर्जा में भी हम आगे
नई दिल्ली (जेएनएन)। संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) की तरफ से जारी मानव विकास सूचकांक (एचडीआइ) में भारत दो अंक फिसल कर 131 पर पहुंच गया है। पिछले साल अपना देश 129वें नंबर पर रहा था। हालांकि, यूएनडीपी का कहना है कि सूची में भारत के फिसलने का यह मतलब कतई नहीं कि वहां काम नहीं हो रहा है, बल्कि इसका अर्थ यह है कि अन्य देशों ने बेहतर काम किया है।
क्या है एचडीआइ
मानव विकास सूचकांक में किसी देश के जीवन स्तर को मापा जाता है। इसमें देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) तथा उपलब्ध स्वास्थ्य एवं शिक्षा के स्तर आदि को भी देखा जाता है।
जीवन प्रत्याशा
मानव विकास रिपोर्ट 2020 के अनुसार, वर्ष 2019 में जन्मे भारतीयों की जीवन प्रत्याशा 69.7 साल आंकी गई, जबकि बांग्लादेश में यह 72.7 साल रही। जीवन प्रत्याशा के मामले में पड़ोसी पाकिस्तान पीछे रहा। वहां जीवन प्रत्याशा 67.3 साल आंकी गई।
मध्यम मानव विकास
भारत के साथ-साथ भूटान (129), बांग्लादेश (133), नेपाल (142), पाकिस्तान (154) आदि मध्यम मानव विकास की श्रेणी वाले देशों में शामिल रहे। वर्ष 2018 में भारत इस सूची में 130वीं रैंक पर रहा था।
रैंकिंग में शामिल रहे 189 देश
मानव विकास सूचकांक में 189 देश शामिल रहे। भारत का एचडीआइ मूल्य 0.645 रहा। इसके कारण ही भारत को मध्यम मानव विकास वाले देशों की श्रेणी में शामिल होना पड़ा और दो अंक फिसलकर 131 पर आ पहुंचा।
नॉर्वे शीर्ष पर
रिपोर्ट के अनुसार, मानव विकास सूचकांक में नॉर्वे शीर्ष पर रहा, जबकि आयरलैंड, स्विट्जरलैंड, हांगकांग व आइसलैंड क्रमश: दूसरे, तीसरे, चौथे व पांचवें स्थान पर रहे।
आय में कमी और कुपोषण
यूएनडीपी की ओर से मंगलवार को जारी रिपोर्ट में बताया गया है कि क्रय शक्ति समता (पीपीपी) के आधार पर वर्ष 2018 के दौरान भारत में प्रति व्यक्ति आय 6,829 अमेरिकी डॉलर यानी करीब पांच लाख रुपये थी। वर्ष 2019 में यह घटकर 6,681 डॉलर यानी 4.91 लाख हो गई। पीपीपी विभिन्न देशों की कीमतों का पैमान है। इसमें वस्तु विशेष की कीमतों की तुलना की जाती है, ताकि देशों की मुद्रा की वास्तविक क्षमता का निर्धारण किया जा सके। कंबोडिया, भारत और थाईलैंड मूल के बच्चों में कुपोषण भी एक बड़ी समस्या के रूप में सामने आई, जिसके कारण इन देशों के बच्चों की लंबाई कम रह जाती है। रिपोर्ट में पोषक भोजन के मामले में अभिभावकों द्वारा बेटा व बेटी में किए जा रहे अंतर पर भी चिंता जताई गई है।
भूमि और महिला सुरक्षा
रिपोर्ट में कहा गया है कि कोलंबिया से भारत तक मिले साक्ष्य बताते हैं कि वित्तीय सुरक्षा और भूमि स्वामित्व के कारण महिलाओं की सुरक्षा बेहतर हुई है। इससे लैंगिक हिंसा में भी कमी आई है। साफ है कि भूमि खरीद से महिलाएं सशक्त हुई हैं।
सौर ऊर्जा में भारत पांचवें स्थान पर
