जेब में रखने की नहीं पड़ेगी जरूरत
ई-रूपी से जेब में नगदी रखने की जरूरत नहीं पड़ेगी। यह भी मोबाइल वॉलेट की तरह काम करेगी। इसे रखने के लिए बैंक खाते की अनिवार्यता नहीं होगी। इससे कैशलेस पेमेंट कर सकेंगे। अनजान व्यक्ति को जानकारी शेयर करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। निजता बरकरार रहेगी। सबसे पहले नगदी पर निर्भरता घटेगी। फिजिकल रुपये को छापने की लागत घटेगी। नगद अर्थव्यवस्था घटाने का लक्ष्य पाने में मदद मिलेगी। लेनदेन की लागत घटाने में भी मदद मिलेगी।
Digital Rupee के क्या फायदे-नुकसान? कैश रखने डिजिटल करेंसी के क्या क्या फायदे हैं? की जरूरत नहीं, लेकिन.
RBI ने अक्टूबर की शुरुआत में एक कॉन्सेप्ट नोट जारी करते हुए डिजिटल रुपया के पायलट लॉन्च का ऐलान किया था. इसके तहत मंगलवार को इसे पेश किया गया. यह इलेक्ट्रॉनिक रूप में अकाउंट में दिखेगा और करेंसी नोट से इसे बदला भी जा सकेगा.
aajtak.in
- नई दिल्ली,
- 01 नवंबर 2022,
- (अपडेटेड 01 नवंबर 2022, 6:22 PM IST)
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने अपनी डिजिटल करेंसी E-Rupee का पायलट लॉन्च कर दिया है. अब केंद्रीय बैंक इस पायलट प्रोजेक्ट के स्कोप के आगे बढ़ने के साथ CBDC से जुड़े नए फीचर्स और फायदे लोगों के साथ शेयर करेगा. इस डिजिटल रुपया को देश में लीगल टेंडर के तौर पर जारी किया गया. आइए जानते हैं इसके फायदे और नुकसान के बारे में सब कुछ.
एक महीने चलेगा पायलट प्रोजेक्ट
सबसे पहले बता दें कि मंगलवार से शुरू हुआ डिजिटल रुपया (Digital Rupee) का पायलट प्रोजेक्ट करीब एक महीने तक चलेगा. फिलहाल, इसका इस्तेमाल होलसेल ट्रांजैक्शन और क्रॉस-बॉर्डर पेमेंट के लिए किया जाएगा. सरकारी और प्राइवेट सेक्टर के 9 बैंकों को इससे जोड़ा गया है. हालांकि, इस पायलट लॉन्च के तहत कुछ चुनिंदा लोगों को ही लेनदेन की अनुमति होगी.
E-Rupee के ये बड़े फायदे
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- डिजिटल अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में मददगार.
- लोगों को जेब में कैश लेकर की जरूरत नहीं रहेगी.
- मोबाइल वॉलेट की तरह ही इससे पेमेंट करने की सुविधा होगी.
- डिजिटल रुपया को बैंक मनी और कैश में आसानी से कन्वर्ट कर सकेंगे.
- विदेशों में पैसे भेजने की लागत में कमी आएगी.
- ई- रुपया बिना इंटरनेट कनेक्शन के भी काम करेगा.
- ई-रूपी की डिजिटल करेंसी के क्या क्या फायदे हैं? वैल्यू भी मौजूदा करेंसी के बराबर ही होगी.
Digital Rupee के कुछ नुकसान भी
रिजर्व बैंक (RBI) की डिजिटल करेंसी E-Rupee के नुकसान की अगर बात करें तो इसका एक बड़ा नुकसान ये हो सकता है कि इससे पैसों के लेन-देन से संबंधित प्राइवेसी नहीं रहेगी. आमतौर पर कैश में लेन-देन करने से पहचान गुप्त रहती है. लेकिन डिजिटल ट्रांजैक्शन सरकार की निगरानी में रहेगा. ऐसे में कुछ लोगों के लिए ये परेशानी का सबब बन सकता है.
इसके अलावा ई-रुपया पर कोई ब्याज भी नहीं मिलेगा. RBI ने इसकी वजह भी बताई है. केंद्रीय बैंक की मानें तो अगर डिजिटल रुपया पर ब्याज दिया ये करेंसी मार्केट में अस्थिरता ला सकता है. क्योंकि ऐसे में लोग अपने सेविंग्स अकाउंट से पैसे निकालकर उसे डिजिटल करेंसी में बदलने लगेंगे.
