Fitch India Forecast: इस साल 7% रहेगी देश की ग्रोथ रेट, लेकिन अगले दो साल के लिए विकास दर अनुमान में कटौती क्यों?

एक मुद्रा को दूसरी मुद्रा में बदलने की सुविधा के बारे में

एक मुद्रा को दूसरी मुद्रा में बदलने की सुविधा से, अपने प्रॉडक्ट को ज़्यादा देशों तक पहुंचाया जा सकता है. यह खास तौर पर आपके लिए तब अहम हो सकता है, जब एक से ज़्यादा देशों में अपने प्रॉडक्ट बेचे और शिप किए जाते हैं. हालांकि, आपकी वेबसाइट पर हर देश की मुद्रा के लिए अलग प्रॉडक्ट पेज नहीं होते हैं. Merchant Center के सभी खातों में एक मुद्रा को दूसरी मुद्रा में बदलने की सुविधा अपने-आप चालू रहती है. बस वे प्रॉडक्ट और कीमतें सबमिट करें जो आपकी वेबसाइट पर इस्तेमाल की जाती हैं. इसके बाद, टूल आपके लिए विज्ञापनों में एक मुद्रा को दूसरी मुद्रा में बदले जाने का अनुमान लगा लेगा.

इस लेख में बताया गया है कि एक मुद्रा को दूसरी मुद्रा में बदलने की सुविधा कैसे काम करती है.

फ़ायदे

  • आपके प्रॉडक्ट के विज्ञापनों को आपकी वेबसाइट में बिना कोई बदलाव किए, अपने-आप दूसरे देश में दिखाती है. जिस देश में सामान बेचा जा रहा है अगर आपके पास उसकी मुद्रा स्वीकार करने की सुविधा नहीं है, तो एक मुद्रा से दूसरी मुद्रा में बदलने की सुविधा से आपको अपनी पहुंच बढ़ाने में मदद मिलती है.

एक मुद्रा से दूसरी मुद्रा में बदलने की सुविधा, आपके प्रॉडक्ट डेटा में दी गई कीमत को अपने-आप टारगेट किए गए नए देश की मुद्रा में बदल देती है. साथ ही, आपके विज्ञापनों और मुफ़्त में दिखाई जाने वाली प्रॉडक्ट लिस्टिंग में दोनों कीमतें दिखती हैं. इससे आपकी लिस्टिंग और विज्ञापन, दूसरे देशों के लोगों को भी समझ में आ जाते हैं. साथ ही, कम से कम बदलाव करके, अपनी मौजूदा वेबसाइट और लैंडिंग पेजों का इस्तेमाल करना जारी रखा जा सकता है.

अगर अपने कैंपेन में, टारगेट किए गए देश की मुद्रा से अलग मुद्रा में कीमतें दी जाती हैं, तो कीमतें अपने-आप बदल जाएंगी और स्थानीय मुद्रा में दिखेंगी.

नीति और ज़रूरी शर्तें

उपयोगकर्ताओं को आपकी मुफ़्त में दिखाई जाने वाली लिस्टिंग और विज्ञापन, उनकी मुद्रा से अलग मुद्रा में दिखते हैं. इसलिए, उन्हें लग सकता है कि वे किसी दूसरे देश की कंपनी या व्यापारी से खरीदारी कर रहे हैं. लोगों के अनुभव को एक जैसा रखने के लिए, आपको उस देश की कीमत और टैक्स से जुड़ी ज़रूरी शर्तों का पालन करना होगा जिसकी मुद्रा का इस्तेमाल आपके प्रॉडक्ट डेटा में हुआ है.

उदाहरण के लिए, अगर आपका प्रॉडक्ट डेटा अमेरिकी डॉलर में सबमिट किया गया है और आपकी वेबसाइट अमेरिकी डॉलर में शुल्क ले रही है, तो आपको अमेरिका की कीमत और टैक्स से जुड़ी ज़रूरी शर्तों का पालन करना होगा. दूसरी सभी ज़रूरी शर्तों के बारे में जानने के लिए, उस देश की स्थानीय ज़रूरी शर्तें देखें.