भारत ने पेरिस समझौते के तहत वर्ष 2030 तक वर्ष 2005 के मुकाबले 30-35 फीसद कार्बन उत्सर्जन कम करने का फैसला किया है। देश में सौर ऊर्जा के क्षेत्र में तेजी से काम हुआ है। अप्रैल 2014 में 2.6 गिगावाट सौर ऊर्जा का उत्पादन हुआ था, जो जुलाई 2019 तक 30 गिगावाट हो चुका है। इस प्रकार उसने चार साल पहले ही 20 गिगावाट क्षमता हासिल करने के लक्ष्य को पा लिया क्या संकेतक बेहतर है है। भारत सौर ऊर्जा क्षमता हासिल करने वाले देशों की सूची में पांचवें स्थान पर है।
पीएचडीआइ
कोरोना संक्रमण के बीच इस बार रिपोर्ट में पीएचडीआइ नामक एक नया सूचकांक भी जोड़ा गया है। प्लैनेट्री प्रेशर-एडजस्टेड एचडीआइ (पीएचडीआइ) में एचडीआइ की पारदर्शिता को बरकरार रखा गया है। यूएनडीपी के अधिकारियों का कहना है कि पीएचडीआइ में किसी देश द्वारा किए जा रहे कार्बन उत्सर्जन का भी उल्लेख किया गया है।
कार्बन उत्सर्जन कम करने की दिशा में भारत की प्रतिबद्धता सराहनीय है। वह दूसरे देशों की भी मदद कर सकता है। शोको नोडा, स्थानीय प्रतिनिधि (यूएनडीपी)
गार्डन हेल्थ को बेहतर बनाने के लिए एक प्लांट इंडिकेटर का उपयोग करने के लिए एक संकेतक संयंत्र क्या है
सभी पौधों को अपने पर्यावरण से गहराई से प्रभावित और प्रभावित किया जाता है। जैसे, वे मिट्टी, तापमान, नमी और कीट और रोग की समस्याओं को उजागर करने में किसी भी बदलाव की ओर इशारा करते हैं। यहां तक कि नौसिखिया माली भी शायद तब सहमे हुए हैं जब सूखे की स्थिति के लिए अतिसंवेदनशील फूल के सिर को ध्यान में रखते हुए बिस्तर को पानी देना चाहिए.
कई फूल पौधों के लिए एक जल संकेतक हैं। बिस्तर में अन्य पौधों की संभावना भी सूखी है, लेकिन इस तथ्य को इंगित करने के बारे में कम स्पष्ट है। ये प्लांट वॉटरिंग संकेतक केवल एक ही तरह से पौधे हैं जो समग्र देखभाल के लिए मार्गदर्शक हो सकते हैं.
कीट और रोग पौधों का संकेत
पर्यावरणीय प्रभावों के संबंध के कारण, आप पौधों के लिए पानी के संकेतक के रूप में अन्य प्रजातियों का उपयोग कर सकते हैं। कुछ पौधों का उपयोग कीड़ों या बीमारी के शुरुआती सबूतों का पता लगाने के लिए किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, थ्रिप्स की उपस्थिति का पता लगाने के लिए ग्रीनहाउस में पेटुनीया और फवा बीन्स का उपयोग किया जाता है.
थ्रिप्स संभावित विनाशकारी बीमारियों, नेक्रोटिक स्पॉट और टमाटर स्पॉटेड विल्ट वायरस के लिए वैक्टर हैं। इन दोनों पौधों के लिए थ्रिप्स बहुत आकर्षित होते हैं और उत्पादकों को पौधों पर एक नीला चिपचिपा कार्ड फिक्स करके आकर्षण बढ़ाता है। किसी कारण के लिए, यह ड्रिप्स में थ्रिप्स लाता है.
संकेतक प्लांट सूचियां अलग-अलग होंगी, जिस मुद्दे को आप हल करने की कोशिश कर रहे हैं, उस पर निर्भर करेगा। एक अन्य उदाहरण है जब पूर्वी तम्बू के कैटरपिलर के इलाज के लिए संकेतक के रूप में तश्तरी मैगनोलिया का उपयोग किया जाता है। मैगनोलिया कीटों से परेशान नहीं है, लेकिन जब यह खिलता है, तो यह इंगित करता है कि यह लार्वा के इलाज का समय है.
