अगर एक रिटेल निवेशक को यह जानकारी हो जाए की किन-किन स्थिति में स्टॉक मार्केट को ऑपरेटर्स मैनिपुलेट कर सकते हैं। तो वे बहुत बड़ी ठगी के शिकार से बच सकते हैं। जब भी उनके आसपास ऐसी घटनाएं होंगी, तो वह आसानी से समझ जाएंगे कि कहीं इसका जुराव ऑपरेटर से तो नहीं है।

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How to Make Money in Interaday Trading : Book Review Hindi

दोस्तों ना केवल Trading में बल्कि लाइफ में सफल होने के लिए बुक से अच्छी कोई चीज़ नहीं है, आपको Trading में सफल होने के लिए अनुभव का होना बहुत जरुरी है, अगर आप केवल अपने अनुभव से इस मार्किट में आओगे तो इसमें आपको इसकी मोटी किमत चुकानी पड़ सकती है, इसमें हर गलती की एक किमत होती है, तो ऐसे में इस मार्केट में बिना पैसे खोय सीखने का एक और तरीका है, और वह है दूसरे की गलती से सीखना और दूसरे से गलती से सीखना का एक ही तरीका है, और वह है बुक आज हम आपको भारत के प्रसिद बुक How to Make Money in Interaday Trading के बारे में बताने वाले है, अगर आप Interaday Trading से पैसे कमाना चाहते है तो आपको यह बुक जरूर पढ़नी चाहिए !

इस बुक के लेखक भारत के प्रसिद्ध Trader Ashwani Gujral और Rachana A. Vaidya है ! इन्होंने बहुत सारी पुस्तकें और स्कैल्प ट्रेडिंग कैसे काम करती है लिखी है अगर आप Interaday Trading करके पैसे कमाना चाहते हैं तो आपको यह बुक जरूर करनी चाहिए ! अगर आपको इंग्लिश पढ़ने में कठिनाई आती है तो यह Book आप के लिए है ! क्योंकि इसकी भाषा बहुत ही सरल है, आप इसे आसानी से समझ सकते हैं इसमें इन्होंने अपनी Interaday Trading के तरीकों के बारे में बताया गया है जिसका उपयोग आप अपने Interaday Trading में कर सकते हैं !

Who is Ashwani Gujral:-

यह भारत के प्रसिद्धा मार्केट एनालिसिस, Author, ट्रेडिंग एक्सपर्ट, Trainer है ! यह भारत और यूएस मार्केट में काम करते हैं ! साथ ही साथ जो Business Magazines है उसमें इनके आर्टिकल आते रहते हैं ! इन्होंने इसके अलावा दो बुक How to Make Money Trading Derivative और How to Make Money Trading With Chart लिखा हुआ है ! आप यह दोनों पुस्तक भी पढ़ सकते हैं !

1. इसमें मार्केट के प्रकार, निवेशक के प्रकार, Economy Cycle, और Moving Average क्या होता है और इसका उपयोग आप अपने ट्रेडिंग में कैसे कर सकते हैं इसके बारे में बताया गया है !

2. इसमें Candleऔर Candleके प्रकार के बारे में बताया गया है साथ ही साथ कैंडल के पीछे की सही Psychology के बारे में अभी बात की गई है !

4. इसमें PIVOT Point और इसकी सहायता से ट्रेनिंग कब करना है और कैसे करना है इसका बताया गया है साथ ही साथ बहुत से ट्रेन प्रेम में वोट कैसे काम करता है उसका भी बताया गया था !

शेयर ऑपरेटर द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले कुछ तरीके ।

इस तकनीक मैं बड़े ऑपरेटर, बहुत सारे सोशल मीडिया इनफ्लुएंसर को ,अपने एजेंडे के तहत किसी कार्य को करने के लिए और स्कैल्प ट्रेडिंग कैसे काम करती है या किसी खबर को पहुंचाने के लिए कहते हैं। आप यह पाएंगे कि अचानक से ही बहुत सारे लोग किसी ऐसे मुद्दे या शेयर के बारे में बात करने लगेंगे, जिस पर पहले किसी ने बात नहीं की होगी।