विदेशी मुद्रा व्यापार कैसे काम करता है

हिंदी

सबसे पहले, यह समझना जरूरी है कि विदेशी मुद्रा बाजार क्या है। विदेशी मुद्रा या विदेशी मुद्रा बाजार वह जगह है जहां एक मुद्रा का दूसरे के लिए कारोबार किया जाता है। यह दुनिया के सबसे सक्रिय रूप से कारोबार किए गए वित्तीय बाजारों में से एक है। वॉल्यूम डॉलर वैश्विक मुद्रा क्यों इतने विशाल हैं कि वे दुनिया भर के शेयर बाजारों में सभी संयुक्त लेनदेन से अधिक हैं।

विदेशी मुद्रा बाजार की एक वैश्विक पहुंच है जहां दुनिया भर से खरीदार और विक्रेता व्यापार के लिए एक साथ आते हैं। ये व्यापारी एक दूसरे के बीच सहमत मूल्य पर धन का आदान प्रदान करते हैं। इस प्रक्रिया के माध्यम से व्यक्ति, कॉर्पोरेट और देशों के केंद्रीय बैंक एक मुद्रा का दूसरे में आदान-प्रदान करते हैं। जब हम विदेश यात्रा करते हैं, तो हम सभी विदेशी देश की कुछ मुद्रा खरीदते हैं। यह अनिवार्य रूप से एक विदेशी मुद्रा लेनदेन है।

विदेशी मुद्रा व्यापार कैसे करें?

अब जब आप जानते हैं कि विदेशी मुद्रा व्यापार कैसे काम करता है, तो मुद्रा व्यापार करने के लिए तीन अलग-अलग प्रकार के विदेशी मुद्रा बाजारों को समझना आवश्यक है।

स्पॉट मार्केट:

यह एक मुद्रा जोड़ी के भौतिक आदान-प्रदान को संदर्भित करता है। एक स्पॉट लेनदेन एक ही बिंदु पर होता है – व्यापार को ‘स्पॉट’ पर बसाया जाता है। ट्रेडिंग एक संक्षिप्त अवधि के दौरान होता है। मौजूदा बाजार में, मुद्राएं मौजूदा कीमत पर खरीदी और बेची जाती है। किसी भी अन्य वस्तु की तरह, मुद्रा की कीमत आपूर्ति और मांग पर आधारित होती है। मुद्रा दरें अन्य कारकों से भी प्रभावित होती हैं जैसे ब्याज दरों, अर्थव्यवस्था की स्थिति, राजनीतिक स्थिति, दूसरों के बीच अन्य। एक स्पॉट सौदे में, एक पार्टी किसी अन्य पार्टी को एक विशेष मुद्रा की एक निश्चित राशि प्रदान करती है। बदले में, यह एक सहमत मुद्रा विनिमय दर पर दूसरी पार्टी से एक और मुद्रा की एक सहमत राशि प्राप्त करता है।

विदेशी मुद्रा व्यापार भारत में कैसे करें:

अब जब हमने मुद्रा व्यापार की मूल बातें देखी हैं, तो हम भारत में मुद्रा व्यापार करने के तरीके के बारे में और बात करेंगे।

भारत में, बीएसई और एनएसई मुद्रा वायदा और विकल्पों में व्यापार करने की पेशकश करते हैं। यू एस डॉलर /भारतीय रुपया सबसे अधिक कारोबार वाली मुद्रा जोड़ी है। हालांकि, जब मुद्रा व्यापार की बात आती है तो अन्य अनुबंध भी लोकप्रिय हो रहे हैं। यदि आप एक व्यापारी जो मुद्रा बदलावों पर एक स्थान लेना चाहता है, तो आप मुद्रा वायदा में व्यापार कर सकते हैं। मान लीजिए कि आप उम्मीद करते हैं कि अमेरिकी डॉलर जल्द ही भारतीय रुपए मुकाबले बढ़ जाएगा । आप तो अमरीकी डालर/ भारतीय रुपया वायदा खरीद सकते हैं। दूसरी ओर, यदि आप उम्मीद करते हैं कि अमेरिकी डॉलर के मुकाबले INR मजबूत होगा, तो आप यू एस डॉलर /भारतीय रुपया वायदा बेच सकते हैं।

हालांकि, यह समझने की जरूरत है कि विदेशी मुद्रा व्यापार हर किसी के लिए नहीं है। यह उच्च स्तर के जोखिम के साथ आता है। विदेशी मुद्रा में व्यापार करने से पहले, अपने जोखिम की भूख को जानना आवश्यक है और इसमें आवश्यक स्तर का ज्ञान और अनुभव भी होना चाहिए। विदेशी मुद्रा में व्यापार करते समय, आपको पता होना चाहिए कि कम से कम शुरुआत में पैसे खोने का एक अच्छा डर बना रहता है।

रुपया इतना क्यों गिर रहा?: SBI चेयरमैन ने बताई वजह, बोले- डॉलर के मुकाबले हमसे बेहतर सिर्फ दो देशों की करेंसी

भारतीय स्टेट बैंक के चेयरमैन दिनेश खारा

रुपये की गिरावट पर बोलते हुए भारतीय स्टेट बैंक के अध्यक्ष दिनेश खारा ने कहा कि डॉलर सूचकांक के मजबूत होने के कारण भारतीय रुपया अनिवार्य रूप से कमजोर हुआ है लेकिन अन्य उभरती अर्थव्यवस्थाओं की मुद्राओं की तुलना में इसकी पकड़ अच्छी है। ग्लोबल मार्केट में मजबूती और कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट के बीच शुक्रवार को रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 82.19 पर बंद हुआ।

