मुकेश अंबानी और रिलायंस ने शेयर खरीद-बिक्री में शेयर बाजार में हेराफेरी का मामला की हेराफेरी, सेबी ने ठोका 40 करोड़ का जुर्माना
सेबी ने पाया कि शेयरों के दाम प्रभावित करने के लिए यह खरीद-बिक्री गलत तरीके से की गई थी, रिलायंस पेट्रोलियम का 2009 में रिलायंस इंडस्ट्रीज में विलय कर दिया गया था..
जनज्वार। सेबी ने देश के सबसे अमीर उद्योगपति मुकेश अंबानी और उनकी पूर्ववर्ती कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज शेयर बाजार में हेराफेरी का मामला लिमिटेड पर 40 करोड़ का जुर्माना ठोका है। यह जुर्माना नवंबर 2007 में पूर्ववर्ती रिलायंस पेट्रोलियम लिमिटेड के शेयर बाजार में हेराफेरी का मामला शेयर कारोबार में कथित गड़बड़ी को लेकर ठोका गया है।
शेयर बाजार को रेगुलेट करने वाली संस्था सेबी ने देश की सबसे बड़ी कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज और इसके चेयरमैन मुकेश अंबानी पर 40 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया है। रिलायंस इंडस्ट्रीज पर 25 करोड़ और अंबानी पर 15 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया गया है।
मामला रिलायंस पेट्रोलियम के शेयरों की ट्रेडिंग से जुड़ा है। इसी मामले में नई मुंबई एसईजेड प्राइवेट लिमिटेड पर 20 करोड़ और मुंबई एसईजेड लिमिटेड पर 10 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया गया है।
जानकारी के अनुसार रिलायंस पेट्रोलियम पहले अलग लिस्टेड कंपनी थी। मार्च 2007 में रिलायंस इंडस्ट्रीज ने रिलायंस पेट्रोलियम के 4.1 प्रतिशत शेयर बेचने का ऐलान किया था। कंपनी के शेयर भाव गिरने लगे तो नवंबर 2007 में रिलायंस पेट्रोलियम के शेयर खरीदे-बेचे गए।
सेबी ने जांच में पाया कि शेयरों के दाम प्रभावित करने के लिए यह खरीद-बिक्री गलत तरीके से की गई थी। गौरतलब है कि रिलायंस पेट्रोलियम का 2009 में रिलायंस इंडस्ट्रीज में विलय कर दिया गया था।
सेबी ने अपने 95 पन्नों के ऑर्डर में कहा है कि शेयरों की कीमत में किसी भी तरह के मैनिपुलेशन से बाजार में निवेशकों का भरोसा टूटता है, क्योंकि इस तरह के मैनिपुलेशन से निवेशकों को नुकसान होता है। सेबी के अनुसार इस मामले में आम निवेशकों को यह नहीं मालूम था कि शेयरों की इस खरीद-बिक्री के पीछे रिलायंस इंडस्ट्रीज थी।
सेबी ने अपने आदेश में कहा है कि यह खरीद-बिक्री गलत तरीके से की गई, जिसका असर रिलायंस पेट्रोलियम के शेयरों पर हुआ। इससे आम निवेशक नुकसान में रहे। सेबी ने इससे पहले 24 मार्च 2017 को रिलायंस इंड्स्ट्रीज और 12 प्रमोटर्स को 447 करोड़ रुपए जमा करने को कहा था। साथ ही उनके शेयर ट्रेडिंग करने पर रोक लगा दी थी।
कंपनी ने इसके खिलाफ सिक्युरिटीज अपीलेट ट्रिब्यूनल में अपील की थी। लेकिन नवंबर 2020 में ट्रिब्यूनल ने सेबी के फैसले को सही ठहराते हुए कंपनी की अपील खारिज कर दी थी। तब रिलायंस इंडस्ट्रीज ने कहा था कि वह ट्रिब्यूनल के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी।
ट्रिब्यूनल के फैसले के बाद स्टॉक एक्सचेंज को दी जानकारी में रिलायंस इंड्स्ट्रीज ने कहा था कि शेयरों शेयर बाजार में हेराफेरी का मामला की ट्रेडिंग में किसी भी नियम का उल्लंघन नहीं किया गया है।