Digital Currency: RBI देश में लाने जा रहा डिजिटल करेंसी! इसे लाने के क्या हैं नफा-नुकसान, समझिए यहां
Digital Currency: ई-रूपी से जेब में नगदी रखने की जरूरत नहीं पड़ेगी। यह भी मोबाइल वॉलेट की तरह काम करेगी। इसे रखने के लिए बैंक खाते की अनिवार्यता नहीं होगी। इससे कैशलेस पेमेंट कर सकेंगे। अनजान व्यक्ति को जानकारी शेयर करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। निजता बरकरार रहेगी।
RBI का मानना है कि ई-रुपी डिजिटल इकोनॉमी को बढ़ावा देगा
हाइलाइट्स
- रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने भी डिजिटल रुपया जारी करने की बात कही है
- डिजिटल करेंसी की वैल्यू भी मौजूदा करेंसी के बराबर ही होगी
- ई-रूपी से लोगों को अपनी जेब में नगदी रखने की जरूरत नहीं पड़ेगी
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जेब में रखने की नहीं पड़ेगी जरूरत
ई-रूपी से जेब में नगदी रखने की जरूरत नहीं पड़ेगी। यह भी मोबाइल वॉलेट की तरह काम करेगी। इसे रखने के लिए बैंक खाते की अनिवार्यता नहीं होगी। इससे कैशलेस पेमेंट कर सकेंगे। अनजान व्यक्ति को जानकारी शेयर करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। निजता बरकरार रहेगी। सबसे पहले नगदी पर निर्भरता घटेगी। फिजिकल रुपये को छापने की लागत घटेगी। नगद अर्थव्यवस्था घटाने का लक्ष्य पाने में मदद मिलेगी। लेनदेन की लागत घटाने में भी मदद मिलेगी।
इस वजह से सरकार ला रही डिजिटल करेंसी
भारत में क्रिप्टोकरेंसी की अधिक मांग है। RBI शुरू से इसका विरोध करता रहा है। क्रिप्टोकरेंसी के जवाब में ही ई-रुपी लॉन्च किया जा रहा है। यह रुपये के मौजूदा डिजिटल स्वरूप की जगह नहीं लेगा, बल्कि लेनदेन का एक और माध्यम उपलब्ध कराएगा। RBI का मानना है कि ई-रुपी डिजिटल इकोनॉमी को बढ़ावा देगा। पेमेंट सिस्टम अधिक प्रभावी बनेगा। यह जोखिम-मुक्त वर्चुअल करेंसी होगी। यह सुरक्षित डिजिटल करेंसी के सभी पैमानों पर खरी उतरेगी।
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डिजिटल मुद्रा के नुकसान
ई-रुपी जैसी डिजिटल मुद्रा का एक नुकसान यह हो सकता है कि इससे लोगों की प्राइवेसी खत्म हो सकती है। नकदी के ट्रांजेक्शन में लोगों की पहचान गुप्त रहती है। कहीं से खरीदारी करने पर कैश पेमेंट में कोई पहचान नहीं रहती। सरकार अगर डिजिटल ट्रांजेक्शन को ट्रैक कर सके, तो इससे बहुत से लोगों को परेशानी हो सकती है। किसी संकट की स्थिति में RBI की डिजिटल करेंसी ठप पड़ सकती है। जब किसी बैंक के साथ ऐसी स्थिति होती है तो लोग सबसे पहले अपने पैसे की चिंता करते हैं और बैंक में भीड़ लग जाती है। इस तरह उस बैंक के कामकाज पर काफी असर पड़ सकता है।
Digital Currency Benefits: आखिर भारतीय रिजर्व बैंक क्यों लाना चाहता है डिजिटल करंसी, जानिए क्या फायदा होगा इससे!
Digital Currency Benefits: आने वाले कुछ दिनों या महीनों में रिजर्व बैंक (RBI) डिजिटल करंसी (Digital Currency) ला सकता है। जिस दिशा में भारत आगे कदम बढ़ा रहा है, उस दिशा में अमेरिका भी तेजी से आगे बढ़ रहा है। चीन, जापान और स्वीडन जैसे देशों ने तो डिजिटल करंसी पर ट्रायल शुरू भी कर दिया है। बैंक ऑफ इंग्लैंड और यूरोपियन सेंट्रल बैंक भी ट्रायल की तैयारी में जुटे हैं। आइए जानते हैं डिजिकल करंसी से क्या फायदे (benefits of introducing digital currency) होंगे।
Digital Currency Benefits: आखिर भारतीय रिजर्व बैंक क्यों लाना चाहता है डिजिटल करंसी, जानिए क्या फायदा होगा इससे!
