जब शेयर मार्केट गिरता है तो कहां जाता है आपका पैसा? यहां समझिए इसका गणित
Share market: जब शेयर मार्केट डाउन होता है, तो निवेशकों का पैसा डूबकर किसके पास जाता है? क्या निवेशकों के नुकसान से किसी को मुनाफा होता है. आइए इसका जवाब बताते हैं.
- शेयर मार्केट डिमांड और सप्लाई के फॉर्मूले पर काम करता है
- अगर कंपनी अच्छा परफॉर्म करेगी तो उसके शेयर के दाम बढ़ेंगे
- राजनीतिक घटनाओं का भी शेयर मार्केट पर पड़ता है असर
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नई दिल्ली: आपने शेयर मार्केट (Share Market) से जुड़ी तमाम खबरें सुनी होंगी. जिसमें शेयर मार्केट में गिरावट और बढ़त जैसी खबरें आम हैं. लेकिन कभी आपने सोचा है कि जब शेयर मार्केट डाउन होता है, तो निवेशकों का पैसा डूबकर किसके पास जाता है? क्या निवेशकों के नुकसान से किसी को मुनाफा होता है. इस सवाल का जवाब है नहीं. आपको बता दें कि शेयर मार्केट में डूबा हुआ पैसा गायब हो जाता है. आइए इसको समझाते हैं.
कंपनी के भविष्य को परख कर करते हैं निवेश
आपको पता होगा कि कंपनी शेयर मार्केट में उतरती हैं. इन कंपनियों के शेयरों पर निवेशक पैसा शेयर मार्केट कैसे काम करता है लगाते हैं. कंपनी के भविष्य को परख कर ही निवेशक और विश्लेषक शेयरों में निवेश करते हैं. जब कोई कंपनी अच्छा प्रदर्शन करती है, तो उसके शेयरों को लोग ज्यादा खरीदते हैं और उसकी डिमांड बढ़ जाती है. ऐसे ही जब किसी कंपनी के बारे में ये अनुमान लगाया जाए कि भविष्य में उसका मुनाफा कम होगा, तो कंपनी के शेयर गिर जाते हैं.
डिमांड और सप्लाई के फॉर्मूले पर काम करता है शेयर
शेयर मार्केट डिमांड और सप्लाई के फॉर्मूले पर काम करता है. लिहाजा दोनों ही परिस्थितियों में शेयरों का मूल्य घटता या बढ़ता जाता है. इस बात को ऐसे लसमझिए कि किसी कंपनी का शेयर आज 100 रुपये का है, लेकिन कल ये घट कर 80 रुपये का हो गया. ऐसे में निवेशक को सीधे तौर पर घाटा हुआ. वहीं जिसने 80 रुपये में शेयर खरीदा उसको भी कोई फायदा नहीं हुआ. लेकिन अगर फिर से ये शेयर 100 रुपये का हो जाता है, तब दूसरे निवेशक को फायदा होगा.
कैसे काम करता है शेयर बाजार
मान लीजिए किसी के पास एक अच्छा बिजनेस आइडिया है. लेकिन उसे जमीन पर उतारने के लिए पैसा नहीं है. वो किसी निवेशक के पास गया लेकिन बात नहीं बनी और ज्यादा पैसे की जरूरत है. ऐसे में एक कंपनी बनाई जाएगी. वो कंपनी सेबी से संपर्क कर शेयर बाजार में उतरने की बात करती है. कागजी कार्रवाई पूरा करती है और फिर शेयर बाजार का खेल शुरू होता है. शेयर बाजार में आने के लिए नई कंपनी होना जरूरी नहीं है. पुरानी कंपनियां भी शेयर बाजार में आ सकती हैं.
शेयर का मतलब हिस्सा है. इसका मतलब जो कंपनियां शेयर बाजार या स्टॉक मार्केट में लिस्टेड होती हैं उनकी हिस्सेदारी बंटी रहती है. स्टॉक मार्केट में आने के लिए सेबी, बीएसई और एनएसई (नेशनल स्टॉक एक्सचेंज) में रजिस्टर करवाना होता है. जिस कंपनी में कोई भी निवेशक शेयर खरीदता है वो उस कंपनी में हिस्सेदार हो जाता है. ये हिस्सेदारी खरीदे गए शेयरों की संख्या पर निर्भर करती है. शेयर खरीदने और बेचने का काम ब्रोकर्स यानी दलाल करते हैं. कंपनी और शेयरधारकों के बीच सबसे जरूरी कड़ी का काम ब्रोकर्स ही करते हैं.