चन्दामामा के पूर्व मालिकों ने की 1000 करोड़ की हेराफेरी, SEBI ने किया शेयर बाजार से बैन
सिक्योरिटी एंड एक्सेचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) ने मासिक पत्रिका चंदामामा पर बड़ा एक्शन लिया है। बच्चों की पसंदीदा पत्रिका पर करीब 1000 करोड़ (125 मिलियन डॉलर) हेराफेरी का शेयर बाजार में हेराफेरी का मामला आरोप लगा है। 19 दिसंबर को सेबी की तरफ से जारी आदेश में मैगजीन के पूर्व मालिकों को फॉरेन करेंसी कन्वर्टिबल बॉन्ड्स (FCCBs) के जरिए गए 1000 करोड़ रुपये की हेराफेरी करने के आरोप में शेयर बाजार से 1 साल के लिए बैन कर दिया है।
सेबी ने किरण कुलकर्णी, जियोडेसिक के पूर्व प्रबंध निदेशक, पंकज कुमार, पूर्व अध्यक्ष और प्रशांत मुलेकर, कंपनी के एक ईसी-निदेशक और अनुपालन अधिकारी, को 2008 में विदेशी मुद्रा परिवर्तनीय बॉन्ड के माध्यम से जुटाए गए 125 मिलियन डॉलर वापस करने में विफल रहने के लिए प्रतिबंधित कर दिया।
चन्दामामा बच्चों व युवाओं पर केंद्रित एक लोकप्रिय मासिक पत्रिका है जिसमें भारतीय लोककथाओं, पौराणिक तथा ऐतिहासिक घटनाओं पर आधारित कहानियाँ प्रकाशित होती हैं। 2007 में, जियोडेसिक ने चंदामामा कॉमिक्स के स्वामित्व वाली कंपनी में 94% हिस्सेदारी खरीदने के लिए 10 करोड़ रुपये का भुगतान किया था और जियोडेसिक की सहायक कंपनियों में से एक के रूप में सूचीबद्ध है। चंदामामा इंडिया लिमिटेड जियोडेसिक लिमिटेड की 5 सब्सिडियरी कंपनियों में से एक थी।
क्या है मामला ?
2016 में सेबी को बॉम्बे हाई कोर्ट से जियोडेसिक के निदेशकों और इसके कर सलाहकार दिनेश जाजोदिया के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश मिला, जिसमें उनकी संपत्तियों की कुर्की भी शामिल थी। तब तक सेबी कंपनी के कुछ नियमों का पालन न करने के लिए पहले से ही जांच कर रहा था।
सेबी द्वारा आदेशित एक फोरेंसिक ऑडिट में पाया गया कि विभिन्न शेल कंपनियों, झूठे बिलों और अंतर-कॉर्पोरेट ऋणों के माध्यम से जो कभी वापस नहीं किए गए थे, जियोडेसिक के शीर्ष अधिकारियों ने एफसीसीबी के माध्यम से जुटाई गई पूरी राशि को गबन कर लिया। पैसे का कुछ हिस्सा जाजोदिया को भी भेजा गया, जिसने आरबीआई के नियमों का उल्लंघन किया। कंपनी ने देश से बाहर पैसा ले जाते समय कई अन्य आरबीआई मानदंडों का भी उल्लंघन किया था जो कभी वापस नहीं आया।
मुंबई के सायन और बोरिवली इलाकों में आयकर विभाग की छापेमारी
मुंबई के सायन और बोरिवली इलाकों में आयकर विभाग की छापेमारी शुरू है। करोड़ों रुपए की पॉलिटिकल फंडिंग और हेराफेरी के मामले में आईटी विभाग की छापेमारी शुरू है। सायन इलाके में एक झोपड़पट्टी पर भी रेड हुई है। इनके अलावा महाराष्ट्र के औरंगाबाद में भी लगातार दूसरे दिन छापेमारी शुरू है। व्यापारी सतीश व्यास नाम के घर, कार्यालय और होटल पर छापेमारी की जा रही है। चार ठिकानों में करीब 56 अधिकारी मिलकर छापेमारी कर रहे हैं। शेयर बाजार में हेराफेरी का मामला राजस्थान के स्कूलों में मिड डे मील