फिजिकल करंसी के मुकाबले कई फायदे
अगर बात की जाए फिजिकल करंसी की तो उसके चोरी होने, खराब होने आदि का काफी डर रहता है। इसका रख-रखाव भी काफी अधिक करना पड़ता है। वहीं अगर ये पैसे डिजिटल फॉर्म में होंगे तो उसके रख-रखाव पर कम खर्च होगा और उसे ट्रैक करना बहुत ही आसान हो जाएगा। वहीं बात अग वैल्यू की करें तो जितनी वैल्यू 10 रुपये के नोट की है, उतनी ही 10 रुपये की डिजिटल करंसी की होगी। जिस तरह आप अभी तमाम तरह के मोबाइ वॉलेट में पैसे रखते हैं, वैसे ही बाद में भी आप पैसे रख पाएंगे। फर्क सिर्फ इतना होगा डिजिटल करंसी आने के बाद हो सकता है कि धीरे-धीरे सिस्टम से नोट खत्म हो जाएं।
ना नोट छापने की जरूरत, ना असली-नकली का डर
डिजिटल करंसी होने से सरकार को करंसी छापने के डिजिटल करेंसी के क्या क्या फायदे हैं? झंझट से भी मुक्ति मिल सकता है, लेकिन इसमें कई साल लगेंगे। फिजिकल से डिजिटल होने में काफी वक्त लग सकता है, क्योंकि भारत में हर डिजिटल करेंसी के क्या क्या फायदे हैं? कोई डिजिटल को अच्छे से नहीं समझता है। डिजिटल करंसी का सबसे बड़ा फायदा ये होगा कि असली नोट-नकली नोट का झंझट खत्म हो जाएगा। हालांकि, उस केस में साइबर सिक्योरिटी पर सरकार को तगड़ा ध्यान देना होगा।
टैक्स चोरी हो सकती है कम
अगर अभी की बात करें तो कैश कहां जाता है, इसे ट्रैक करना काफी मुश्किल होता है। कोई भी शख्स किसी को कैश देता है तो उसका कोई रेकॉर्ड नहीं होता, लेकिन डिजिटल करंसी में इसकी ट्रैकिंग बेहद आसान हो जाएगी। नतीजा ये होगा कि कालेधन पर लगाम लग सकेगी और टैक्स चोरी की वजह से सरकार को आय में जो नुकसान होता है, वह भी कम होगा या हो सकता है धीरे-धीरे खत्म ही हो जाए।
प्राइवेट वर्चुअल करंसी के उतार-चढ़ाव से लोगों की रक्षा
गुरुवार को डिजिटल करंसी की बात करते हुए रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर टी रविशंकर ने कहा था डिजिटल करंसी बेहद फायदेमंद साबित होगी। इसके आने से प्राइवेट वर्चुअल करंसी के उतार-चढ़ाव से लोगों की रक्षा की जा सकेगी। अगर बात करें बिटकॉइन की तो सरकार उसके खिलाफ इसीलिए है, क्योंकि उसकी ट्रांजेक्शन पर नजर नहीं रखी जा सकती है और इससे लोगों को भारी नुकसान हो जाते हैं। वहीं डिजिटल करंसी सरकार की तरफ से जारी करंसी होगी और ऐसे में उसकी ट्रैकिंग आसानी से की जा सकेगी।
डिजिटल करंसी के नुकसान भी हैं
फिजिकल करंसी के मुकाबले डिजिटल करंसी के सिर्फ फायदे ही नहीं हैं, बल्कि कुछ नुकसान भी हैं। सबसे बड़ा नुकसान तो इसे साइबर चोरों से सुरक्षा देना होगा। जिस तरह अभी नोटों की सिक्योरिटी करनी पड़ती है, वैसे ही बाद में डिजिटल करंसी की सुरक्षा के लिए तकनीकी रूप से मुस्तैद रहना होगा। वहीं लेन-देन में अगर कोई तकनीकी दिक्कत आई तो सारी ट्रांजेक्शन रुक जाएंगी, जिससे लोगों डिजिटल करेंसी के क्या क्या फायदे हैं? को परेशानी हो सकती है। खैर, अभी ये सिर्फ अनुमान ही हैं और हकीकत में डिजिटल करंसी आने के बाद क्या फायदे होंगे, क्या नुकसान होंगे और क्या चुनौतियां झेलनी होंगी, ये देखना दिलचस्प रहेगा।
Cryptocurrency और Digital Rupee में क्या है फर्क, अगर शुरु हो गया इसका इस्तेमाल तो आपको क्या होगा फायदा?