निफ्टी और सेंसेक्स कैसे तय होते हैं?
इन दोनों सूचकाकों को तय करने वाला सबसे बड़ा फैक्टर है कंपनी का प्रदर्शन. अगर कंपनी अच्छा परफॉर्म करेगी तो लोग उसके शेयर खरीदना चाहेंगे और शेयर की मांग बढ़ने से उसके दाम बढ़ेंगे. अगर कंपनी का प्रदर्शन खराब रहेगा तो लोग शेयर बेचना शुरू कर देंगे और शेयर की कीमतें गिरने लगती हैं.
इसके अलावा कई दूसरी चीजें हैं जिनसे निफ्टी और सेंसेक्स पर असर पड़ता है. मसलन भारत जैसे कृषि प्रधान देश में बारिश अच्छी या खराब होने का असर भी शेयर मार्केट पर पड़ता है. खराब बारिश से बाजार में पैसा कम आएगा और मांग घटेगी. ऐसे में शेयर बाजार भी गिरता है. हर राजनीतिक घटना का असर भी शेयर बाजार पर पड़ता है. चीन और अमेरिका के कारोबारी युद्ध से लेकर ईरान-अमेरिका तनाव का असर भी शेयर बाजार पर पड़ता है. इन सब चीजों से व्यापार प्रभावित होते हैं.
Share Market: जानें कैसे काम करता है शेयर मार्केट? रातों रात कर देता है मालामाल
Share Market Update : स्टॉक मार्केट को लेकर आई एक फिल्म स्कैम 1992 में एक डायलॉग है कि. शेयर मार्केट पैसों का इतना गहरा कुआं है, जिससे पूरी दुनिया की प्यास बुझ सकती है. यही वजह है कि भारत समेत दुनिया के लाखों-करोड़ों लोग शेयर मार्केट में अपना पैसा लगाते हैं. जिसमें कई प्रोफिट कमा ले जाते हैं तो कइयों को नुकसान उठाना पड़ता है. शेयर मार्केट पर पैनी नजर रखने वालों कि मानें तो अधिकांश लोग बिना जानकारी के ही शेयर मार्केट में ट्रेडिंग करने उतर जाते हैं, जिसका खामियाजा उनको अपने पैसे डुबोकर चुकाना पड़ता है. ऐसे में बेहतर है कि स्टॉक मार्केट के सागर में उतरने से पहले हमें तैराकी की अच्छी समझ हो. इसलिए आज हम आपके लिए कुछ ऐसी बातें लेकर आए हैं, जिससे शेयर मार्केट से जुड़ी बारीकियां सीखने में आपको मदद मिलेगी.
शेयर मार्केट में दो तरीके से पैसा निवेश किया जाता है एक म्युचअल फंड और दूसरा शेयर मार्केट कैसे काम करता है कंपनी के शेयर खरीदकर. पहले वाले में बाजार खुद आपके पैसे को मैनेज करता है और दूसरे में आपका मुनाफा कंपनी के फायदे के साथ आगे बढ़ता है. भारत में केवल 3.5 प्रतिशत लोग ही शेयर मार्केट में अपना पैसा लगाते हैं, जबकि अमेरिका में यह प्रतिशत 55 तक पहुंचता है. भारत की अगर बात करें तो यहां शेयर मार्केट में पैसा न लगाने की कुछ शेयर मार्केट कैसे काम करता है मुख्य वजह हैं. जैसे कि-
1- रिस्क लेने की क्षमता में कमी
2- जानकारी का अभाव
3- घोटाले और फ्रॉड
4- शेयर मार्केट को लेकर कोई कोर्स आदि का न होना
इसके अलावा भारत में कुछ लोग ऐसे भी हैं, जिन्होंने शेयर मार्केट में अपनी किस्मत आजमाई और मालामाल हो गए.