संकेतक संयंत्र सूची
कई प्रकार के पौधों द्वारा पानी की जरूरतों के लिए अक्सर नए स्थापित पेड़ों की निगरानी की जाती है। Ajuga, impatiens और Coleus उत्कृष्ट संयंत्र पानी संकेतक हैं। वे पानी के नुकसान के लिए अतिसंवेदनशील होते हैं और पत्ती की युक्तियों के wilting और ब्राउनिंग जैसे स्पष्ट संकेतों का प्रदर्शन करेंगे। यह आपको बताएगा कि क्षेत्र सूखा है और आपको पानी की आवश्यकता है.
पौधों के लिए पानी के संकेतक के रूप में उपयोग किए जाने वाले संकेतक पौधे भी क्षेत्र में अतिरिक्त नमी को इंगित कर सकते हैं। संकेतक पौधों को सामान्य, बढ़ने में आसान, कठोर, और एक सेट खिलने का समय होना चाहिए.
प्लांट इंडीकेटर उतने ही सरल हो सकते हैं, जितने में आपके पेड़ को आरी से देखा जाता है। इसका मतलब है कि आपके पास पौधे के पत्ते खाने के अगले साल लार्वा होगा। यह संकेतक आपको अगले साल लार्वा क्षति को रोकने के लिए प्रबंधन कदम उठाने के लिए सचेत करता है। डॉन ऑर्टन की पुस्तक "कॉइनसाइड" में समस्या या मुद्दे द्वारा आयोजित व्यापक संकेतक संयंत्र सूचियां हैं.
हंगर इंडेक्स में पाकिस्तान-श्रीलंका भी भारत से बेहतर कैसे? जानें कैसे तय होती है रैंकिंग
ग्लोबल हंगर इंडेक्स की रैंकिंग में भारत फिसलकर 107वें नंबर पर आ गया है. पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल और श्रीलंका भी उससे आगे है. हंगर इंडेक्स को चार पैमानों पर मापा जाता है. इससे किसी देश में भूख की स्थिति का पता लगता है. हालांकि, सरकार ने हंगर इंडेक्स की रिपोर्ट को गलत बताया है.
प्रियंक द्विवेदी
- नई दिल्ली,
- 17 अक्टूबर 2022,
- (अपडेटेड 17 अक्टूबर 2022, 1:04 PM IST)
Global Hunger Index India: ग्लोबल हंगर इंडेक्स की 2022 की रिपोर्ट जारी हो गई है. भारत की स्थिति और खराब हो गई है. 121 देशों की रैंकिंग में भारत 107वें नंबर पर है. भारत से बेहतर स्थिति में पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल और श्रीलंका भी हैं.
ग्लोबल हंगर इंडेक्स से पता चलता है कि भुखमरी से किस देश में कैसे हालात हैं? रिपोर्ट बताती है कि भुखमरी से भारत में हालात खराब होते जा रहे हैं.
2021 में 116 देशों की रैंकिंग में भारत का नंबर 101वां था. जबकि, 2020 में भारत का स्थान 94वें नंबर पर था.
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इस साल एशिया में सिर्फ अफगानिस्तान ही है, जो भारत से पीछे है. अफगानिस्तान 109वें पायदान पर है. जबकि, पाकिस्तान 99वें, बांग्लादेश 84वें और नेपाल 81वें नंबर पर है. आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका को इस इंडेक्स में 64वें नंबर पर रखा गया है.
पर भारत की रैंकिंग में गिरावट क्यों हो रही है? ग्लोबल हंगर इंडेक्स को मापने का तरीका क्या है? बांग्लादेश और पाकिस्तान जैसे देश भारत से आगे क्यों हैं? जानते हैं.
ग्लोबल हंगर इंडेक्स क्या है?
ग्लोबल हंगर इंडेक्स दुनियाभर में भूख को मापने का जरिया है. इसे चार पैमानों पर मापा जाता है. इनमें कुपोषण, बच्चों में ठिगनापन (उम्र के हिसाब से कम हाइट), बच्चों का वजन (हाइट के हिसाब से कम वजन) और बाल मृत्यु दर (5 साल से कम उम्र के बच्चों की मौत) शामिल है.