ऐसा करते हुए ये किसी खास शेयर की कीमतों में उछाल मंगाते हैं तथा भारी मुनाफा होने पर अपनी पोजीशन काट लेते हैं। इस प्रकार से नए छोटे निवेशक ऊपर की कीमतों पर फंसे रह जाते हैं और अंततः उन्हें नुकसान होता है।

कंपनी की अंदरूनी जानकारियों को लीक होने का बहाना करके।

बाजार में रहते हुए बहुत बार आपको ऐसा लगेगा की किसी कंपनी में होने वाली घटनाओं की गुप्त सूचना आपको ही है। अगर कोई खबर आपके पास आती है और आपको लगता है कि यह आने वाले समय में शेयर की कीमतों में बदलाव का कारण बन सकती हैं। तो आप सतर्क हो जाएं क्योंकि ऐसी खबर जानबूझकर निवेशक को तक पहुंचाई जाती है ताकि वे एक जैसे ही प्रतिक्रिया दें और अंततः ऑपरेटर के हाथों शिकार हो जाए।

इस तकनीक में ऑपरेटर किसी नामी निवेशक के साथ यह सांठगांठ कर लेते हैं। उस निवेशक को अपने तरफ से पैसे देकर किसी खास शेयर और स्कैल्प ट्रेडिंग कैसे काम करती है को खरीदने के लिए मना लेते हैं। इन्हें देख कर बहुत सारे नए निवेशक भी उसमें निवेश करना शुरू कर देते हैं। जब कीमतें और स्कैल्प ट्रेडिंग कैसे काम करती है बढ़ जाती हैं तो ऑपरेटर और बड़े निवेशक अपनी पोजीशन से बाहर हो जाते हैं। इस परिस्थिति में भी छोटे ग्राहक शेयर की ऊंची कीमतों पर फंसे रह जाते हैं। इस पूरे प्रक्रिया को नेम लेंडिंग कहा जाता है।

बड़े निवेशकों के नकली नाम और उनके खरीददारी के प्रचार से।

अगर आपको महाभारत, में घटोत्कच मृत्यु की घटना पता है तो आप इसे आसानी से समझ सकते हैं।

बड़े निवेशकों के नाम से मिलते जुलते बहुत सारे लोग शेयर बाजार में निवेश करते हैं। कुछ ऑपरेटर्स इन्हीं का फायदा उठाते हैं तथा मीडिया में गलत प्रचार के तहत यह बात फैला दी जाती है कि फलाना निवेशक ने इन कंपनियों में निवेश किया है ऐसा करते हैं। छोटे निवेशक फिर से बिना और स्कैल्प ट्रेडिंग कैसे काम करती है सोचे समझे उन कंपनियों में निवेश करना शुरू कर देते हैं और अंत में नुकसान झेलते हैं।

अच्छी खबरें और बुरी खबरों के माध्यम से ।

आप ही सोचिए कि अगर आपको किसी शेयर से बाहर निकलना है और आपके पास पर्याप्त धन है कि आप उसकी कीमतों में हेराफेरी कर सकते हैं तो आप उस शेयर के लिए अच्छी-अच्छी बातों का प्रचार प्रसार करवाना शुरू कर देंगे जिससे कि उसकी कीमतें बढ़ जाएंगी और आप वहां से बाहर निकल जाएंगे।

इसके विपरीत भी आप करेंगे अगर आपको किसी कंपनी के शेयर्स को खरीदारी करना है तो आप उसे कम से कम कीमत पर खरीदने की कोशिश करेंगे ऐसा करने के लिए आप उस कंपनी को लेकर गलत अफवाह फैलाऐंगे और कीमतों में गिरावट के बाद आप उसे खरीद लेंगे।

आप कभी इस बात पर ध्यान दीजिएगा कि किसी खास कंपनी के बारे में एक समय अचानक से और स्कैल्प ट्रेडिंग कैसे काम करती है बुरी जानकारियां आने लगते हैं। तथा कुछ दिन बाद कंपनी प्रेस रिलीज जारी करके सारे आरोपों को खारिज करती है। आप समझ चुके होंगे कि इस अवधि में क्या खेल खेला गया होगा। अगर ऐसा होता है तो आप उस कंपनी में निवेश करने से बचें।

Cryptocurrency Trading : कैसे खरीदते हैं क्रिप्टोकरेंसी और कहां करते हैं स्टोर, यहां जानें सबकुछ