जैसे कि राकेश झुनझुनवाला, रामदेव अग्रवाल,विजय केडिया और राधाकृष्ण दमानी आदि.
लेकिन एक्सपर्ट्स की मानें तो कुछ ऐसे टिप्स हैं, शेयर मार्केट कैसे काम करता है जिनको अपनाकर कोई भी शेयर मार्केट की अच्छी समझ रख सकता है-
1. बिजनेस साइकल- किसी भी कंपनी का शेयर खरीदने से पहले इस बात का जरूर ख्याल रखें कि कंपनी कम से कम 11 साल पुरानी होनी चाहिए.
2. ग्रोथ- चेक करें कि कंपनी ग्रोथ कैसी है. क्या कंपनी देश की जीडीपी का दोगुना ग्रोथ कर रही है. अगर हां तो फिर आप उसमें पैसा लगा सकते हैं.
3. लीडरशिप- ट्रेडिंग करने से पहले यह देखना भी है कि कंपनी की लीडरशिप कैसी है. उसका मैनजमेंट कैसा है. क्योंकि अगर मैनेजमेंट में क्वालिटी होगी को प्रोडक्ट में क्वालिटी दिखेगी और इसका प्रभाव सेल कर दिखाई देगा. मतबल कंपनी ग्रोथ करेगी. इसके साथ ही कंपनी को ड्राइव कौन कर रहा मतलब कंपनी के ऑनर का ट्रैक रिकॉर्ड कैसा है आदि.
4. कर्ज की स्थिति- शेयर खरीदने से पहले यह भी जान लेना जरूरी है कि कंपनी पर कर्ज कितना है. क्योंकि कर्ज नहीं होगा तो प्रोफिट अच्छा आएगा और निवेशक को फायदा होगा. अन्यथा कंपनी के प्रोफिट का बहुत बड़ा भाग कर्ज उतारने और बाकि के खर्चों को पूरा करने में चला जाता है.
5- कंपनी के पास मालिकाना हक कितना है- कंपनी के मालिक के पास कम से कम 51 प्रतिशत शेयर होने चाहिएं. क्योंकि कंपनी अगर अपने सारे शेयर पब्लिक को बेच देगी तो कंपनी रन कैसे करेगी. इसके साथ ही ज्यादा शेयर होने पर कंपनी की लीडरशिप प्रोफिट के लिए खुद भी ज्यादा प्रयास करती है.
7- नेट प्रोफिट- कंपनी की ग्रोथ कम से कम 25 प्रतिशर हर साल के हिसाब से होनी चाहिए. मतलब अगर पिछले साल नेट प्रोफिट 100 करोड़ का था तो इस शेयर मार्केट कैसे काम करता है साल यह 125 करोड़ होना चाहिए.
8- युनिट सेल ग्रोथ- मसलन कंपनी की टोटल सेल हर साल 20 प्रतिशत के हिसाब से बढ़ रही हो. जैसे कि अगर किसी ऑटोमोबाइल कंपनी ने अगर पिछले साल 100 कारें बेचीं तो इस साल 120 कारों का बिजनेस हो. इसके साथ ही रिटर्न ऑन इक्विटी और कैपिटल इंप्लोएड पर रिटर्न आदि भी ऐसे मुख्य पहलू हैं, जिनपर गौर करना जरूरी है.
शेयर बाजार
भंडारमंडी सार्वजनिक बाजारों को संदर्भित करता है जो स्टॉक एक्सचेंज या ओवर-द-काउंटर पर व्यापार करने वाले शेयरों को जारी करने, खरीदने और बेचने के लिए मौजूद हैं। शेयर बाजार (शेयर बाजार भी कहा जाता है) पैसा निवेश करने के कई रास्ते देता है, लेकिन यह विश्लेषण के साथ किया जाना है (तकनीकी विश्लेषण ,मौलिक विश्लेषण आदि) और उसके बाद ही किसी को लेना चाहिएबुलाना कानिवेश.शेयर मार्केट कैसे काम करता है
स्टॉक, जिसे . के रूप में भी जाना जाता हैइक्विटीज, एक कंपनी में आंशिक स्वामित्व का प्रतिनिधित्व करते हैं, और शेयर बाजार एक ऐसा स्थान है जहां निवेशक ऐसी निवेश योग्य संपत्तियों के स्वामित्व को खरीद और बेच सकते हैं। एक कुशलतापूर्वक कार्यशील शेयर बाजार को आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि यह कंपनियों को शीघ्रता से उपयोग करने की क्षमता देता हैराजधानी जनता से।
स्टॉक मार्केट में कौन काम करता है?