खारा ने कहा कि भारतीय रुपया काफी अच्छा कर रहा है। उन्होंने कहा, "हमसे बेहतर केवल इंडोनेशिया और ब्राजील हैं। जो आम तौर पर एक कमोडिटी आधारित अर्थव्यवस्था हैं। इसलिए केवल दो मुद्राएं हैं जिन्होंने हमसे बेहतर प्रदर्शन किया।"

विस्तार

रुपये की गिरावट पर बोलते हुए भारतीय स्टेट बैंक के अध्यक्ष दिनेश खारा ने कहा कि डॉलर सूचकांक के मजबूत होने के कारण भारतीय रुपया अनिवार्य रूप से कमजोर हुआ है लेकिन अन्य उभरती अर्थव्यवस्थाओं की मुद्राओं की तुलना में इसकी पकड़ अच्छी है। ग्लोबल मार्केट में मजबूती और कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट के बीच शुक्रवार को रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 82.19 पर बंद हुआ।

खारा ने कहा कि भारतीय रुपया काफी अच्छा कर रहा है। उन्होंने कहा, "हमसे बेहतर केवल इंडोनेशिया और ब्राजील हैं। जो आम तौर पर एक कमोडिटी आधारित अर्थव्यवस्था हैं। इसलिए केवल दो मुद्राएं हैं जिन्होंने हमसे बेहतर प्रदर्शन किया।"

उन्होंने कहा, "रुपये में कमजोरी का मुख्य कारण अनिवार्य रूप से डॉलर इंडेक्स का मजबूत होना है।

भारतीय स्टेट बैंक के अध्यक्ष दिनेश खारा ने कहा कि वैश्विक मंदी जिसकी अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक की ओर से आशंका जताई डॉलर वैश्विक मुद्रा क्यों जा रही है, भारत में अन्य देशों की तुलना में अधिक असर नहीं छोड़ेगा।

क्यों आती है रुपये में कमजोरी, डॉलर से ही क्यों होती है तुलना

क्यों आती है रुपये में कमजोरी, डॉलर से ही क्यों होती है तुलना

Dollar Vs Rupee: रुपये में कमजोरी कई वजह से होती है। इसका सबसे आम कारण है डॉलर की डिमांड बढ़ जाना। अंतरराष्ट्रीय बाजार में होने वाली किसी भी उथल-पुथल से निवेशक घबराकर डॉलर खरीदने लगते हैं। ऐसे में डॉलर की मांग बढ़ जाती है और बाकी मुद्राओं में गिरावट शुरू हो जाती है। शेयर बाजार की उथल-पुथल का भी रुपये की कीमत पर असर होता है।

रुपये की तुलना डॉलर से ही क्यों

वैश्विक स्तर पर अधिकांश मुद्राओं की तुलना डॉलर से होती है। रुपये की डॉलर से ही तुलना क्यों होती है? इस सवाल का जवाब छिपा है द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान हुए ‘ब्रेटन वुड्स एग्रीमेंट’ में। इस समझौते में न्यूट्रल ग्लोबल करेंसी बनाने का प्रस्ताव रखा गया था।

Dollar Index Explained : डॉलर इंडेक्स का क्या है मतलब, इस पर क्यों नजर रखती है सारी दुनिया?

Dollar Index Explained : डॉलर इंडेक्स का क्या है मतलब, इस पर क्यों नजर रखती है सारी दुनिया?

डॉलर इंडेक्स में भले ही 6 करेंसी शामिल हों, लेकिन इसकी हर हलचल पर सारी दुनिया की नजर रहती है. (File Photo)

What is US Dollar Index and डॉलर वैश्विक मुद्रा क्यों Why it is Important : रुपये में मजबूती की खबर हो या गिरावट की, ब्रिटिश पौंड अचानक कमजोर पड़ने लगे या डॉलर वैश्विक मुद्रा क्यों रूस और चीन की करेंसी में उथल-पुथल मची हो, करेंसी मार्केट से जुड़ी तमाम खबरों में डॉलर इंडेक्स का जिक्र जरूर होता डॉलर वैश्विक मुद्रा क्यों है. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा बाजार की हलचल से जुड़ी खबरों में तो रेफरेंस के लिए डॉलर इंडेक्स का नाम हमेशा ही होता है. ऐसे में मन में यह सवाल उठना लाज़मी है कि करेंसी मार्केट से जुड़ी खबरों में इस इंडेक्स को इतनी अहमियत क्यों दी जाती है? इस सवाल का जवाब जानने के लिए सबसे पहले ये जानना जरूरी है कि डॉलर इंडेक्स आखिर है क्या?