Cryptocurrency Trading : कैसे खरीदते हैं क्रिप्टोकरेंसी और कहां करते हैं स्टोर, यहां जानें सबकुछ

Cryptocurrency Trading: क्रिप्टोकरेंसी में निवेश दिलचस्प हो सकता है. (प्रतीकात्मक तस्वीर)

आप बिटकॉइन या ऐसी कोई दूसरी क्रिप्टोकरेंसी कैसे खरीद सकते (How to buy cryptocurrency) हैं और इसे स्टोर कैसे कर सकते हैं, ये दो चीजें थोड़ी जटिल लगती हैं, लेकिन ये दोनों ही चीजें करना बहुत ही आसान है. क्रिप्टोकरेंसी शुरुआत में बस प्रोग्रामर्स और डेवलपर्स के दिलचस्पी की चीज थी, लेकिन अब इसकी पॉपुलैरिटी इतनी बढ़ गई है कि अब सामान्य व्यक्ति भी इसमें निवेश करने की सोच रहा है. ऐसे में आपको एक बार यह समझ लेना चाहिए कि यह तकनीक कैसे काम करती है, ताकि आप इसमें सुरक्षित तरीके से निवेश कर पाएं. इस आर्टिकल में हम आपको बता रहे हैं कि आप क्रिप्टोकरेंसी कैसे खरीद सकते हैं और कैसे इसे स्टोर कर सकते हैं. (क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े कई दूसरे टॉपिक पर आर्टिकल पर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)

क्रिप्टोकरेंसी कैसे खरीदते हैं?

क्रिप्टो एक्सचेंज प्लेटफॉर्म पर बायर्स और सेलर्स ट्रेडिंग करते हैं. कई एक्सचेंज ऐसे होते हैं जो एक साथ कई करेंसीज़ को सपोर्ट करते हैं- जैसे बिटकॉइन, रिपल, एथर, टेदर, कारडानो. भारत में भी अब कई एक्सचेंज काम करने लगे हैं. लेकिन एक्सचेंज पर ट्रेडिंग शुरू करने से पहले हम आपको सलाह देंगे कि आप ये देख लें कि ये एक्सचेंज अच्छी वजहों से चर्चा में हों न कि बुरी वजहों से. हमेशा चेक कर लें कि उस एक्सचेंज का ऑफिस भारत में हो और इसकी फाउंडिंग टीम में ऐसा स्टाफ हो, जिसकी हिस्ट्री साफ रही हो.

एक्सचेंज को लेकर आपको इसलिए भी एक्सचेंज को लेकर सतर्क रहना होगा क्योंकि औसतन एक एक्सचेंज को एक दिन में 20 करोड़ का नुकसान होता है, ऐसे में आपको भरोसेमेंद एक्सचेंज का साथ चुनना होगा.

इसके अलावा, क्रिप्टो खरीदने और बेचने के दूसरे तरीके भी हैं. आप दूसरे सेलर्स से डायरेक्ट कॉन्टैक्ट करके भी क्रिप्टो की ट्रेडिंग कर सकते हैं, लेकिन ये बात है कि एक्सचेंज ज्यादा सुरक्षित होता है. यहां आप ज्यादा स्थिर कीमतें भी देख सकते हैं, जिससे ट्रेडिंग में आसानी होती है, ऐसे में नए लोगों के लिए एक्सचेंज से क्रिप्टो खरीदना-बेचना ज्यादा आसान होता है.

एक्सचेंज का इस्तेमाल करना

सभी बड़े एक्सचेंज लगभग एक ही प्रोसेस फॉलो करते हैं. आपको एक अकाउंट बनाने की जरूरत होगी, फिर भारत स्थित एक्सचेंज आपको KYC वेरिफिकेशन करने को बोलेंगे. यह वेरेफिकेशन किसी फ्रॉड वगैरह को रोकने के लिए किया जाता है और आपको इस दौरान अपना आईडी प्रूफ देना होगा. यह पूरा प्रोसेस बस थोड़े वक्त में पूरा हो जाता है, जिसके बाद आप ट्रेडिंग शुरू कर सकते हैं. इसके लिए आप अपना बैंक अकाउंट अपने क्रिप्टो अकाउंट से लिंक कर सकते हैं. या फिर ट्रांजैक्शन के लिए सीधे डेबिट/क्रेडिट कार्ड या नेटबैंकिंग का इस्तेमाल कर सकते हैं. जब लॉगइन और अकाउंट सेटअप का पूरा प्रोसेस कंप्लीट हो जाएगा, तो आपका एक्सचेंज आपको पहला ऑर्डर प्लेस करने के लिए नोटिफाई कर देगा.