स्टॉक मार्केट से जुड़े कई अलग-अलग खिलाड़ी हैं, जिनमें ट्रेडर, स्टॉकब्रोकर, पोर्टफोलियो मैनेजर, स्टॉक एनालिस्ट और इनवेस्टमेंट बैंकर शामिल हैं। प्रत्येक की एक अनूठी भूमिका होती है।
शेयर दलालों
स्टॉकब्रोकर लाइसेंस प्राप्त पेशेवर हैं जो निवेशकों की ओर से प्रतिभूतियां खरीदते और बेचते हैं। ब्रोकर निवेशकों की ओर से स्टॉक खरीद और बेचकर स्टॉक एक्सचेंज और निवेशकों के बीच मध्यस्थ के रूप में कार्य करते हैं।
पोर्टफोलियो प्रबंधक
ये ऐसे पेशेवर हैं जो ग्राहकों के लिए पोर्टफोलियो, या प्रतिभूतियों का संग्रह निवेश करते हैं। इन प्रबंधकों को विश्लेषकों से सिफारिशें मिलती हैं और पोर्टफोलियो के लिए खरीदने या बेचने का निर्णय लेते हैं।म्यूचुअल फंड कंपनियां,हेज फंड, और पेंशन योजनाएँ निर्णय लेने के लिए पोर्टफोलियो प्रबंधकों का उपयोग करती हैं और उनके पास मौजूद धन के लिए निवेश रणनीतियाँ निर्धारित करती हैं।
स्टॉक विश्लेषक
स्टॉक विश्लेषक अनुसंधान करते हैं और प्रतिभूतियों को खरीदने, बेचने या रखने के रूप में मूल्यांकन करते हैं। यह शोध ग्राहकों और इच्छुक पार्टियों को प्रसारित किया जाता है जो यह तय करते हैं शेयर मार्केट कैसे काम करता है कि स्टॉक खरीदना या बेचना है या नहीं।
निवेश बैंकर
निवेश बैंकर विभिन्न क्षमताओं में कंपनियों का प्रतिनिधित्व करते हैं, जैसे कि निजी कंपनियां जो आईपीओ के माध्यम से सार्वजनिक होना चाहती हैं या ऐसी कंपनियां जो लंबित विलय और अधिग्रहण में शामिल हैं।
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया लिमिटेड (NSE) मुंबई में स्थित भारत का प्रमुख स्टॉक एक्सचेंज है। NSE की स्थापना 1992 में देश में पहले डिम्युचुअलाइज्ड इलेक्ट्रॉनिक एक्सचेंज के रूप में हुई थी। एनएसई एक आधुनिक, पूरी तरह से स्वचालित स्क्रीन-आधारित इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग सिस्टम प्रदान करने वाला देश का पहला एक्सचेंज था, जो आसान ट्रेडिंग की पेशकश करता थासुविधा देश भर में फैले निवेशकों के लिए।
बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज
1875 में स्थापित, बीएसई (पूर्व में के रूप में जाना जाता था)बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज Ltd.) एशिया का पहला स्टॉक एक्सचेंज है। यह दुनिया का सबसे तेज़ स्टॉक एक्सचेंज होने का दावा करता है, जिसकी औसत व्यापार गति 6 माइक्रोसेकंड है। बीएसई अप्रैल 2018 तक 2.3 ट्रिलियन डॉलर से अधिक के कुल बाजार पूंजीकरण के साथ दुनिया का 10 वां सबसे बड़ा स्टॉक एक्सचेंज है।
आप शेयर बाजार में कैसे निवेश करते हैं?
शेयर बाजार में निवेश करना बहुत ही आसान प्रक्रिया है। आपको दो खाते खोलने होंगे- डीमैट औरट्रेडिंग खाते.