डॉलर इंडेक्स क्या है?

डॉलर इंडेक्स दुनिया की 6 प्रमुख करेंसी के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की मजबूती या कमजोरी का संकेत देने वाला इंडेक्स है. इस इंडेक्स में उन देशों की मुद्राओं को शामिल किया गया है, जो अमेरिका के सबसे प्रमुख ट्रे़डिंग पार्टनर हैं. इस इंडेक्स शामिल 6 मुद्राएं हैं – यूरो, जापानी येन, कनाडाई डॉलर, ब्रिटिश पाउंड, स्वीडिश क्रोना और स्विस फ्रैंक. इन सभी करेंसी को उनकी अहमियत के हिसाब से अलग-अलग वेटेज दिया गया है. डॉलर इंडेक्स जितना ऊपर जाता है, डॉलर को उतना मजबूत माना जाता है, जबकि इसमें गिरावट का मतलब ये है कि अमेरिकी करेंसी दूसरों के मुकाबले कमजोर पड़ रही है.

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डॉलर इंडेक्स में किस करेंसी का कितना वेटेज?

डॉलर इंडेक्स पर हर करेंसी के एक्सचेंज रेट का असर अलग-अलग अनुपात में पड़ता है. इसमें सबसे ज्यादा वेटेज यूरो का है और सबसे कम स्विस फ्रैंक का.

  • यूरो : 57.6%
  • जापानी येन : 13.6%
  • कैनेडियन डॉलर : 9.1%
  • ब्रिटिश पाउंड : 11.9%
  • स्वीडिश क्रोना : 4.2%
  • स्विस फ्रैंक : 3.6%

हर करेंसी के अलग-अलग वेटेज का मतलब ये है कि इंडेक्स में जिस करेंसी का वज़न जितना अधिक होगा, उसमें बदलाव का इंडेक्स पर उतना ही ज्यादा असर पड़ेगा. जाहिर है कि यूरो में उतार-चढ़ाव आने पर डॉलर इंडेक्स पर सबसे ज्यादा असर पड़ता है.

डॉलर इंडेक्स का इतिहास

डॉलर इंडेक्स की शुरुआत अमेरिका के सेंट्रल बैंक यूएस फेडरल रिजर्व ने 1973 में की थी और तब इसका बेस 100 था. तब से अब तक इस इंडेक्स में सिर्फ एक बार बदलाव हुआ है, जब जर्मन मार्क, फ्रेंच फ्रैंक, इटालियन लीरा, डच गिल्डर और बेल्जियन फ्रैंक को हटाकर इन सबकी की जगह यूरो को शामिल किया गया था. अपने इतने वर्षों के इतिहास में डॉलर इंडेक्स आमतौर पर ज्यादातर समय 90 से 110 के बीच रहा है, लेकिन 1984 में यह बढ़कर 165 तक चला गया था, जो डॉलर इंडेक्स का अब तक का सबसे ऊंचा स्तर है. वहीं इसका सबसे निचला स्तर 70 है, जो 2007 में देखने को मिला था.

डॉलर इंडेक्स में भले ही सिर्फ 6 करेंसी शामिल हों, लेकिन इस पर दुनिया के सभी देशों में नज़र रखी जाती है. ऐसा इसलिए क्योंकि अमेरिकी डॉलर अंतरराष्ट्रीय कारोबार में दुनिया की सबसे महत्वपूर्ण करेंसी है. न सिर्फ दुनिया में सबसे ज्यादा इंटरनेशनल ट्रेड डॉलर में होता है, बल्कि तमाम देशों की सरकारों के विदेशी मुद्रा भंडार में भी डॉलर सबसे प्रमुख करेंसी है. यूएस फेड के आंकड़ों के मुताबिक 1999 से 2019 के दौरान अमेरिकी महाद्वीप का 96 फीसदी ट्रेड डॉलर में हुआ, जबकि एशिया-पैसिफिक रीजन में यह शेयर 74 फीसदी और बाकी दुनिया में 79 फीसदी रहा. सिर्फ यूरोप ही ऐसा ज़ोन है, जहां सबसे ज्यादा अंतरराष्ट्रीय व्यापार यूरो में होता है. यूएस फेड की वेबसाइट के मुताबिक 2021 में दुनिया के तमाम देशों में घोषित विदेशी मुद्रा भंडार का 60 फीसदी हिस्सा अकेले अमेरिकी डॉलर का था. जाहिर है, इतनी महत्वपूर्ण करेंसी में होने वाला हर उतार-चढ़ाव दुनिया भर के सभी देशों पर असर डालता है और इसीलिए इसकी हर हलचल पर सारी दुनिया की नजर रहती है.

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