अगर सब कुछ ठीक रहा तो आने वाले समय में डिजिटल रुपी का इस्तेमाल आम लोग भी करेंगे. ऐसे में ये समझना बहुत जरूरी है कि आखिर डिजिटल रुपी और क्रिप्टोकरेंसी में क्या फर्क है और इससे आम लोगों को क्या फायदा होगा?
क्रिप्टोकरेंसी को टक्कर देने के लिए भारत में पहली बार करेंसी को डिजिटल रूप में लाया गया है. एक नवंबर को डिजिटल रुपी (Digital Rupee) यानी सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) को पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू कर दिया गया है. फिलहाल रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (Reserve Bank of India- RBI) कुछ समय तक इसमें आने वाली चुनौतियों को परखेगा और पूरी तरह से आश्वस्त होने के बाद इसके इस्तेमाल को शुरू किया जाएगा.
RBI ने अभी इसे होलसेल ट्रांजेक्शन के लिए जारी किया है और इसे होलसेल सेगमेंट पायलट प्रोजेक्ट नाम दिया है. लेकिन अगर सब कुछ ठीक रहा तो आने वाले समय में डिजिटल रुपी का इस्तेमाल आम लोग भी डिजिटल करेंसी के क्या क्या फायदे हैं? करेंगे. ऐसे में ये समझना बहुत जरूरी है कि आखिर डिजिटल रुपी और क्रिप्टोकरेंसी में क्या फर्क है और इससे आम लोगों को क्या फायदा होगा?
क्रिप्टोकरेंसी और डिजिटल रुपी में अंतर
क्रिप्टोकरेंसी: ये एक विकेंद्रित (Decentralized) डिजिटल संपत्ति है. इसके जरिए डिजिटल तरीके से लेनदेन किया जा सकता है. ब्लॉकचेन तकनीक के जरिए क्रिप्टोकरेंसी अलग-अलग जगहों पर स्टोर रहती है. ब्लॉकचेन ऐसी तकनीक है जिससे Digital Currency बनाने के साथ ही किसी भी चीज को डिजिटल बनाकर उसका रिकॉर्ड रखा जा सकता है. ये एक तरह का डिजिटल लेजर है. लेकिन चिंता वाली बात ये है कि क्रिप्टोकरेंसी को रेगुलेट करने के लिए डिजिटल करेंसी के क्या क्या फायदे हैं? कोई बैंक या अन्य संस्था नहीं है और न ही इसे कोई सरकार मॉनिटर नहीं करती है. ये पूरी तरह से निजी करेंसी है. इसके अलावा क्रिप्टोकरेंसी के रेट में उतार-चढ़ाव की स्थिति बनी रहती है.
डिजिटल रुपी: डिजिटल रुपी से भी लेनदेन को क्रिप्टोकरेंसी की तरह ही डिजिटल माध्यम से ही किया जाएगा, लेकिन सबसे बड़ा फर्क है कि ये पूरी तरह से रेगुलेटेड है. इसे सरकार की मंजूरी प्राप्त है और यह पूरी तरह से सरकार समर्थित वैध मुद्रा है. इसमें नियामक के रूप में आरबीआई और लेन-देन की मदद के लिए दूसरे बैंक मौजूद रहेंगे. किसी भी तरह की दिक्कत आने पर वित्तीय संस्थान दखल दे सकते हैं. लेकिन क्रिप्टोकरेंसी में ये संभव नहीं है. यूपीआई और पेमेंट वॉलेट के जरिए किए जाने वाले डिजिटल भुगतान से ये पूरी तरह से अलग है. वहीं डिजिटल रुपी में उतार-चढ़ाव जैसा कुछ नहीं होगा. इसका वही प्रभाव होगा जो नकद मुद्रा का होता है. इसके अलावा डिजिटल रुपी को नकदी में बदला जा सकेगा.
क्या है डिजिटल रुपया, डिजिटल करेंसी से कैसे है अलग, जिनका नहीं है बैंक अकाउंट क्या उनको भी मिलेगी मदद?
किसी पेपर करेंसी नोट की तरह डिजिटल रुपये की हर यूनिट यूनिक होगी.