सबसे पहले, एक खोलने के लिएडीमैट खाता ऑनलाइन आपको कुछ दस्तावेजों की आवश्यकता है जैसे-
डीमैट खोलने के बाद, आप ऑनलाइन ब्रोकरों के साथ ट्रेडिंग खाता खोल सकते हैं।
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डीमैट अकाउंट क्या होता है? शेयरों को खरीदा और बेचा कैसे जाता है?
डीमैट अकाउंट एक बैंक अकाउंट के समान है. जैसे एक सेविंग अकाउंट (बचत खाता) पैसे को चोरी होने और किसी भी गड़बड़ी से बचाता है, वैसे ही एक डीमैट अकाउंट निवेशकों के लिए भी यही काम करता है.
शेयर मार्केट में निवेश ( इन्वेस्टमेंट ) शुरू करने के लिए आपको तीन अकाउंट ( खातों ) की जरूरत होती है . ये तीन अकाउंट हैं डीमैट अकाउंट , ट्रेडिंग अकाउंट और बैंक अकाउंट . हर अकाउंट का अपना एक अलग काम होता है , लेकिन ट्रांजैक्शन ( लेन – देन ) को पूरा करने के लिए तीनों एक – दूसरे पर निर्भर होते हैं . शेयर मार्केट में ट्रेडिंग के लिए ये तीन अकाउंट होने चाहिए .
डीमैट अकाउंट क्या है ?
डीमैट अकाउंट एक बैंक अकाउंट के समान है . जैसे एक सेविंग अकाउंट ( बचत खाता ) पैसे को चोरी होने और किसी भी गड़बड़ी से बचाता है , वैसे ही एक डीमैट अकाउंट निवेशकों के लिए भी यही काम करता है . डीमैट अकाउंट या डीमैटरियलाइज्ड अकाउंट इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म में शेयरों और सिक्योरिटीज को रखने की सुविधा देता है . ये अकाउंट फिजिकल शेयरों को डीमैटरियलाइज्ड फॉर्म में स्टोर ( संग्रहित ) करते हैं . फिजिकल शेयरों को इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म ( रूप ) में परिवर्तित करने की प्रक्रिया ( प्रोसेस ) को डिमैटेरियलाइजेशन कहा जाता है . जब भी ट्रेडिंग की जाती है तो इन शेयरों को डीमैट अकाउंट में क्रेडिट या डेबिट किया जाता है . डीमैट अकाउंट के प्रकार ( टाइप ) डीमैट अकाउंट खोलते समय निवेशकों को अपने प्रोफाइल के मुताबिक डीमैट अकाउंट का चुनाव सावधानी से करना चाहिए . कोई भी भारतीय मिनटों में ऑनलाइन डीमैट अकाउंट खोल सकता है . निवेशक डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट (DP) के साथ डीमैट अकाउंट खोल सकते हैं . 5 पैसा https://bit.ly/3RreGqO एक ऐसा ही प्लेटफॉर्म है जहां आप आसानी से अपना डीमैट अकाउंट खोल सकते हैं और ट्रेडिंग शुरू कर सकते हैं . डीमैट अकाउंट चार तरह के होते हैं .
1)- रेगुलर डीमैट अकाउंट एक रेगुलर डीमैट अकाउंट भारतीय निवासी निवेशकों के लिए होता है जो केवल शेयर खरीदना और बेचना चाहते हैं और सिक्योरिटीज को जमा ( डिपॉजिट ) करना चाहते हैं . जब आप शेयर बेचते हैं तो शेयर अकाउंट से डेबिट हो जाते हैं . इसी तरह जब आप शेयर खरीदेंगे तो वह आपके अकाउंट में क्रेडिट हो जाएंगे . यदि आप फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस में ट्रेडिंग कर रहे हैं तो डीमैट अकाउंट की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि इस तरह की डील के लिए स्टोरेज की कोई जरूरत नहीं होती है .
2)- बेसिक सर्विस डीमैट अकाउंट यह एक नए तरह का डीमैट अकाउंट है , जिसे बाजार नियामक ( मार्केट रेगुलेटर ) सेबी (SEBI) ने पेश किया है . छोटे निवेशकों को ध्यान में रखते हुए यह अकाउंट शुरू किया गया है . 50,000 रुपये से कम के स्टॉक और बॉन्ड रखने के लिए कोई मेंटेनेंस चार्ज ( रखरखाव शुल्क ) नहीं देना होगा . 50,000 रुपये से 2 लाख रुपये तक की सिक्योरिटी रखने पर सिर्फ 100 रुपये का चार्ज लगेगा .