ऑर्डर प्लेस करने के लिए आपको किसी क्रिप्टोकरेंसी का सिंबल यानी कि बिटकॉइन के लिए BTC, एथर के लिए ETH और डॉजकॉइन के लिए DOGE, डालना होगा और वो अमाउंट भी डालना होगा, जितने में आप वो कॉइन खरीदना चाहते हैं.

क्रिप्टोकरेंसी स्टोर कैसे करें?

क्रिप्टोकरेंसी खरीदना पहला स्टेप है, अब आपको उसको स्टोर करने के बारे में सोचना होगा. हां, यह सही है कि आप क्रिप्टो एक्सचेंज पर ही अपने कॉइन्स छोड़ सकते हैं, और अगर आप एक्टिव ट्रेडिंग कर रहे हैं, तो इसके लिए यह बेहतर तरीका होता है, लेकिन अगर आप किसी भी क्रिप्टोकरेंसी की कीमत पर नजर डालें तो देखेंगे कि बिटकॉइन और एथर जैसे कॉइन्स ने लंबे समय में ज्यादा रिटर्न दिया है. बीच-बीच में बाजार में आए उतार-चढ़ाव के बावजूद इन कॉइन्स की लॉन्ग टर्म में वैल्यू बढ़ी है.

इसका मतलब है कि उनकी वैल्यू बढ़ने तक के लिए आपको इन्हें स्टोर करना होगा. क्रिप्टोकॉइन्स और टोकन्स आप अपने क्रिप्टो वॉलेट में स्टोर कर सकते हैं. क्रिप्टो वॉलेट्स तीन तरह के होते हैं- हॉट, कोल्ड और पेपर वॉलेट. इनमें से आपको कोई भी वॉलेट अपनी जरूरत के हिसाब से चूज़ करना होगा. इस पर हमारे पास एक आर्टिकल है- Cryptocurrency Wallet : क्रिप्टोकरेंसी वॉलेट क्या होता है? कैसे बना सकते हैं अपना खुद का वॉलेट? पढ़ें- इसमें आपको क्रिप्टो वॉलेट से जुड़ी हर जानकारी मिल जाएगी, जिसके बाद उनमें से अपनी जरूरत के हिसाब से कोई भी वॉलेट सेट अप कर सकते हैं.

difference between investing and trading : investing और trading क्या अंतर है

Investing vs. Trading- इन्वेस्टमेंट और ट्रेडिंग के बारे में जानने से पहले ये जानना जरुरी है की हम शेयर मार्किट में इन्वेस्टमेंट और ट्रेडिंग बात कर रहे है अपने अक्सर शेयर मार्किट में 2 टर्म बहुत सुनी होगी या पढ़ी होगी इन्वेस्टमेंट एंड ट्रेडिंग . इन्वेस्टमेंट और ट्रेडिंग दोनों शेयर मार्किट में काम करने के अलग अलग तरीके है

शेयर मार्किट में काम करने का सभी का अपना तरीका होता है कोई लम्बे समय इंतज़ार करके कम जोखिम में ज्यादा पैसे कमाता है और कोई कम समय में जायदा जोखिम लेकर जायदा पैसे कमाने की कोशिश करता है

Investing vs. Trading

Investing vs. Trading

Trading

Investing vs. Trading

Investing vs. Trading

ट्रेडिंग और स्कैल्प ट्रेडिंग कैसे काम करती है एके शॉर्ट टर्म इन्वेस्टमेंट इवेंट है ट्रेडिंग में आप किसी कंपनी का शेयर आज खरीद कर आज ही बेच देते है इसमें ट्रेडर और स्कैल्प ट्रेडिंग कैसे काम करती है को 1 दिन में ज्यादा प्रॉफिट चाहिए .ट्रेडिंग में जोखिम ज्यादा होता है इसमें आप रुझान के अनुसार काम करते है जैसे ही स्टॉक ऊपर की ओर जाता हे आप स्टॉक खरीद लेते है जिसके लिए आपको चार्ट और कुछ रिसर्च करना होता हे और उसके उपर नज़र रखना होता है .