आरबीआई का कहना है कि इससे वित्तीय नीतियों के क्रियान्वयन में आसानी होगी. इसे किसी प्राइवेट वर्चुअल करेंसी से अधिक सुरक् . अधिक पढ़ें
- News18Hindi
- Last Updated : October 24, 2022, 07:30 IST
हाइलाइट्स
डिजिटल रुपया किसी कमर्शियल बैंक की नहीं बल्कि RBI की जिम्मेदारी होगा.
किसी भी कमर्शियल बैंक में डिजिटल रुपये को कैश में तब्दील किया जा सकेगा.
डिजिटल रुपये का इस्तेमाल डिजिटल करेंसी के क्या क्या फायदे हैं? बगैर बैंक अकाउंट के भी किया जा सकेगा.
नई दिल्ली. भारतीय रिजर्व बैंक ने हाल ही में सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (सीबीडीसी) पर एक कॉन्सेप्ट नोट जारी किया है. इसमें बैंक ने बताया कि इस करेंसी का उद्देश्य क्या और इससे क्या लाभ-हानि हो सकती है. नोट में इस बात पर भी चर्चा हुई है कि इस करेंसी का बैंकिंग प्रणाली, मौद्रिक नीति और देश की वित्तीय स्थिरता पर कैसा प्रभाव होगा. इसके अलावा बैंक ने इसे डिजिटल करेंसी के क्या क्या फायदे हैं? किसी प्राइवेट वर्चुअल करेंसी (बिटकॉइन) से अधिक सुरक्षित बताया है. गौरतलब है कि जब आरबीआई ने पहली बार डिजिटल करेंसी की बात शुरू की थी लोगों डिजिटल करेंसी के क्या क्या फायदे हैं? ने इसकी तुलना बिटकॉइन से करना चालू कर दिया था.
हम इसकी तुलना किसी क्रिप्टोकरेंसी से न करते हुए पहले से बाजार में चल रही डिजिटल करेंसी से करेंगे. क्या आरबीआई का डिजिटल रुपया फिलहाल बाजार में मौजूद डिजिटल करेंसी के मुकाबले बेहतर है, ये कैसे काम करता है और इसके क्या फायदे होंगे यह लेख मुख्यत: इन्हीं बातों पर केंद्रित है.
क्या है सीबीडीसी?
भारतीय रिजर्व बैंक सीबीडीसी को वैध मुद्रा (लीगल मनी) के रूप में जारी करेगा. ये देश की करेंसी का एक डिजिटल रिकॉर्ड या टोकन होगा जिसे लेनदेन के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है. गौरतलब है कि बिटकॉइन को लेनदेन के माध्यम के तौर पर कम और इन्वेस्टमेंट के रूप में अधिक देखा जाता है. आरबीआई का कहना है कि डिजिटल रुपये से पेमेंट सिस्टम और सक्षम बन जाएगा. भारत अकेला नहीं है जो सीबीडीसी पर काम कर रहा है. कई देशों में इसके पायलेट प्रोजेक्ट शुरू हो चुके हैं.
क्या है फायदा?
इसका सबसे बड़ा फायदा ये है कि आप इसे कैश में तब्दील कर सकते हैं. इसके अलावा डिजिटल लेनदेन पर लगने वाला शुल्क डिजिटल करेंसी के क्या क्या फायदे हैं? कम हो जाएगा. डिजिटल रुपया किसी करेंसी फ्रॉड से बचने में अधिक सक्षम होगा क्योंकि इसकी हर यूनिट यूनिक होगी जैसा फिएट करेंसी या पेपर मनी के साथ होता है. इसे आप डिजिटल पेमेंट की ही तरह कोई भुगतान करने या स्टोर करने के लिए इस्तेमाल कर पाएंगे. आरबीआई का कहना है कि इससे मौद्रिक और वित्तीय नीतियों के क्रियान्वयन में भी आसानी होगी. इसके आने से कैश पर लोगों की निर्भरता और कम हो जाएगी.
कैसे है ये डिजिटल करेंसी से अलग?
डिजिटल करेंसी एक जगह से दूसरी जगह पर ट्रांसफर होने के लिए बैंकों के सिस्टम से होकर गुजरती है. डिजिटल रुपया निर्बाध रूप से भुगतान करने से प्राप्त करने वाले के पास जाएगा. सीबीडीसी केंद्रीय बैंक की जिम्मेदारी है किसी कमर्शियल बैंक की नहीं. इसका सबसे जबरदस्त फीचर है कि आपके पास अगर बैंक खाता नहीं है तब भी इससे डिजिटली पैसा ट्रांसफर हो पाएगा जबकि डिजिटल करेंसी के साथ ऐसा नहीं किया जा सकता है.
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