3)- प्रत्यावर्तनीय डीमैट अकाउंट (Repatriable Demat Account) प्रत्यावर्तनीय डीमैट अकाउंट NRI ( अनिवासी भारतीयों ) के लिए है . इसके जरिए वे भारतीय बाजार में निवेश कर सकते हैं और विदेश में भी पैसा भेज सकते हैं . हालांकि फंड ट्रांसफर करने के लिए डीमैट अकाउंट को NRI (Non-Resident External) अकाउंट से जोड़ना होगा .
4)- गैर प्रत्यावर्तनीय डीमैट अकाउंट (Non-repatriable Demat Account) अनिवासी भारतीयों (NRI) के लिए एक गैर – प्रत्यावर्तनीय डीमैट अकाउंट भी मौजूद है . हालांकि इस अकाउंट के जरिए विदेश में पैसा ट्रांसफर नहीं किया जा सकता .
डीमैट अकाउंट के फायदे
डीमैट अकाउंट बिना किसी परेशानी के शेयरों को तेजी से ट्रांसफर करने की सुविधा देता है . शेयर या सिक्योरिटीज सर्टिफिकेट एक डीमैट अकाउंट में इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म से रखे जाते हैं . ऐसे में उनकी चोरी , जालसाजी और नुकसान होने की संभावना बहुत कम होती है . ट्रेडिंग एक्टिविटीज को आसानी से ट्रैक किया जा सकता है . डीमैट अकाउंट को कभी भी और कहीं से भी एक्सेस किया जा सकता है . बोनस स्टॉक , राइट्स इश्यू , स्प्लिट शेयर अपने आप अकाउंट में जमा हो जाते हैं .
डीमैट अकाउंट कैसे खोलें
शेयर मार्केट में ट्रेडिंग के लिए डीमैट अकाउंट खोलना अनिवार्य है . आप किसी वित्तीय संस्थान या ब्रोकर के जरिए डीमैट अकाउंट खोल सकते हैं . सबसे पहले आपको इसके लिए एक डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट (DP) को चुनना होगा . यह एक वित्तीय संस्थान , अधिकृत बैंक या ब्रोकर हो सकता है . आप उनके साथ एक डीमैट अकाउंट खोल सकते हैं . DP को ब्रोकरेज चार्ज , सालाना चार्ज और लीवरेज के आधार पर चुना जाना चाहिए . DP का चयन करने के बाद आपको अकाउंट खोलने का फॉर्म , KYC फॉर्म भरना होगा और उसे जमा करना होगा . इसके साथ आपको कुछ दस्तावेज भी देने होंगे . इनमें पैन कार्ड , रेजिडेंस प्रूफ , आईडी प्रूफ और पासपोर्ट साइज फोटो शामिल हैं .