हंगर इंडेक्स का कुल स्कोर 100 प्वॉइंट का होता है. इसके आधार पर किसी देश में भूख की गंभीरता का पता लगाया जाता है. अगर किसी देश का स्कोर 0 है तो वहां अच्छी स्थिति है. लेकिन किसी देश का स्कोर 100 है, तो वो बेहद खराब स्थिति में है.
भारत का स्कोर 29.1 है और उसे 'गंभीर' स्थिति में रखा गया है. पाकिस्तान का स्कोर 26.1 है और वो भी 'गंभीर' स्थिति में है. बांग्लादेश का स्कोर 19.6, नेपाल का 19.1 और श्रीलंका का 13.6 है.
भारत कैसे पिछड़ा?
ग्लोबल हंगर इंडेक्स की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत की 16.3% आबादी कुपोषित है. यानी, हर 100 में से 16 से ज्यादा लोग कुपोषित हैं.
वहीं, 19.क्या संकेतक बेहतर है 3% से ज्यादा बच्चे ऐसे हैं, जिनका वजन उनकी हाइट के हिसाब से कम है. 35.5% बच्चे अपनी उम्र के क्या संकेतक बेहतर है हिसाब से कम हाइट के हैं.
जबकि, बाल मृत्यु दर 3.3% है. यानी, भारत में पैदा होने वाले हर 1000 में से 3.3% बच्चे 5 साल भी नहीं जी पाते हैं.
भारत के पड़ोसियों की क्या है स्थिति?
- पाकिस्तानः 16.9% आबादी कुपोषित है. 7.5% बच्चों का वजह उनकी हाइट के हिसाब से कम है, जबकि 37.6% बच्चों की उम्र के हिसाब से हाइट कम है. बाल मृत्यु दर 6.5% है.
- बांग्लादेशः 11.4% आबादी कुपोषित है. 9.8% बच्चों का वजह उनकी हाइट के हिसाब से कम है, जबकि 28% बच्चों की उम्र के हिसाब से हाइट कम है. बाल मृत्यु दर 2.9% है.
- श्रीलंकाः 3.4% आबादी कुपोषित है. 15% बच्चों का वजह उनकी हाइट के हिसाब से कम है, जबकि 13.4% बच्चों की उम्र के हिसाब से हाइट कम है. बाल मृत्यु दर 0.7% है.
- नेपालः 5.5% आबादी कुपोषित है. 12% बच्चों का वजह उनकी हाइट के हिसाब से कम है, जबकि 31.5% बच्चों की उम्र के हिसाब से हाइट कम है. बाल मृत्यु दर 2.8% है.
- अफगानिस्तानः 29.क्या संकेतक बेहतर है 8% आबादी कुपोषित है. 5.1% बच्चों का वजह उनकी हाइट के हिसाब से कम है, जबकि 38.2% बच्चों की उम्र के हिसाब से हाइट कम है. बाल मृत्यु दर 5.8% है.
- चीनः 2.5% से भी कम आबादी कुपोषित है. 1.9% बच्चों का वजह उनकी हाइट के हिसाब से कम है, जबकि 4.8% बच्चों की उम्र के हिसाब से हाइट कम है. बाल मृत्यु दर 0.7% है.
सरकार का क्या है कहना?
केंद्र सरकार ने ग्लोबल हंगर इंडेक्स की रिपोर्ट को खारिज किया है. सरकार ने हंगर इंडेक्स में रैंकिंग मापने के तरीकों को गलत ठहराया है.
महिला और बाल विकास मंत्रालय ने कहा कि इसको मापने के चार में तीन पैमाने बच्चों की हेल्थ से जुड़े हैं और ये पूरी आबादी की तस्वीर नहीं बताते हैं. वहीं, कुपोषण का अनुमान पोल के जरिए किया गया है, जिसमें 3 हजार लोग हिस्सा लेते हैं.
मंत्रालय ने कहा कि ये इंडेक्स भारत की छवि खराब करने की कोशिश है और ये दिखाने की कोशिश की गई है कि भारत अपनी आबादी की खाद्य सुरक्षा और पोषण संबंधी जरूरतों को पूरा नहीं करता है.
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