Trading बहुत टाइप की होती है जैसे की

1.इंट्राडे ट्रेडिंग जिसमे स्टॉक को जिस दिन ख़रीदा उसी दिन बेचना होता है

2. स्विंग ट्रेडिंग जिसमे एक दिन से एक वीक तक होल्ड करते है .

3. पोजीशन ट्रेडिंग जिसमे स्टॉक को 1दिन से लेकर 1 साल तक होल्ड किया जाता है जो एक तरह का शार्ट टर्म इन्वेस्टमेंट होता है

कंपनी की अंदरूनी जानकारियों को लीक होने का बहाना करके।

बाजार में रहते हुए बहुत बार आपको ऐसा लगेगा की किसी कंपनी में होने वाली घटनाओं की गुप्त सूचना आपको ही है। अगर कोई खबर आपके पास आती है और आपको लगता है कि यह आने वाले समय में शेयर की कीमतों में बदलाव का कारण बन सकती हैं। तो आप सतर्क हो जाएं क्योंकि ऐसी खबर जानबूझकर निवेशक को तक पहुंचाई जाती है ताकि वे एक जैसे ही प्रतिक्रिया दें और अंततः ऑपरेटर के हाथों शिकार हो जाए।

इस तकनीक में ऑपरेटर किसी नामी निवेशक के साथ यह सांठगांठ कर लेते हैं। उस निवेशक को अपने तरफ से पैसे देकर किसी खास शेयर को खरीदने के लिए मना लेते हैं। इन्हें देख कर बहुत सारे नए निवेशक भी उसमें निवेश करना शुरू कर देते हैं। जब कीमतें बढ़ जाती हैं तो ऑपरेटर और बड़े निवेशक अपनी पोजीशन से बाहर हो जाते हैं। इस परिस्थिति में भी छोटे ग्राहक शेयर की ऊंची कीमतों पर फंसे रह जाते हैं। इस पूरे प्रक्रिया को नेम लेंडिंग कहा जाता है।

बड़े निवेशकों के नकली नाम और उनके खरीददारी के प्रचार से।

अगर आपको महाभारत, में घटोत्कच मृत्यु की घटना पता है तो आप इसे आसानी से समझ सकते हैं।

बड़े निवेशकों के नाम से मिलते जुलते बहुत सारे लोग शेयर बाजार में निवेश करते हैं। कुछ ऑपरेटर्स इन्हीं का फायदा उठाते हैं तथा मीडिया में गलत प्रचार के तहत यह बात फैला दी जाती है कि फलाना निवेशक ने इन कंपनियों में निवेश किया है ऐसा करते हैं। छोटे निवेशक फिर से बिना सोचे समझे उन कंपनियों में निवेश करना शुरू कर देते हैं और अंत में नुकसान झेलते हैं।

अच्छी खबरें और बुरी खबरों के माध्यम से ।

आप ही सोचिए कि अगर आपको किसी शेयर से बाहर निकलना है और आपके पास पर्याप्त धन है कि आप उसकी कीमतों में हेराफेरी कर सकते हैं तो आप उस शेयर के लिए अच्छी-अच्छी बातों का प्रचार प्रसार करवाना शुरू कर देंगे जिससे कि उसकी कीमतें बढ़ जाएंगी और आप वहां से बाहर निकल जाएंगे।

इसके विपरीत भी आप करेंगे अगर आपको किसी कंपनी के शेयर्स को खरीदारी करना है तो आप उसे कम से कम कीमत पर खरीदने की कोशिश करेंगे ऐसा करने के लिए आप उस कंपनी को लेकर गलत अफवाह फैलाऐंगे और कीमतों में गिरावट के बाद आप उसे खरीद लेंगे।

आप कभी इस बात पर ध्यान दीजिएगा कि किसी खास कंपनी के बारे में एक समय अचानक से बुरी जानकारियां आने लगते हैं। तथा कुछ दिन बाद कंपनी प्रेस रिलीज जारी करके सारे आरोपों को खारिज करती है। आप समझ चुके होंगे कि इस अवधि में क्या खेल खेला गया होगा। अगर ऐसा होता है तो आप उस कंपनी में निवेश करने से बचें।

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