से जुड़े स्कैम का लिंक औरंगाबाद से माना जा रहा है। इनकम टैक्स विभाग ने देश के 110 स्थानों में छापेमारियां की हैं। औरंगाबाद के व्यापारी सतीश व्यास को राजस्थान के स्कूलों में मिड डे मील सप्लाई करने का कॉन्ट्रैक्ट मिला हुआ है। उन्हें राजस्थान के अनाज घोटाले से संबंधित माना जा रहा है। राजस्थान के इस घोटाले का मामला देश के कई ठिकानों से जुड़ा हुआ पाया जा रहा है। औरंगाबाद के सतीश व्यास के घर से आयकर विभाग के अधिकारियों को कई अहम दस्तावेज मिलने की बात सामने आ रही है।
#HIMUDA के टेंडर प्रक्रिया में हेराफेरी मामलाः #High Courtने पांच सदस्यीय कमेटी को सौंपा जिम्मा
रिपोर्ट चार सप्ताह में अदालत के समक्ष सील्ड कवर में दायर करने के आदेश भी दिए
Update: Wednesday, December 2, 2020 @ 6:14 PM
शिमला। हिमाचल हाईकोर्ट (Himachal High Court) ने हिमुडा (#HIMUDA) द्वारा टेंडर प्रक्रिया में बरती जा रही धांधलियों की जांच का जिम्मा पांच सदस्यीय कमेटी को सौंपा है। जांच कमेटी को अपनी रिपोर्ट आगामी चार सप्ताह के भीतर अदालत के समक्ष सील्ड कवर में दायर करने के आदेश भी दिए गए हैं। बता दें कि इस मामले में हिमुडा ने अपने स्तर पर ही जाँच कमेटी गठित की थी। हाईकोर्ट ने हिमुडा द्वारा गठित की गई जांच कमेटी से असहमति जताते हुए हिमुडा के मुख्य कार्यकारी अधिकारी की अध्यक्षता वाली चार सदसीय कमेटी का गठन किया। इस कमेटी में भ्रष्टाचार निरोधक एवं सतर्कता विभाग (Anti Corruption and Vigilance Department) के महानिरीक्षक के साथ लोक निर्माण विभाग और जल शक्ति विभाग के प्रमुख अभियंताओ को बतौर सदस्य बनाया गया है। गौर रहे कि 45 करोड़ रूपये की लागत से शिमला के विकासनगर में हिमुडा द्वारा प्रस्तावित कमर्शियल कम्प्लेक्स बनाए जाने के लिए निविदा प्रक्रिया में अनियमितताएं बरते जाने पर हाईकोर्ट ने ये कड़ा संज्ञान लिया है। आदेश में हिमुडा की कार्यप्रणाली पर कड़ी टिप्पणी करते हुए न्यायाधीश संदीप शर्मा ने कहा कि हिमुडा में सेवारत उच्च पदाधिकारियो द्वारा अपने चेहतों को फायदा पहुँचाने के लिए निविदा आवंटन में हेराफेरी और अनियमितताएं बरती हैं। जिससे प्रदेश के राजस्व को नुक्सान हुआ है।
क्या है पूरा मामला
अदालत से तथ्य और मामले से जुडी जानकारी छुपाने पर न्यायाधीश संदीप शर्मा ने हिमुडा में सेवारत उच्च पदाधिकारियो की कार्यप्रणाली पर भी तल्ख टिप्पणी दर्ज की है। अदालत ने पाया कि वर्ष 2017 में हिमुडा द्वारा 45 करोड़ रूपये की लागत से शिमला के विकासनगर में प्रस्तावित कमर्शियल कम्प्लेक्स (Commercial complex) बनाए जाने के लिए ऑनलाइन निविदाये आमंत्रित की थी। इससे पहले भी हिमुडा ने शिमला के विकासनगर में हिमुडा द्वारा प्रस्तावित कमर्शियल कम्प्लेक्स बनाए जाने के लिए निविदाये अंतरित की थी। लेकिन पहले निविदा राशी लगभग 85 करोड़ रूपये थी। हिमुडा ने इस निविदा पर कोई कदम नहीं उठाया और इसे निरस्त करते हुए दोबारा से ऑनलाइन निविदाये आमंत्रित की। इस बार हिमुडा ने अपने चहेतों को फायदा पहुंचाने के लिए निविदा में कुछ जरुरी शर्ते हटा दी और वासु कंस्ट्रक्शन कम्पनी को कार्य आबंटित कर दिया।