Explainer : शेयर मार्केट में गारंटीड और हाई रिटर्न के दावे! जानिए क्या है Algo Trading और कैसे करती है काम
What is Algo Trading : एल्गो ट्रेडिंग को ऑटोमेटेड ट्रेडिंग, प्रोग्राम्ड ट्रेडिंग या ब्लैक बॉक्स ट्रेडिंग भी कहते हैं। एल्गो नाम एल्गोरिदम (Algorithm) से निकला है। यह एक कंप्यूटर प्रोग्राम के जरिए होती है, जो ट्रेड करने के लिए तय निर्देशों (एक एल्गोरिदम) को फॉलो करता है। माना जाता है कि इसमें काफी तेजी से और अधिक बार प्रोफिट जनरेट होता है।
एल्गो ट्रेडिंग क्या है, जिसमें किया जा रहा हाई रिटर्न का दावा
हाइलाइट्स
- इसे ऑटोमेटेड ट्रेडिंग, प्रोग्राम्ड ट्रेडिंग या ब्लैक बॉक्स ट्रेडिंग भी कहते हैं
- भारत में तेजी से लोकप्रिय हो रही है एल्गो ट्रेडिंग
- ट्रेडिंग एक्टिविटीज को भावनाओं से रखती है दूर
- बेस्ट पॉसिबल प्राइसेज पर पूरे होते हैं ट्रेड
1. बेस्ट पॉसिबल प्राइसेज पर ट्रेड पूरे होते हैं।
2. चाहे गए स्तरों पर ट्रेड ऑर्डर प्लेसमेंट तत्काल और सटीक होता है।
3. कीमतों में होने वाले बदलाव से बचने के लिए ट्रेड्स समय पर और तुरंत हो जाते हैं।
4. लेनदेन की लागत में कमी आती है।
5. कई बाजार स्थितियों पर एक साथ ऑटोमेटिक रूप से नजर बनाई जा सकती है।
6. ट्रेड्स प्लेस करते समय गलती की गुंजाइश का जोखिम काफी कम हो जाता है।
7. उपलब्ध ऐतिहासिक और रियल-टाइम डेटा का उपयोग करके एल्गो ट्रेडिंग का बैकटेस्ट किया जा सकता है। इससे यह पता लगाया जा सकता है कि यह एक व्यवहार्य ट्रेडिंग रणनीति है या नहीं।
8. ह्यूमन ट्रेडिंग में होने वाली भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक आधारित गलतियों की गुंजाइश नहीं रहती।
Forex Trading Fraud: फॉरेक्स ट्रेडिंग में मोटे मुनाफे का झांसा, फर्जी ऐप के जरिए लोगों से ऐसे की 15 करोड़ की ठगी
सेबी ने जारी किये दिशानिर्देश
पूंजी बाजार नियामक सेबी (SEBI) ने हाल ही में निवेशकों को एल्गो ट्रेडिंग से जुड़ी सेवाएं देने वाले ब्रोकर्स के लिये दिशानिर्देश जारी किए हैं। इस पहल का उद्देश्य ‘उच्च रिटर्न’ का दावा कर शेयर बिक्री पर रोक लगाना है। सेबी ने एल्गो ट्रेडिंग की सुविधा दे रहे ब्रोकर्स के लिए कुछ जिम्मेदारी तय की है। एल्गोरिदम ट्रेडिंग सेवाएं देने वाले ब्रोकरों को पिछले या भविष्य के रिटर्न को लेकर कोई भी संदर्भ देने से मना किया गया है। साथ ही ऐसे किसी भी प्लेटफॉर्म से जुड़े होने से प्रतिबंधित कर दिया गया है, जो एल्गोरिदम के पिछले या भविष्य के लाभ के बारे में कोई संदर्भ देता है। सेबी के सर्कुलर में कहा गया, ‘‘जो शेयर ब्रोकर प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से एल्गोरिदम के पिछले या भविष्य के रिटर्न या प्रदर्शन के बारे में जानकारी देते हैं या इस प्रकार की जानकारी देने वाले मंच से जुड़े हैं, वे सात दिन के भीतर उसे वेबसाइट से हटा देंगे। साथ ही इस तरह के संदर्भ प्रदान करने वाले मंच से खुद को अलग कर लेंगे।
एल्गो ट्रेडिंग गारंटीड रिटर्न देती है, यह धारणा गलत
ट्विटर पर जेरोधा के को-फाउंडर नितिन कामत ने लिखा, “मुझे लगता है कि SEBI ने ऐसा इसलिए किया है, क्योंकि इस तरह के प्लेटफॉर्म ग्राहकों को लुभाने के लिए बैक-टेस्टिंग के जरिए असाधारण रिटर्न का लालच दे रहे हैं।” उन्होंने आगे कहा, “एक धारणा गलत है कि एल्गो ट्रेडिंग गारंटीड रिटर्न देती हैं। ऐसी रणनीतियां (Strategies) खोजना जो लाभदायक प्रतीत होने के लिए अधिक बार ट्रेड करती हैं, कठिन नहीं है। लेकिन लगभग सभी मामलों में, हाई रिटर्न में तेजी से गिरावट आती है या एक बार जब आप इस पर होने वाली लागतों का हिसाब लगाते हैं तो रिटर्न दिखता ही नहीं।”
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