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प्रार्थी दलीप सिंह राठोर और अन्य द्वारा दायर याचिका की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने इस मामले से जुड़े रिकॉर्ड को तलब किया था। साथ ही अदालत ने हिमुडा के अधीक्षण अभियंता कि अध्यक्षता वाली कमेटी की रिपोर्ट का भी अवलोकन किया।टेंडर प्रक्रिया की जाँच पर कमेटी ने रिपोर्ट दी थी कि इस टेंडर प्रक्रिया में धांधली हुई है। और अयोग्य उम्मीदवार को टेंडर आवंटित किया गया है। हिमुडा के उच्च अधिकारी ने अपने शपथपत्र के माध्यम से अदालत को बताया कि टेंडर का आवंटन हिमुडा के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के कहने पर किया गया। साथ ही हिमुडा के अधीक्षण अभियंता ने अदालत को शपथपत्र के माध्यम से बताया कि उसने इस मामले में पांच अलग अलग रिपोर्ट दी है, लेकिन अदालत के समक्ष किसी भी रिपोर्ट को पेश नहीं किया गया।मामले से जुड़े तमाम रिकॉर्ड का अवलोकन करने के बाद अदालत ने पाया कि हिमुडा ने अपना पक्ष रखते समय अदालत से जरुरी जानकारी छुपाई है। न्यायाधीश संदीप शर्मा ने अपने आदेशो में स्पष्ट किया कि हिमुडा द्वारा टेंडर प्रक्रिया में की गई धांधलियो को उजागर करने के लिए कमेटी का गठन किया जाना जरुरी है ताकि आगामी टेंडर प्रक्रिया (Tender process) में धांधलियों को रोका जा सके। मामले कि आगामी सुनवाई 29 दिसंबर को निर्धारित की गई है।
अशनीर ग्रोवर की पत्नी पर 420 का केस:भारतपे ने 80 करोड़ की धोखाधड़ी का आरोप लगाया
भारतपे ने अपने पूर्व मैनेजिंग डायरेक्टर अशनीर ग्रोवर की पत्नी और पूर्व नियंत्रण प्रमुख माधुरी जैन के खिलाफ धारा 420 के तहत मामला दर्ज किया है। मिंट ने इसे लेकर एक रिपोर्ट पब्लिश की है। रिपोर्ट के मुताबिक इस मामले की सुनवाई आज दिल्ली हाईकोर्ट में होगी। BharatPe के बोर्ड ने फंड की हेराफेरी के कारण अशनीर ग्रोवर और उनकी पत्नी दोनों को बाहर कर दिया गया था जिसके बाद ये मामला दर्ज किया गया है।
80 करोड़ रुपए से ज्यादा की धोखाधड़ी
मिंट की रिपोर्ट में मामले से जुड़े एक व्यक्ति के हवाले से कहा गया है कि भारतपे के बोर्ड की जांच अब पूरी हो गई है। ऑडिट हो गया है, और पूरी रिपोर्ट तैयार हो गई है। रिपोर्ट के आधार पर, भारतपे ने 80 करोड़ रुपए से ज्यादा की धोखाधड़ी के लिए आपराधिक मामला दर्ज किया है। भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 420 धोखाधड़ी से जुड़ी है। अपराध के लिए अधिकतम सजा 7 साल तक की कैद और जुर्माना है।
ग्रोवर को SIAC से मिली थी हार
इससे पहले ग्रोवर ने सिंगापुर इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन सेंटर (SIAC) में केस दायर किया था। ग्रोवर ने दावा किया था कि उनके खिलाफ BharatPe की जांच अवैध है। ग्रोवर का प्रतिनिधित्व करंजावाला एंड कंपनी ने किया गया था, जबकि वरिष्ठ वकील अभिषेक सिंघवी ने भारतपे का प्रतिनिधित्व किया था। SIAC के फैसले के दस दिन बाद, ग्रोवर को BharatPe के सभी पदों से बर्खास्त कर दिया गया था।
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